सुप्रीम कोर्ट ने भीमा कोरेगांव मामले में मंगलवार को एक्टिविस्ट गौतम नवलखा की जमानत याचिका खारिज कर दी है. जिसके बाद अब बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रहेगा. हाईकोर्ट ने कहा था कि 2018 में घर में नजरबंदी के दौरान बिताए गए 34 दिन डिफॉल्ट जमानत के लिए नहीं गिने जा सकते हैं. बताते चलें कि 26 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने नवलखा और NIA की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था. साथ ही सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने NIA को नोटिस जारी किया था. नवलखा ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है. हाईकोर्ट ने डिफॉल्ट जमानत देने से इनकार किया था.
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दरअसल बांबे हाई कोर्ट ने माओवादियों से जुड़ी एलगार परिषद मामले में आरोपी गौतम नवलखा की जमानत याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि विशेष अदालत के तार्किक आदेश में दखल देने का उसे कोई कारण नजर नहीं आता है. विशेष अदालत पहले ही उनकी जमानत याचिका खारिज कर चुकी है. पीठ ने कहा था कि नवलखा द्वारा 2018 में घर में नजरबंदी के दौरान बिताए गए 34 दिन डिफॉल्ट जमानत के लिए नहीं गिने जा सकते हैं.
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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पुणे पुलिस ने एक्टिविस्ट गौतम नवलखा को 28 अगस्त, 2018 को गिरफ्तार तो किया था, लेकिन उन्हें हिरासत में नहीं लिया था, वह 28 अगस्त से एक अक्टूबर, 2018 तक घर में नजरबंद रहे थे, वह फिलहाल नवी मुंबई स्थित तलोजा जेल में बंद हैं. नवलखा ने विशेष एनआइए अदालत द्वारा जमानत अर्जी खारिज किए जाने के 12 जुलाई, 2020 के आदेश को पिछले साल हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. उन्होंने हिरासत में 90 दिन बिताने और इस दौरान अभियोजन की ओर से आरोपपत्र दाखिल नहीं किए जाने के आधार पर डिफॉल्ट जमानत मांगी थी. इसके पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने एक अक्टूबर, 2018 को नवलखा की नजरबंदी को अवैध करार देते हुए खारिज कर दिया था.
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