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सऊदी अरब-पाकिस्तान के बीच बड़ी डिफेंस डील... आया भारत का रिएक्शन, जानें विदेश मंत्रालय ने क्या कहा

पाकिस्तान, सऊदी अरब का एक प्रमुख सहयोगी है और दोनों देशों के रक्षा क्षेत्र में संबंध हैं. पाकिस्तान-सऊदी अरब समझौते से अवगत लोगों ने बताया कि भारत को इस बात की जानकारी थी कि इस समझौते पर विचार किया जा रहा है.

सऊदी अरब-पाकिस्तान के बीच बड़ी डिफेंस डील... आया भारत का रिएक्शन, जानें विदेश मंत्रालय ने क्या कहा
  • भारत ने सऊदी अरब-पाकिस्तान के बीच रणनीतिक रक्षा समझौते के बाद पारस्परिक हितों को ध्यान में रखने की उम्मीद जताई
  • सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच समझौता दोनों देशों पर हमले को संयुक्त आक्रमण मानने और रक्षा सहयोग पर केंद्रित है
  • पाकिस्तान-सऊदी अरब समझौते से अवगत लोगों ने बताया कि भारत को इस बात की जानकारी थी
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नई दिल्ली:

भारत ने सऊदी अरब के पाकिस्तान के साथ रणनीतिक रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर करने के मद्देनजर शुक्रवार को कहा कि वह उम्मीद करता है कि सऊदी अरब ‘पारस्परिक हितों और संवेदनशीलता' को ध्यान में रखेगा. बुधवार को सऊदी अरब के शहजादे मोहम्मद बिन सलमान अब्दुल अजीज अल सऊद और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने ‘रणनीतिक पारस्परिक रक्षा समझौते' पर दस्तखत किए थे, जिसमें कहा गया है कि ‘दोनों देशों (सऊदी अरब और पाकिस्तान) में से किसी पर भी हमले को दोनों के खिलाफ आक्रमण माना जाएगा.'

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, ‘‘भारत और सऊदी अरब के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी है, जो पिछले कुछ वर्षों में काफी प्रगाढ़ हुई है. हमें उम्मीद है कि हमारी रणनीतिक साझेदारी पारस्परिक हितों और संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ेगी.''

पाकिस्तान, सऊदी अरब का एक प्रमुख सहयोगी है और दोनों देशों के रक्षा क्षेत्र में संबंध हैं. पाकिस्तान-सऊदी अरब समझौते से अवगत लोगों ने बताया कि भारत को इस बात की जानकारी थी कि इस समझौते पर विचार किया जा रहा है.

पाकिस्तान-सऊदी अरब के संयुक्त बयान में कहा गया, ‘‘नया रक्षा समझौता अपनी सुरक्षा बढ़ाने के लिए दोनों देशों की साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है और इसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग के पहलुओं को विकसित करना और किसी भी आक्रमण के खिलाफ संयुक्त प्रतिरोध को मजबूत करना है.''

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पाकिस्तान, सऊदी अरब का एक प्रमुख सहयोगी है और दोनों देशों के रक्षा क्षेत्र में संबंध हैं. पाकिस्तान-सऊदी अरब समझौते से अवगत लोगों ने बताया कि भारत को इस बात की जानकारी थी कि इस समझौते पर विचार किया जा रहा है. यह समझौता मौजूदा समझौतों, खासकर सऊदी अरब को पाकिस्तान के समर्थन, को औपचारिक रूप देता है.

जायसवाल ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल की उनकी कनाडाई समकक्ष नथाली ड्रोइन के साथ हुई बातचीत के बारे में भी जानकारी दी. नयी दिल्ली में हुई इस बातचीत में, डोभाल ने कनाडा से संचालित खालिस्तान समर्थक समूहों की गतिविधियों पर भारत की चिंताओं को उठाया. जायसवाल ने कहा, ‘‘कनाडा की एनएसए ने हमारे एनएसए के साथ बातचीत की. यह दोनों देशों के बीच होने वाले नियमित द्विपक्षीय सुरक्षा परामर्श का हिस्सा है.''

दोनों एनएसए के बीच हुई बातचीत से अवगत लोगों ने बताया कि साझा सुरक्षा चिंताओं से जुड़े मुद्दे चर्चा में प्रमुखता से उठे. यह बातचीत भारत और कनाडा के एक-दूसरे की राजधानियों में दूत नियुक्त करने के तीन सप्ताह बाद हुई. प्रवक्ता ने कहा, ‘‘जब भी कोई चिंता होती है, हम उसे संबंधित पक्ष के साथ उठाते हैं, इस मामले में कनाडा के साथ, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हमारे राजनयिक परिसरों की पर्याप्त सुरक्षा हो.''

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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने यह भी जानकारी दी कि भारत, ईरान के तट पर स्थित और रणनीतिक महत्व रखने वाले चाबहार बंदरगाह के संबंध में 2018 के प्रतिबंधों में दी गई छूट को रद्द करने के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन के फैसले के प्रभावों का अध्ययन कर रहा है.

भारत, ईरान के दक्षिणी तट पर सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित चाबहार बंदरगाह के विकास में एक प्रमुख भागीदार है. भारत वर्तमान में इस बंदरगाह पर शाहिद बेहेश्टी टर्मिनल का संचालन कर रहा है. जायसवाल ने कहा, ‘‘हमने चाबहार बंदरगाह के लिए प्रतिबंधों में छूट वापस लेने के संबंध में अमेरिकी मीडिया में आया बयान देखा है. हम वर्तमान में भारत पर इसके प्रभावों का अध्ययन कर रहे हैं.''

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