राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने धर्मांतरण का परोक्ष रूप से संदर्भ देते हुए कहा कि मिशनरी (Missionary) उन स्थितियों का फायदा उठाते हैं, जिनमें लोगों को लगता है कि समाज उनके साथ नहीं है. संघ प्रमुख यहां एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे, जहां उन्होंने गोविंदनाथ महाराज (Govind Nath Maharaj) की समाधि समर्पित की. भागवत ने कहा कि हम अपनों को नहीं देखते. हम उनके पास जाकर उनसे बात नहीं करते लेकिन हजारों मील दूर से आये मिशनरी वहां रहते हैं, उनका भोजन करते हैं और उनकी भाषा बोलते हैं और फिर उनका धर्मांतरण करते हैं.
उन्होंने कहा कि 100 साल के दौरान लोग सब कुछ बदलने के लिए भारत आए. भागवत ने कहा कि वे सदियों से यहां काम कर रहे हैं लेकिन कुछ हासिल नहीं कर पाए क्योंकि हमारे पूर्वजों के प्रयासों से हमारी जड़ें मजबूत बनी रहीं. उन्होंने कहा कि उन्हें उखाड़ने का प्रयास किया जाता है. इसलिए समाज को उस छल को समझना चाहिए. हमें विश्वास को मजबूत करना होगा. उन्होंने कहा कि धोखेबाज लोग विश्वास को डगमगाने के लिए धर्म के बारे में कुछ सवाल करते हैं. उन्होंने कहा कि हमारे समाज ने पहले कभी ऐसे लोगों का सामना नहीं किया, इसलिए लोगों को शंका होती है. हमें इस कमजोरी को दूर करना होगा.
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि स्थानीय लोगों के ईसाई धर्म में परिवर्तित होने के 150 साल बाद मध्य प्रदेश में एक पूरा गांव "सनातनी" बन गया, क्योंकि उन्हें कल्याण आश्रम (आरएसएस समर्थित स्वयंसेवी संगठन) से मदद मिली थी."हमें अपने विश्वास को फैलाने के लिए विदेश जाने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि 'सनातन धर्म' इस तरह की प्रथाओं में विश्वास नहीं करता है. हमें यहां (भारत में) भारतीय परंपराओं और आस्था के विचलन और विकृति को दूर करने और इसकी जड़ों को मजबूत करने की आवश्यकता है."
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