"जो लालू प्रसाद से नीतीश कुमार ने मांगा था, मैं वैसी हिस्सेदारी चाहता हूं" : उपेंद्र कुशवाहा

उपेंद्र कुशवाहा मार्च 2017 में अपनी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का विलय करने के बाद जेडीयू में लौटे थे. कुशवाहा ने कहा कि संसदीय बोर्ड के प्रमुख के रूप में उनके पास कोई शक्तियां नहीं हैं. यह पद एक तरह का ‘झुनझुना’ है.

उपेंद्र कुशवाहा मार्च 2017 में अपनी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का विलय करने के बाद जेडीयू में लौटे थे.

पटना:

जनता दल (यूनाइटेड) के असंतुष्ट नेता उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) ने मंगलवार को अपनी बगावत की तुलना उस चुनौती से की, जो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने तीन दशक पहले राष्ट्रीय जनता दल (RJD) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) के सामने पेश की थी. जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष कुशवाहा ने कहा कि नीतीश कुमार के लिए उनके मन में ‘अगाध श्रद्धा' है, लेकिन वह (नीतीश) अपने निर्णय नहीं ले पा रहे हैं. परिणामस्वरूप जेडीयू कमजोर हो गया है.

पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने कहा, ‘‘मुझे यह स्पष्ट करने के लिए कहा गया कि पार्टी में अपने हिस्से का दावा करने से मेरा क्या मतलब है. मैं आज वह कर रहा हूं. मैं उसी हिस्से की बात कर रहा हूं, जो नीतीश कुमार ने 1994 की प्रसिद्ध रैली में मांगा था. जब लालू प्रसाद हमारे नेता को उनका हक देने से हिचक रहे थे.''

कुशवाहा पटना में आयोजित ‘लव कुश' रैली का जिक्र कर रहे थे. इसका मकसद बिहार में यादव जाति के राजनीतिक वर्चस्व में पीछे छूटे कुर्मी-कोइरी जाति के लोगों को एकजुट करना था. रैली में नीतीश कुमार की उपस्थिति ने अविभाजित जनता दल से उनके अलग होने और एक स्वतंत्र राजनीतिक यात्रा की रूपरेखा तय की थी.

उपेंद्र कुशवाहा मार्च 2017 में अपनी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का विलय करने के बाद जेडीयू में लौटे थे. कुशवाहा ने कहा कि संसदीय बोर्ड के प्रमुख के रूप में उनके पास कोई शक्तियां नहीं हैं. यह पद एक तरह का ‘झुनझुना' है.

उन्होंने आगे कहा, ‘‘मैं अतीत में राज्यसभा छोड़ चुका हूं. केंद्रीय मंत्रिपरिषद से भी हट गया था...अगर उन्हें लगता है कि ये मेरे लिए बड़े विशेषाधिकार हैं, तो पार्टी मेरे सभी पद वापस ले सकती है. विधान परिषद सदस्य का दर्जा भी छीन सकती है.'' कुशवाहा ने दावा किया कि 2013 के विपरीत जब जेडीयू ने पहली बार भारतीय जनता पार्टी से नाता तोड़ा था, तब ‘बिखराव का खतरा' था. ये खतरा अब हमारी पार्टी पर मंडरा रहा है.

क्या वह उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव के उभार से खतरा महसूस करते हैं, इस सवाल के सीधे जवाब से बचते हुए उन्होंने कहा,‘‘मुझे यह कहना होगा कि मुख्यमंत्री अपने सार्वजनिक बयानों में यह कहते रहे हैं कि उनके सभी कदम, 2017 में बीजेपी के साथ फिर से जुड़ना, पिछले साल अलग होना और महागठबंधन में शामिल होना और यहां तक कि चुनावों में उम्मीदवारों का चयन भी दूसरों के इशारे पर किया गया...वहीं समस्या है. वह अपना निर्णय नहीं ले पा रहे.''

कुशवाहा ने यह भी दावा किया कि अति पिछड़ा वर्ग का जेडीयू से मोहभंग हो रहा है. भोजपुर जिले में सोमवार को अपने काफिले पर हुए हमले का जिक्र करते हुए कुशवाहा ने आरोप लगाया कि स्थानीय प्रशासन ने मामले को दबाने की कोशिश की. उन्होंने इस मामले में पुलिस महानिदेशक या मुख्य सचिव के व्यक्तिगत हस्तक्षेप की मांग की.

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