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संसद में गतिरोध निराशाजनक, उद्योगपतियों को राजनीतिक फुटबॉल नहीं बनाना चाहिए : सद्गुरु जग्गी वासुदेव

पिछले कुछ सालों में संसद की कार्यवाही लगातार बाधित होती रही है. कई बार पूरे सत्र में एक भी दिन संसद का कामकाज नहीं चल पाता है. सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने इस मुद्दे पर निराशा जतायी है.

संसद में गतिरोध निराशाजनक, उद्योगपतियों को राजनीतिक फुटबॉल नहीं बनाना चाहिए : सद्गुरु जग्गी वासुदेव
नई दिल्ली:

संसद की कार्यवाही में लगातार हो रहे गतिरोध पर सद्गुरु जग्गी वासुदेव (Sadhguru Jaggi Vasudev) ने निराशा जतायी है. उन्होंने कहा कि भारतीय संसद में व्यवधान देखना निराशाजनक है, खासकर तब जब हम दुनिया के लिए लोकतंत्र का प्रतीक बनने की आकांक्षा रखते हैं. भारत के वेल्थ क्रिएटर्स और नौकरी प्रदाताओं को राजनीतिक बयानबाजी का विषय नहीं बनाना चाहिए.. यदि विसंगतियां हैं, तो उन्हें कानूनी दायरे में सुलझाया जा सकता है, लेकिन उन्हें राजनीतिक फुटबॉल नहीं बनाना चाहिए. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भारतीय व्यवसायों को आगे बढ़ाना है.  यही एकमात्र तरीका है जिससे भारत भव्य भारत बनेगा. 

संसद में जारी है गतिरोध
संसद के शीत सत्र में भी गतिरोध जारी है. विपक्षी सदस्यों के हंगामे की वजह से राज्यसभा और लोकसभा के दोनों ही सदनों में सदन में व्यवधान देखने को मिलती है. संसद में हो रहे हंगामे का असर कामकाज पर लगातार देखने को मिल रहा है. कई महत्वपूर्ण विधेयक और मुद्दे हंगामे की वजह से सदन में पेश नहीं हो पाते हैं. 

सद्गुरु जग्गी वासुदेव कौन हैं?
 सद्गुरु जग्गी वासुदेव आध्यात्मिक गुरू और योग-ध्यान के प्रचारक हैं जिन्होंने ईशा फाउंडेशन की स्थापना की है. अपने विचारों से सद्गुरू ने लाखों-करोड़ों लोगों को जिंदगी को देखने का एक नजरिया दिया है.सद्गुरू वासुदेव एक मोटिवेशनल स्पीकर भी हैं जो जीवन, ज्ञान, दर्शन, प्रेम, परिवार और चेतना से जुड़ी बातें कहते हैं. 1992 में उन्होंने ईशा फाउंडेशन की स्थापना की, जो अब दुनिया भर में योग, ध्यान और आध्यात्मिक विकास के लिए जानी जाती है. ईशा फाउंडेशन एक गैर-लाभकारी संगठन है जो योग, ध्यान और पर्यावरण संरक्षण जैसे क्षेत्रों में कार्य करता है.

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