- बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री खालिदा जिया का 30 दिसंबर 2025 को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया.
- विदेश मंत्री एस जयशंकर 31 दिसंबर को ढाका में उनके अंतिम संस्कार में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे.
- खालिदा जिया ने बांग्लादेश में सैन्य शासन के बाद लोकतंत्र की पुनर्स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री खालिदा जिया का 30 दिसंबर 2025 को 80 साल की उम्र में निधन हो गया. बुधवार, 31 दसंबर को ढाका में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. विदेश मंत्री एस जयशंकर भी 31 दिसंबर को ढाका जाएंगे. वह खालिदा जिया के जनाजे में शामिल होकर भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे. यह जानकारी एक आधिकारिक बयान के हवाले से सामने आई है. दिलचस्प बात यह है कि पाकिस्तानी विदेश मंत्री भी इस दौरान ढाका में मौजूद रहेंगे.
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30 दिसंबर को हुआ खालिदा जिया का निधन
बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की लंबे समय तक प्रमुख रहीं जिया ने देश में उथल-पुथल भरे सैन्य शासन के बाद लोकतंत्र की पुनर्स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उन्होंने दशकों तक वहां की राजनीति पर अपना दबदबा बनाए रखा था. खालिदा का लंबी बीमारी के बाद 30 दिसंबर को ढाका में निधन हो गया.
भारत में जन्मीं, बांग्लादेश में ली आखिरी सांस
खालिदा जिया का जन्म 15 अगस्त 1945 को भारत में हुआ था. वे बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की चेयरपर्सन और दो बार देश की प्रधानमंत्री रह चुकी थीं. उनके राजनीतिक सफर में देश की सत्ता और विपक्ष की राजनीति में संघर्ष, लोकतंत्र की लड़ाई और व्यापक समर्थन दोनों शामिल रहे. खालिदा पिछले कई सालों से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही थीं. अलग-अलग रिपोर्टों के मुताबिक वह कई तरह की बीमारियों से पीड़ित थीं.
खालिदा जिया के जीवन और राजनीति की कहानी
- 945 में पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी में जन्मी खालिदा जिया किसी राजनीतिक परिवार से नहीं थीं. राजनीति से उनका कोई सीधा रिश्ता नहीं था.
- शुरुआती शिक्षा उन्होंने पश्चिम बंगाल के दिनाजपुर मिशनरी स्कूल में प्राप्त की और 1960 में दिनाजपुर गर्ल्स स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की.
- उनके पिता इस्कंदर मजूमदार व्यवसायी थे, जबकि मां तैयबा मजूमदार गृहिणी थीं. घर में वे दूसरी संतान थीं और परिवारजन उन्हें स्नेहपूर्वक ‘पुतुल' कहकर पुकारते थे.
- 1960 में उनकी शादी सेना के अधिकारी जियाउर रहमान से हुई थी.
- 1971 में जब बांग्लादेश स्वतंत्रता संग्राम चल रहा था, उस समय शेख मुजीबुर रहमान को गिरफ्तार कर लिया गया. इसी दौर में जियाउर रहमान ने रेडियो पर घोषणा की कि वे स्वतंत्र बांग्लादेश की ओर से लड़ रहे हैं.
- युद्ध समाप्त होने पर रहमान सेना में लौटे और उन्हें उच्च पद मिला. धीरे-धीरे वे राजनीति में भी प्रभावशाली चेहरा बन गए.
- 1975 में शेख मुजीबुर रहमान और उनके परिवार की हत्या के बाद देश में लगातार तख्तापलट होते रहे. सेना में गुटबाजी इतनी बढ़ी कि सत्ता बार-बार बदली. इस अस्थिर माहौल में जियाउर रहमान सबसे ताकतवर सैन्य नेता बनकर उभरे और 1977 में राष्ट्रपति बने. इसके बाद उन्होंने बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की स्थापना की.
पति की हत्या और राजनीति में प्रवेश
- 30 मई 1981 को चटगांव में विद्रोह के दौरान जियाउर रहमान की हत्या कर दी गई. पति की मौत के बाद BNP बिखरने लगी और नेताओं ने खालिदा को नेतृत्व संभालने के लिए प्रेरित किया.
- शुरुआत में उन्होंने संकोच किया, लेकिन 1984 में पार्टी की कमान अपने हाथ में ले ली.
- 1991 में जब बांग्लादेश में लोकतांत्रिक चुनाव हुए, BNP ने जीत हासिल की और खालिदा जिया देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं. 1996 में सत्ता गंवानी पड़ी, लेकिन 2001 में वे फिर से प्रधानमंत्री बनीं.
- उनके परिवार में बड़े बेटे तारिक रहमान, दो बहुएं और तीन पोते-पोतियां हैं. छोटे बेटे आराफात रहमान कोको का 2015 में मलेशिया में निधन हो गया.
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