साइबर क्राइम के कई चेहरे हैं और हर चेहरा अपने आप में बहुत खतरनाक है.
दुनिया भर में डीपफेक को लेकर चिंता बढ़ती जा रही है. पाकिस्तान के डेप्युटी पीएम इशाक डार ने सिर्फ पाकिस्तान की तारीफ के लिए पार्लियामेंट में एक एआई जनरेटेड झूठी रिपोर्ट का रेफरेंस दे दिया, लेकिन जब पता चला की वो फेक थी तो दुनिया भर में उनकी बहुत बदनामी हुई. थोड़ा पीछे चले तो साल 2023 में एक वायरल वीडियो सामने आया था, जिसमें अभिनेत्री रश्मिका मंदाना का चेहरा था. हालांकि वो उस वीडियो में रश्मिका मंदाना थी ही नहीं और फेस डीपफेक करके उस वीडियो को वायरल कर दिया गया था. उसी साल सचिन तेंदुलकर की बेटी सारा तेंदुलकर के नाम से भी फेक अकाउंट बनाए गए. उन्हें अश्लील मैसेज भेजे गए. 2024 में आलिया भट्ट का भी एक फेक वीडियो वायरल हुआ. एक यूजर ने माना कि वो वीडियो एआई से सिर्फ फन के लिए बनाया गया था. इन सभी कहानियों को बताने के मकसद सिर्फ एक है कि आज हम साइबर क्राइम और डिजिटल लिटेरेसी की बात करने जा रहे हैं. साइबर क्राइम के कई चेहरे हैं और हर चेहरा अपने आप में बहुत खतरनाक है. NDTV के शो 'रूल ऑफ लॉ' में जानी मानी वकील सना रईस खान इस बारे में बता रही हैं.
एक तरफ इंटरनेट और टेक्नोलॉजी ने हमारी लाइफ को आसान बनाया है, लेकिन दूसरी तरफ साइबर क्रिमिनल्स ने उसे डर का जरिया बना लिया है. इससे बचने का सिर्फ एक ही तरीका है डिजिटल लिटरेसी. आपको डिजिटली लिटरेट बनना पड़ेगा, तभी आप अपने आपको और अपने डाटा को सेफ रख पाएंगे.

2024 में 498 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा साइबर फ्रॉड
क्लाउडसेक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 में दुनिया भर में 498 लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा का साइबर फ्रॉड हुआ है यानी हर महीने 42.8 लाख करोड़, हर हफ्ते 9.8 लाख करोड़ , हर घंटे 58.7 हजार करोड़ और हर मिनट 976 करोड़ रुपये और हर सेकेंड 1.63 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.
साइबर क्राइम में टॉप टेन देशों में आता है भारत
साइबर क्राइम के ग्लोबल नेटवर्क में इंडिया भी टॉप टेन देशों में आता है. मतलब साइबर क्राइम भारत में भी बहुत तेजी से बढ़ रहे है. 2023 में भारत में 9.2 लाख से ज्यादा साइबर क्राइम की श्किायतें आई थीं, जिनमें लोगों को तकरीबन छह हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, साइबर फ्रॉड पिछले छह साल में 42 गुना तक बढ़ गए हैं और विशेषज्ञों का अनुमान है कि 2025 तक यह 1.2 लाख करोड़ रुपये के पार जा सकता है.

सबसे ज्यादा साइबर क्राइम की शिकायतें उत्तर प्रदेश से आई हैं. यहां पर 2023 में 1.97 लाख से ज्यादा शिकायतें आई हैं तो महाराष्ट्र्र में 1.25 लाख, गुजरात में 1.21 लाख और राजस्थान 77 हजार शिकायतें मिली हैं. शायद आपको लगता हो कि आप कभी साइबर क्राइम का शिकार नहीं बनेंगे, लेकिन साइबर अपराधियों का अंदा आपकी सोच की बजाय बहुत ही तेजी से बदल रहा है.

साइबर क्राइम क्या होता है?
साइबर क्राइम वो क्राइम होता है जिसमें कंप्यूटर, इंटरनेट, मोबाइल या किसी डिजिटल सिस्टम का इस्तेमाल करके अवैध काम किया जा सकता है. उदाहरण के तौर पर पर्सनल डाटा चुरा लेना बैंक से पैसा निकाल लेना, ऑब्से कंटेंट स्प्रैड करना या गवर्नमेंट वेबसाइट हैक करना. साइबर क्राइम सिर्फ हमारी प्राइवेसी के लिए खतरा नहीं बल्कि देश की फाइनेंशियल स्टेबिलिटी और नेशनल सिक्योरिटी के लिए भी एक बड़ा खतरा बन चुका है.
कितने तरह के होते हैं साइबर क्राइम
आइए जानते हैं कि साइबर क्राइम किस तरीके के होते हैं यानी किस-किस कैटेगरी में इन्हें बांटा गया है.
- साइबर स्टॉकिंग या क्राइम अगेंस्ट इंडिविजुअल: किसी को बार बार ऑनलाइन मैसेज भेजकर स्टॉक करना जैसे सारा तेंदुलकर के केस में हुआ था.
- साइबर बुलिंग: स्पेशली किड्स या टीनेजर्स को ऑनलाइन बुली करना उनका मजाक उड़ाना या धमकाना
- डॉक्सिंग: किसी की पर्सनल डिटेल्स जैसे एड्रेस नंबर फोटो को ऑनलाइन लीक कर देना
- फिशिंग: यानी की फेक ईमेल या वेबसाइट के थ्रोग बैंक इन्फॉर्मेशन चुराना
- ऑनलाइन यौन उत्पीड़न: जैसे की इंटरनेट पर अश्लील मैसेज या इमेज भेजकर डराना या धमकाना.
- फेक प्रोफाइल क्रिएशन: किसी की आइडेंटिटी का मिस उसे करके फेक अकाउंट बनाना.
क्राइम्स अगेंस्ट प्रॉपर्टी को जानिए
अब बात करते है क्राइम्स अगेंस्ट प्रॉपर्टी की जैसे की:
- हैकिंग: कंप्यूटर सिस्टम में जबरदस्ती प्रवेश करना
- रैंसमवेयर: सिस्टम को लॉक करके डाटा के बदले रैंसम मांगना
- क्रेडिट कार्ड फ्रॉड: कार्ड इन्फॉर्मेशन चुरा के फ्रॉड करना
- साइबर वैंडलिज्म: किसी की साइट या डाटा को डेस्ट्रॉय करना
- सॉफ्टवेयर पायरेसी: बिना लाइसेंस के सॉफ्टवेयर का इलीगल उसे या फिर डिस्ट्रीब्यूशन
क्राइम्स अगेंस्ट गवर्नमेंट या सोसाइटी
- साइबर टेररिज्म: नेशनल सिक्योरिटी सिस्टम पर अटैक
- साइबर वारफेयर: एक देश दूसरे देश के डिजिटल नेटवर्क को हार्म करे
- साइबर जासूसी: गवर्नमेंट सीक्रेट या डाटा चुरा लेना या फिर
- फेक न्यूज: अफवाह फैलाकर दंगा या इलेक्शन मैनिपुलेशन

क्या है डीप फेक टेक्नोलॉजी?
साइबर क्रिमिनल्स नए नए डिजिटल टूल्स और टेक्नोलॉजी का यूज करते है जिनके बारे में आम लोगों को पता भी नहीं होता जैसे एआई और डीप फेक. डीप फेक टेक्नोलॉजी होती क्या है? ये टेक्नोलॉजी किसी भी फोटो, वीडियो या ऑडियो को एआई सॉफ्टवेयर से मैनिपुलेट करके असली जैसा बना देती है. जैसे की एआई एल्गोरिथम्स किसी भी आदमी की आवाज चेहरे के एक्सप्रेशन और जेस्चरर्स को दूसरे व्यक्ति पर ट्रांसफर कर देते हैं. सामान्य आंखों से असली या फेक पहचानना बहुत मुश्किल होता है. इसी टेक्नोलॉजी से बनाए गए फेक वीडियोस को डीप फेक्स कहते हैं और अब बात करते हैं कैटफिश अकाउंट की कैटफिश अकाउंट वो होते है जो किसी को ऑनलाइन अट्रैक्ट करने के लिए फेक प्रोफाइल बना देते हैं. किसी और के नाम, फोटो बायो का यूज करके इसका मैं मोटिव होता है किसी को इमोशनल फाइनेंशिल या पर्सनल ट्रैप में फंसाना.
देश में में साइबर क्राइम के बढ़ने के मुख्य कारण क्या है?
- रैपिड डिजिटलाइजेशनर: डिजिलट इंडिया, यूपीआई, जन-धन और भीम एप ने करोड़ों लोगों को ऑनलाइन जोड़ा है.
- साइबर जागरुकता का अभाव: लोगों को स्ट्रांग पासवर्ड बनाना या फिशिंग से बचना नहीं आता.
- पुलिस की रिपोर्ट में कमी: लोग पुलिस प्रोसेस से डर की वजह से रिपोर्ट ही नहीं करते हैं.
- साइबर प्रोफेशनल्स का अभाव: हमारे देश में साइबर प्रोफेशनल्स की बेहद कमी है.
- सीमा पार से साइबर हमला: हमलावर दूसरे देशों से ऑपरेट करते हैं, जिससे उन्हें ट्रैक करना मुश्किल होता है.
- कानूनों का कमजोर क्रियान्वयन: आईटी एक्ट होने के बावजूद भी इसका क्रियान्वयन बहुत ही कमजोर है.
साइबर क्राइम के शिकार होने पर क्या हैं अधिकार?
अगर आप साइबर क्राइम के शिकार होते हैं तो आपके क्या अधिकार हैं, यह आपको पता होना चाहिए. अगर आप साइबर क्राइम के शिकार होते हैं तो आपके पास लीगल राइट्स भी होते हैं. इसके लिए हम आईटी एक्ट के महत्वपूर्ण बिंदुओं को जानना बेहद जरूरी है. जैसे की इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000 इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजेक्शन को लीगल रिकॉग्निशन देता है. डिजिटल सिग्नेचर और ई डॉक्यूमेंट्स को भी लीगल बनाता है. साइबर क्राइम जैसे हैकिंग, डेटा चोरी, आईडी चोरी, ऑनलाइन फ्रॉड, साइबर आतंकवाद और अश्लील सामग्री को अपराध बनाता है. डेटा प्राइवेसी और सिक्योरिटी के लिए दिशानिर्देश हैं. डिजिटल सर्टिफिकेशन और सर्टिफिकेशन एजेंसियों के लए कानूनी ढांचा प्रदान करता है. अब बात करते हैं कुछ आईटीआर के इम्पोर्टेंट सेक्शंस के बारे में.
सेक्शन 43
अनअथॉराइज्ड डाटा एक्सेस पर कंपनी को हर्जाना देना पड़ता है.
सेक्शन 66
हैकिंग जिसमें तीन साल तक की सजा या फाइन हो सकता है.
सेक्शन 66 ए
ऑफेंसिव पोस्ट के लिए पनिशमेंट दिया जा सकता है. इसे फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने स्क्रैप कर दिया है.
सेक्शन 66बी-66एफ
पहचान की चोरी, साइबर फ्रॉड, साइबर टेररिज्म के लिए सजा देता है.
सेक्शन 67
अश्लील सामग्री अपलोड करने पर सजा देता है.
सेक्शन 69
राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सरकार को इंटरनेट सामग्री को ब्लॉक करने और डेटा एक्ससे करने का अधिकार देता है.
सेक्शन 69 ए
वेबसाइट और कंटेंट्स को ब्लॉक करने का अधिकार देता है.
सेक्शन 79
इंटरनेट कंपनियों की सेफ हार्बर प्रोटेक्शन को परिभाषित करता है.
2008 में एक मुख्य अमेंडमेंट आया जिसमें साइबर टेररिज्म और डाटा ब्रीच पर सख्त कानून लाए गए.
साइबर क्राइम से लड़ाई के लिए क्या है सरकारी पहल
अब बात करते है उन सरकारी पहलों की जो साइबर क्राइम से लड़ाई के लिए बनाए गए हैं.
सीईआरटी इन (इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम)
यह साइबर थ्रेट को मॉनिटर करती है.
नेशनल साइबर सिक्योरिटी पॉलिसी, 2013
सुरक्षित साइबर ईको सिस्टम बनाने के लिए गाइडलाइंस देती है.
साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल
डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट साइबर क्राइम डॉट गवर्नमेंट डॉट इन पर ऑनलाइन कंप्लेंट फाइल की जा सकती है.
साइबर स्वच्छता केंद्र
मालवेयर रिमूवल और डिजिटल हाइजीन के लिए
इंडियन साइबर क्राइम कोआर्डिनेशन सेंटर (14सी)
इसे गृह मंत्रालय ने स्थापित किया है और यह साइबर क्राइम रोकने के लिए यूनिफाइड नोडल एजेंसी है.
19 मई को गृह मंत्री अमित शाह ने ई-जीरो एफआईआर सिस्टम का अनाउंस किया है. यह दिल्ली में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लॉन्च हुआ है, जिसमें पोर्टल या हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कंप्लेंट ऑटोमैटिक एफआईआर में कन्वर्ट हो जाती है.
37 फीसदी जिलों में साइबर सेल्स नहीं
इसके बावजूद साइबर क्राइम से लड़ाई को लेकर कई चुनौतियां हैं. 37 फीसदी जिलों में तो साइबर सेल्स ही नहीं है. स्किल्ड मैनपावर की कमी है. डिजिटल लिटेरेसी का अभाव, इफेक्टिव डाटा प्रोटेक्शन लॉ का नहीं होना, साइबर एजुकेशन मैंडेटरी भी तो नहीं है. पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन का कोई डेडिकेटेड लॉ नहीं है.
साइबर क्राइम से लड़ने के लिए फ्यूचर में आपको क्या करना होगा. साइबर एजुकेशन स्कूल्स, कॉलेज, गवर्नमेंट इंस्टीट्यूशंस में साइबर अवेयरनेस कोर्स बहुत ज़रूरी है. पब्लिक पार्टिसिपेशन लोगों को अवेयर करना और रिपोर्ट करने के लिए मोटिवेट करना, प्राइवेट सेक्टर कोलेबोरेशन, टेक कंपनीज और बैंक के साथ ज्वाइंटर साइबर सेफ्टी मेजर्स इंटरनेशनल कोऑपरेशन कंट्रीज के बीच लॉ एंफोर्समेंट और डाटा शेयरिंग फास्ट ट्रैक साइबर कोर्ट होना चाहिए जिससे तेजी से न्याय हो.
2024 में 24 हजार ऑफिशयल्स को साइबर क्राइम से निपटने की ट्रेनिंग दी गई है. अनुमान है कि भारत 2025 में भारत साइबर सिक्योरिटी पर 28 हजार करोड़ रुपये खर्च करेगा, लेकिन अगर हम इस लड़ाई को जीतना चाहते हैं तो अवेयरनेस कोलेबरेशन और फास्ट एक्शन बहुत जरूरी है.
अश्लील वीडियो को कैसे रोकें?
हमारे एक दर्शक ने पूछा है कि इंस्टाग्राम पर आजकल अश्लील वीडियो की भरमार है, क्या इसे रोका जा सकता है तो जवाब है कि हां, बिलकुल रोका जा सकता है. इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म के खिलाफ आप साइबर क्राइम पोर्टल पर कंप्लेंट कर सकते हैं. अगर कोई कंटेंट आपको ऑब्सीन, वल्गर या ऑफेंसिव लगता है तो उसे प्लेटफॉर्म पर रिपोर्ट करने के साथ साथ डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट साइबर क्राइम डॉट गवर्नमेंट डॉट इन पर भी आप कंप्लेंट फाइल करें. गवर्नमेंट ने आईटी रूल्स 2021 में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को ऐसे कंटेंट तुरंत रिमूव करने के लिए लीगली ओब्लिगेटेड किया है.
साइबर फ्रॉड होने पर शिकायत कहां करें?
हमारे एक और दर्शक ने ये सवाल पूछा है कि साइबर फ्रॉड होने पर शिकायत कहां पर दर्ज कराएं. इसका जवाब है कि आप साइबर क्राइम डॉट गवर्नमेंट डॉट इन पर जाकर कंप्लेंट रजिस्टर कर सकते हैं. अगर पैसा चोरी हुआ है तो तुरंत 1930 पर कॉल करें. ये नेशनल हेल्पलाइन नंबर है, जहां आपके ट्रांजेक्शन फ्रीज भी करने की कोशिश की जाती है. इसके अलावा आप अपने नजदीकी साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में भी कंप्लेंट दर्ज कर सकते हैं. जल्दी एक्शन लेना सबसे इम्पोर्टेंट होता है.
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