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पहलगाम हमले का हमारी सेना ने दिया मुंहतोड़ जवाब... संघ के शताब्दी वर्ष समारोह में बोले मोहन भागवत

मोहन भागवत ने कहा कि सेना का शौर्य और समाज की एकता का एक उत्तम चित्र स्थापित हुआ. वह घटना हमें सिखा गई कि हम सबके लिए मित्र भाव रखेंगे लेकिन फिर भी हमें अपनी सुरक्षा के लिए अधिक सामर्थ्य बनना होगा. 

पहलगाम हमले का हमारी सेना ने दिया मुंहतोड़ जवाब... संघ के शताब्दी वर्ष समारोह में बोले मोहन भागवत
पहलगाम हमले पर मोहन भागवत ने रखी अपनी बात
नागपुर:

विजयादशमी के मौके पर संघ मुख्यालय में खास कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस खास मौके पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अपने संबोधन में पहलगाम हमले का भी जिक्र किया. उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि पहलगाम में जिस तरह से सीमा पार से आए आतंकियों ने 26 नागरिकों की हत्या की वो बेहद पीड़दायक था. हमारी सेना ने ऐसा करने वालों को मुंहतोड़ जवाब दिया. 

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने आगे कहा कि पहलगाम में सीमा पार के आतंकियों का हमला हुआ. वहां 26 भारतीयों का उनका धर्म पूछकर हत्या की गई. उसके कारण देश में दुख की लहर पैदा हुई. पूरी तैयारी करके सेना ने सरकार ने पुरजोर उत्तर दिया. सेना का शौर्य और समाज की एकता का एक उत्तम चित्र स्थापित हुआ. वह घटना हमें सिखा गई कि हम सबके लिए मित्र भाव रखेंगे लेकिन फिर भी हमें अपनी सुरक्षा के लिए अधिक सामर्थ्य बनना होगा. 

उन्होंने कहा कि इस घटना के बाद दुनिया के अनेक देशों में भूमिका ली उसमें यह भी ध्यान आया कि हमारे मित्र कौन-कौन हैं पता चला. नक्सली आंदोलन पर शासन और प्रशासन पर कार्रवाई हुई,उनके अनुभव से विचारधारा का खोखलापन होने कारण समाज भी उनसे महोभंग होकर विमुख हो गया.

संघ प्रमुख ने टैरिफ को लेकर कही ये बात

संघ प्रमुख ने अमेरिका के टैरिफ को लेकर भी अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि अमेरिका ने जो नई टैरिफ अपनाई उसकी मार सभी पर पड़ रही है, वो अपन हित के लिए की. विश्व का जीवन परस्पर निर्भरता से चलता है, राष्ट्रों में सब प्रकार के संबंध होते हैं, अकेला राष्ट्र अलगाव में जी नहीं सकता है, ये निर्भरता मजबूरी में न बदल जाए, कब बदलेगी कैसे बदलेगी कोई पता नहीं, विश्व जीवन की एकता को मानते हुए हमको इसको मजबूती न बनाते हुए जीना है तो स्वदेशी और स्वावलंबन का कोई पर्याय नहीं, हमें आत्वलंबन होना होगा, स्वदेशी जीवन जीना होगा, राजनीतिक, आर्थिक और कारोबारी हो हमें अपना जतन करना होगा, लेकिन उसमें हमारी मजबूरी नहीं होगी

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