कावेरी जल विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में आज अहम सुनवाई
नई दिल्ली:
कावेरी मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आज अहम् सुनवाई करते हुए कहा, केंद्र दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच बातचीत कराए. ये मामला दो राज्यों के बीच की दिक्कत का है. इसे केंद्र द्वारा संघीय तरीके से सुलझाया जाए. कोर्ट ने कहा कि कर्नाटक तीन दिन रोज 6000 क्यूसिक तमिलनाडु को दे.
AG मुकुल रोहतगी को कहा कि वह कर्नाटक और तमिलनाडु के एग्जीक्यूटिव हेडस के बीच बैठ कराएं और मिल बैठकर मुद्दे का समाधान निकालें. दोनों राज्य केंद्र सरकार का सहयोग करें. भले ही कर्नाटक राज्य ने प्रस्ताव पास किया हो लेकिन राज्य को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करना होगा. सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार 30 सितंबर को सुनवाई करेगा.
सोमवार को तमिलनाडु सरकार और कर्नाटक सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी डाली थी. कर्नाटक सरकार ने कोर्ट के आदेश में राहत मांगी तो वहीं तमिलनाडु ने इसका विरोध किया था. कर्नाटक सरकार सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा कोर्ट के उस आदेश में संशोधन की मांग की है जिसमें कोर्ट ने कर्नाटक सरकार को 6000 क्यूसेक पानी प्रतिदिन 27 सितंबर तक तमिलनाडु को देने का आदेश दिया था.
कर्नाटक सरकार कोर्ट ने अपनी अर्जी में कहा था कि वह इस स्थति में नहीं है कि वह तमिलनाडु को पानी दे सके. कर्नाटक सरकार का कहना है कि कावेरी बेसिन में अब पानी नहीं बचा जो है, वह बस पीने के लायक पानी बचा है.
वहीं तमिलनाडु सरकार ने अर्जी दाखिल कर कहा था कि कर्नाटक सरकार की आदेशों में बदलाव की अर्जी पर सुनवाई न की जाए जब तक कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन न कर ले. सरकार ने अपनी अर्जी में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश को कर्नाटक सरकार ने नहीं माना है. पानी छोड़ने को लेकर वह आनाकानी कर रहा है. कोई भी राज्य सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करने से इंकार कैसे कर सकता है ? ये राज्य का संवैधानिक दायित्व है.
दरअसल कर्नाटक सरकार ने अर्जी दाखिल कर कोर्ट के उस आदेश में संशोधन की मांग की है जिसमें कोर्ट ने कर्नाटक सरकार को 6000 क्यूसेक पानी प्रतिदिन 27 सितंबर तक तमिलनाडु को देने का आदेश दिया था.
AG मुकुल रोहतगी को कहा कि वह कर्नाटक और तमिलनाडु के एग्जीक्यूटिव हेडस के बीच बैठ कराएं और मिल बैठकर मुद्दे का समाधान निकालें. दोनों राज्य केंद्र सरकार का सहयोग करें. भले ही कर्नाटक राज्य ने प्रस्ताव पास किया हो लेकिन राज्य को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करना होगा. सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार 30 सितंबर को सुनवाई करेगा.
सोमवार को तमिलनाडु सरकार और कर्नाटक सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी डाली थी. कर्नाटक सरकार ने कोर्ट के आदेश में राहत मांगी तो वहीं तमिलनाडु ने इसका विरोध किया था. कर्नाटक सरकार सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा कोर्ट के उस आदेश में संशोधन की मांग की है जिसमें कोर्ट ने कर्नाटक सरकार को 6000 क्यूसेक पानी प्रतिदिन 27 सितंबर तक तमिलनाडु को देने का आदेश दिया था.
कर्नाटक सरकार कोर्ट ने अपनी अर्जी में कहा था कि वह इस स्थति में नहीं है कि वह तमिलनाडु को पानी दे सके. कर्नाटक सरकार का कहना है कि कावेरी बेसिन में अब पानी नहीं बचा जो है, वह बस पीने के लायक पानी बचा है.
वहीं तमिलनाडु सरकार ने अर्जी दाखिल कर कहा था कि कर्नाटक सरकार की आदेशों में बदलाव की अर्जी पर सुनवाई न की जाए जब तक कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन न कर ले. सरकार ने अपनी अर्जी में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश को कर्नाटक सरकार ने नहीं माना है. पानी छोड़ने को लेकर वह आनाकानी कर रहा है. कोई भी राज्य सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करने से इंकार कैसे कर सकता है ? ये राज्य का संवैधानिक दायित्व है.
दरअसल कर्नाटक सरकार ने अर्जी दाखिल कर कोर्ट के उस आदेश में संशोधन की मांग की है जिसमें कोर्ट ने कर्नाटक सरकार को 6000 क्यूसेक पानी प्रतिदिन 27 सितंबर तक तमिलनाडु को देने का आदेश दिया था.
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