उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या स्थित राम मंदिर में 'श्री राम लला' की प्राण प्रतिष्ठा को राष्ट्रीय गौरव का ऐतिहासिक अवसर और राम मंदिर को 'राष्ट्र मंदिर' बताते हुए कहा कि अवधपुरी में रामलला का विराजना रामराज्य की स्थापना की उद्घोषणा भी है. मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा राम मंदिर में भगवान राम के बाल स्वरूप के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा किए जाने के बाद उपस्थित जन समूह को संबोधित करते हुए कहा, 'श्री राम जन्मभूमि मंदिर की स्थापना भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण का आध्यात्मिक अनुष्ठान है. यह राष्ट्र मंदिर है. निसंदेह श्री राम लला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा राष्ट्रीय गौरव का एक ऐतिहासिक अवसर है.'
आदित्यनाथ ने कहा, 'निश्चिंत रहिए. प्रभु राम की कृपा से अब कोई अयोध्या की परिक्रमा में बाधा नहीं बन पाएगा. अयोध्या की गलियों में अब गोलियों की गड़गड़ाहट नहीं होगी. कर्फ्यू नहीं लगेगा. अब यहां दीपोत्सव, रामोत्सव होगा और श्री राम संकीर्तन से यहां की गलियां गुंजायमान होगी क्योंकि अवधपुरी में राम लला का विराजना राम राज्य की स्थापना की एक उद्घोषणा भी है.'
मुख्यमंत्री ने कहा, 'अभी गर्भ गृह में वैदिक विधि विधान से राम लला के बाल विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के हम सभी साक्षी बने हैं. अलौकिक छवि है हमारे प्रभु की. बिल्कुल वैसे ही, जैसे तुलसीदास जी ने कहा कि नवकंज लोचन कंज मुख कर कंज पद कंजारुणम. धन्य है वह शिल्पी, जिसने हमारे मन में बसे राम की इस छवि को मूर्त रूप प्रदान किया है.'
उन्होंने कहा, 'प्रभु राम के भव्य, दिव्य और नव्य धाम में विराजने की आप सभी को कोटि-कोटि बधाई. 500 वर्षों के लंबे अंतराल के उपरांत आज के इस चिर प्रतीक्षित मौके पर अंतरमन में भावनाएं कुछ ऐसी हैं जिन्हें व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं मिल रहे हैं. निश्चित रूप से आप सब भी ऐसा महसूस कर रहे होंगे.'
उन्होंने कहा, 'इस दिन की प्रतीक्षा में लगभग पांच शताब्दी गुजर गईं. श्री राम जन्मभूमि संभवत: विश्व में पहला ऐसा अनूठा प्रकरण होगा जिसमें किसी राष्ट्र के बहुसंख्यक समाज ने अपने ही देश में अपने आराध्य की जन्मस्थली पर मंदिर निर्माण के लिए इतने वर्षों तक और इतने स्तरों पर लड़ाई लड़ी हो. संतों, सन्यासियों, निहंगों, बुद्धिजीवियों, राजनेताओं, जनजातियों सहित समाज के हर वर्ग ने जात-पांत, विचार, दर्शन, उपासना पद्धति से ऊपर उठकर रामकाज के लिए स्वयं को उत्सर्ग किया. आज आत्मा प्रफुल्लित है कि मंदिर वहीं बना है जहां बनाने का संकल्प लिया था.'
मुख्यमंत्री ने कहा, 'जिस अयोध्या को अवनी की अमरावती और धरती का बैकुंठ कहा गया, वह सदियों तक अभिशप्त थी, उपेक्षित रही, सुनियोजित तिरस्कार झेलती रही. अपनी ही भूमि पर सनातन आस्था पद दलित होती रही, मगर राम का जीवन हमें संयम की शिक्षा देता है और भारतीय समाज ने संयम बनाए रखा. समय के साथ हमारा संकल्प भी दृढ़ होता गया और आज पूरी दुनिया अयोध्या के वैभव को निहार रही है. हर कोई अयोध्या आने को आतुर है. अयोध्या में त्रेता युगीन वैभव उतर आया है. यह धर्म नगरी विश्व की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में प्रतिष्ठित हो रही है.'
आदित्यनाथ ने मंदिर निर्माण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त करते हुए कहा, 'संकल्प और साधना की सिद्धि के लिए, हमारी प्रतीक्षा की इस समाप्ति के लिए और संकल्प की पूर्णता के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का हृदय से आभार और अभिनंदन. वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री मोदी के आगमन के साथ ही भारतीय जनमानस कह उठा था कि मोरे जिय भरोस दृढ़ सोई, मिलहि राम सगुन सुभ होई.'
इसके पूर्व, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राम जन्मभूमि मंदिर के मॉडल रूपी, चांदी के दो स्मृति चिह्न प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत को भेंट किये.
ये भी पढ़ें- "बिजली उपकेंद्र, जलशोधन संयंत्र..." : अयोध्या का भव्य राम मंदिर सभी आधुनिक सुविधाओं से होगा लैस
ये भी पढ़ें- राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह राष्ट्रीय चेतना का पुनर्जागरण : असम CM
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं