- NDTV ने धर्म ध्वजा रोहण के बाद मंदिर के संपूर्ण दर्शन पहली बार कराए और नृपेंद्र मिश्रा से विशेष बातचीत की
- नृपेंद्र मिश्रा ने कहा कि भगवान राम ने शबरी माता से फल लेते समय जाति का भेदभाव नहीं किया
- उन्होंने प्रोटोकॉल को राजनीतिक व्यवस्था बताया और राम मंदिर में विवाद से बचने पर जोर दिया
धर्म ध्वजा रोहण के बाद NDTV ने पहली बार राम मंदिर के संपूर्ण दर्शन कराए. इस खास मौके पर NDTV Super Exclusive Interview में श्री राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा से खास बातचीत की. इस खास बातचीत के दौरान नृपेंद्र मिश्रा ने कहा कि भगवान राम ने जब फल खाए शबरी माता के तो उन्होंने ये तो नहीं पूछा कि उनकी जाति क्या है? ऐसी बातें होनी ही क्यों हैं, पूरा देश भगवान राम का है, हम सबका एकमात्र लक्ष्य है कि हर श्रद्धालु के रोम रोम में जो भगवान बसे हैं, उसके अनुसार चलें.
नृपेंद्र मिश्रा ने कहा कि निमंत्रण पत्र वगैरह तो बहुत छोटी बात है. ये कैसे संभव होगा कि उनको निमंत्रण नहीं होगा, मैं स्थानीय सांसद का आदर करता हूं वो तो अयोध्या में ही रहते हैं, उनको तो वो सौभाग्य प्राप्त है कि वो प्रति दिन यहां आ सकते हैं, उनके जीवन में राम हैं, जन्मस्थान है. प्रोटोकॉल राजनैतिक व्यवस्था है, राम जी के मंदिर में ये व्यवस्था कहां से आ गई, राम जी के मंदिर में हम प्रोटोकॉल कहां अपनाते हैं, लेकिन हर किसी की राय है, प्रजातंत्र में किसी के लिए ये मनाही है. मेरा स्वयं का मानना है कि ऐसे अवसर पर विवाद का स्थान नहीं है.
आपको बता दें कि मंगलवार को एक भव्य कार्यक्रम के बाद राम मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वजा फहरा दी गई. इस खास मौक पर पीएम मोदी भी अयोध्या में मौजूद थे. पीएम मोदी ने इस मौके पर भगवान श्रीराम को नमन किया.इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा था कि मुझे बहुत खुशी है कि राम मंदिर का ये दिव्य प्रांगण भारत के सामूहिक सामर्थ्य की भी चेतना स्थली बन रहा है. यहां सप्त मंदिर बने हैं. माता शबरी का मंदिर जनजातीय समाज के प्रेमभाव और आतिथ्य की प्रतिमूर्ति है. निषादराज का मंदिर उस मित्रता का साक्षी है, जो साधन नहीं, साध्य को और उसकी भावना को पुजती है.
उन्होंने आगे कहा था कि यहां माता अहिल्या, महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य और संत तुलसीदास के मंदिर हैं. रामलला के साथ-साथ इन सभी ऋषियों के दर्शन भी यहीं पर होते हैं. यहां जटायु जी और गिलहरी की मूर्तियां भी हैं, जो बड़े संकल्पों की सिद्धि के लिए हर छोटे से छोटे प्रयास के महत्व को दिखाती हैं. ये ध्वज अपने आपमें खास है. ध्वज लगभग 22 फीट लंबा और 11 फीट चौड़ा है, जिस पर कोविदार वृक्ष, सूर्यवंश का प्रतीक और ‘ॐ' अंकित है. इसे इलेक्ट्रिक सिस्टम से आरोहित किया गया. यह आयोजन मंदिर निर्माण की पूर्णता और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक माना जा रहा है.
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