उत्तर प्रदेश के अयोध्या स्थित राम मंदिर के प्रथम तल पर बुधवार को रामदरबार सहित सात मंदिरों में प्राण प्रतिष्ठा की गई. राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र निर्माण समिति के चेयरमैन और राम मंदिर निर्माण के सूत्रधार नृपेंद्र मिश्रा ने एनडीटीवी के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में सप्त मंडल के निर्माण और इसके महत्व के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि देश के करोड़ों लोगों की आस्था के प्रतीक राम मंदिर और उसमें मौजूद सभी सप्त मंडलों का कार्य पूरा हो चुका है. साथ ही उन्होंने बताया कि इन मंदिरों में सामाजिक समरसता का संदेश भी दिया गया है. राम मंदिर के इतने भव्य, दिव्य और अलौकिक दर्शन पहली बार एनडीटीवी के माध्यम से लोगों ने किए.
पांच बड़ी बातें:
- राम मंदिर में मंदिरों का निर्माण कार्य पूरा
- मंदिर निर्माण में 4 लाख 50 हजार क्यूबिक फीट रेड स्टोन का इस्तेमाल
- मुख्य मंदिर पर 161 फीट की ऊंचाई पर स्वर्ण शिखर
- परकोटे के निर्माण में आठ लाख 50 हजार क्यूबिक पत्थर लगा
- पीएम मोदी ने कहा था - सामाजिक समरसता का दें संदेश
राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेंद्र मिश्रा ने एनडीटीवी के साथ बातचीत में कहा कि मंदिर निर्माण का कार्य अब पूर्ण हो चुका है. उन्होंने बताया कि इस पूरे मंदिर में राजस्थान के बंसी पहाड़ का करीब 4 लाख 50 हजार क्यूबिक फीट रेड स्टोन का इस्तेमाल किया गया है. प्रथम तल पर राम दरबार की आज प्रतिष्ठा हो गई है. द्वितीय तल भी पूर्ण है. अब तक के न्यास के निर्णय के मुताबिक, उस पर कोई मूर्ति स्थापित नहीं होनी है. उसमें रामायण की दुर्लभ पांडुलिपियों को रखा जाएगा. उसके बाद स्वपर्ण शिखर पूरा हो गया. साथ ही कहा कि मंदिर का निर्माण कार्य पूर्ण हो गया है.
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पांच मंडपों पर स्वर्ण शिखर
मिश्रा ने बताया कि मंदिर के पांच मंडप हैं और इन पांच मंडपों पर पांच स्वर्ण शिखर बने हुए हैं. यह पूरे हो गए हैं. सबसे ऊंचाई पर 161 फीट पर स्वर्ण शिखर बना हुआ है, उसके नीचे मुख्य मंदिर का गर्भग्रृह जहां पर रामलला हैं और अब प्रथम तल पर रामदरबार है. साथ ही उन्होंने बताया कि मंदिर में कुछ मशीनों द्वारा कार्य किया जा रहा है, लेकिन यह केमिकल से सफाई के लिए है. अब मंदिर का कोई भी निर्माण कार्य अधूरा नहीं है.
परकोटे में मंदिर से दोगुना पत्थर
उन्होंने कहा कि आज मंदिर के पांचों मंडप में आज कोई भी जा सकता है. साथ ही परकोटे के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि उसमें छह मंदिर है. आज इन छह मंदिरों में भी भगवान की स्थापना और प्राण प्रतिष्ठा हो गई है. उन्होंने कहा कि मंदिर का एक किमी का परकोटा है और यह एक तरह से परिक्रमा मार्ग भी है. इस परिक्रमा मार्ग में छह मंदिर है. परकोटे में आठ लाख 50 हजार क्यूबिक पत्थर लगा है. यह मंदिर में लगे पत्थर से दोगुना है. उन्होंने बताया कि परिक्रमा मार्ग सितंबर तक पूर्ण होगा. उसके साथ ही मंदिर की सुरक्षा, मंदिर के विशेष कार्य जैसे कंट्रोल रूम, दान कक्ष, प्रसाद, कार्यालय , सिक्योरिटी जैसे विभागों को परकोटे में बेसमेंट में रखा गया है.
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पहले ऐसी थी मंदिर की कल्पना
उन्होंने कहा कि यहां पर सात मंदिर है. इसे सप्त मंडप कहते हैं. प्रारंभ में जब निर्माण कार्य की कल्पना की जा रही थी तो बहुत ही छोटे आकार में मंदिर की कल्पना की गई थी. उस वक्त अंदाज भी नहीं था कि उच्चतम न्यायालय 71 एकड़ दे देगा और जनता मंदिर के लिए शत-प्रतिशत योगदान करेगी. इसमें एक पैसा सरकार का नहीं लगा है. इसमें सारा योगदान हमारे देश और विदेश में रहने वाले देशवासियों ने किया है. उन्होंने कहा कि इसमें शत-प्रतिशत भक्तों का योगदान है. उससे निर्माण कार्य हो रहा है. यह अनुमान नहीं था कि इतनी धनराशि आ जाएगी.
परकोटे की कल्पना भी बाद में आई
हालांकि उन्होंने कहा कि परकोटा बहुत ही बाद में आया. 2023 में कोविड खत्म होने के बाद यह विषय आया कि परकोटा बनना चाहिए. उन्होंने कहा कि पता चला कि राजस्थान और महाराष्ट्र में बड़े-बड़े मंदिरों में परकोटा होता है. उस वक्त परकोटे की परिकल्पना की गई. हालांकि यह उस परिकल्पना से भी बाहर है.
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सामाजिक समरसता का ऐसे जुड़ा संदेश
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार मंदिर निर्माण कार्य की समीक्षा कर रहे थे तो उन्होंने कहा कि भगवान के दो स्वरूप हैं. पीएम मोदी ने विस्तार से समझाते हुए कहा कि एक तो वह भगवान हैं और दूसरे वो हमारे मर्यादा पुरुषोत्तम भी हैं. भगवान राम ने अपने जीवनकाल में अपने राज्य में सामाजिक समरसता बचपन से निभाई है. उस सामाजिक समरसता के तहत जो भगवान के जीवन से जुड़े हैं आप आप यदि उनका भी मंदिर बना देंगे तो आज की पीढी को यह पता लगेगा कि भगवान ने कैसे सामाजिक समरसता निभाई और बचपन से निभाई.
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पुष्करणी को लेकर बताई ये बात
नृपेन्द्र मिश्रा ने मंदिर परिसर में बनी पुष्करणी को लेकर कहा कि पुष्करणी के पास लोग आएंगे, बैठेंगे और ध्यान करेंगे. पुष्करणी को पवित्र माना जाता है और वास्तु की ही तरह इसका भी बेहद महत्व है. इसीलिए मंदिर परिसर में इसका निर्माण किया गया है. साथ ही उन्होंने बताया कि पुष्करणी में यह सुनिश्चित किया गया है कि कोई भी पानी इसमें चार घंटे से पुराना न हो. इसके पानी को रिसाइकिल करने के लिए प्लांट लगाया गया है.
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मूर्तियों के रंग पर ये दिया जवाब
नृपेंद्र मिश्रा ने कहा कि मूर्तियों के रंग की बहुत ही चर्चा थी कि मूर्तियों का रंग कैसा हो. लोगों ने कहा कि रामलला तो श्यामवर्ण हैं और उनकी मूर्तियों का रंग ऐसा ही क्यों न हो. रामलला की मूर्ति के लिए पत्थर कर्नाटक की कृष्ण शिला से आया था. हालांकि यह राय बनी कि हम रंग नहीं बल्कि यह देखें कि उनका जो रंग है, वो किस प्रकार श्रद्धालु को स्वीकार है. श्रद्धालु के दिमाग की बात को ध्यान में रखकर के यह निर्णय लिया गया कि मकराना मार्बल के पत्थर होंगे. लेकिन इनके मंदिर का डिजाइन उसी प्रकार का होगा, जिस प्रकार का मंदिर का है और इसे उसी मापदंड पर उतारा गया है.
कुबेर टीला और एडवर्ड की कहानी
उन्होंने बताया कि कुबेर टीला अयोध्या में सबसे ऊंचा माना जाता है. उन्होंने कहा कि इसे लेकर लोगों का अलग-अलग विश्वास था. जब हम यहां पर आए थे तो हमें कहा गया कि कुबेर टीला मत जाइएगा वहां पर जंगली जानवर है और वो खतरे से खाली नहीं है. लेकिन यह बताया गया कि यहां पर सबसे पुराना शिव मंदिर है तो हमें लगा कि इसे कैसे छोड़ सकते हैं क्योंकि यहां पर पूजा होनी चाहिए और जो श्रद्धालु आएंगे वो अर्चना करना चाहेंगे और भगवान शिव पर जल चढ़ाना चाहेंगे. उन्होंने कहा कि आज आप देंखेंगे कि यह मंदिर का एक छोर है. यहां पर ब्रिटिश कलेक्टर थे एडवर्ड ने उत्सुकता रहती थी कि भगवान राम के जमाने की चीजों को ढूंढें. जहां भी वह कुछ ढूंढते थे, वहां पर अपना नाम और सन 1902 लिखा पत्थर डाल देते थे. यह उनका कार्यकाल था. यह जगह उन्होंने खोज निकाली थी. इसलिए यह सोचा गया कि हम यहां से भगवान राम के राज्य को और उनके जन्मस्थान को पूर्ण करेंगे.
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परकोटे का 90 फीसदी काम भी पूरा
उन्होंने कहा कि परकोटे का काम 90 फीसदी हो चुका है. परकोटे में श्रद्धालु 1.3 किमी है. उन्होंने कहा कि यह कवर्ड है और नीचे बेसमेंट है. उन्होंने बताया कि इसके ऊपर फर्स्ट फ्लोर पर श्रद्धालु परिक्रमा करेंगे. एक ओर से उन्हें कांस्य के भित्ति चित्र दिखाई देंगे जो कि अभी बन रहे हैं. उन्होंने कहा कि कुल 80 भित्तिचित्र हैं. दूसरी ओर से यह खुला रहेगा, जिससे मंदिर का दर्शन होगा.
कब खुलेगा राम दरबार?
नृपेंद्र मिश्रा ने बताया कि यह न्यास को तय करना है कि प्रथम तल में राम दरबार का दर्शन श्रद्धालु कब कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि यह श्रद्धालुओं के लिए जल्द ही खुल सकता है.
साथ ही उन्होंने कहा कि सामान्य व्यक्ति जब आता है तो उन्हें मंदिर की सीढ़ियां खत्म होते ही रामलला के दर्शन होने लगते हैं, लेकिन वीआईपी दर्शन करने वालों को कुछ नहीं दिखता है. उन्हें झांककर के देखना पड़ता है. वहीं सामान्य व्यक्ति को दूर से ही दर्शन होते हैं.
397 पिलर्स... हर में 25 से 30 मूर्तियां
उन्होंने कहा कि मंदिर में 397 पिलर्स ऐसे हैं, जिन पर आकृतियां उकेरी गई हैं. इन पिलर्स में हर एक पर 25 से 30 मूर्तियां हैं. इन मूर्तियों को नागर शैली में बनाया गया है. कौनसे पिलर में किस प्रकार की मूर्तियां होंगी, यह तय किया गया है. साथ ही इन मूर्तियों के रंग में बदलाव आ रहा है. उन्होंने कहा कि लोग इन मूर्तियों को लोग छूते हैं और हाथ लगाते हैं और प्रणाम करते हैं. यह बड़ी चुनौती हमारे सामने आ गई है. कुछ लोग तो टीका भी लगाते हैं. उनकी श्रद्धा को हम नहीं रोक सकते हैं, लेकिन हमारे मेंटिनेंस के लिए अच्छी-खासी चुनौती आ गई है.
50 करोड़ का सोना दान किया
उन्होंने बताया कि यह सारे दरवाजे दिलीप नाम के एक महाराष्ट्र के व्यापारी ने दान किए हैं. उन्होंने सोमनाथ और काशी विश्वनाथ मंदिर में भी सोना दान किया था. ग्राउंड फ्लोर पर जितने दरवाजे हैं और जितने कलश हैं. यह सब स्वर्ण के हैं और उन्होंने दान किए हैं. कुल मिलाकर के इनमें 45 से 50 किलो सोना लगा है. इसका मूल्य टैक्स से अलग करके बताया जाए तो वो 50 करोड़ रुपये है, जो उन्होंने दान किए हैं.
दो श्लोकों से बताया राम दरबार का महत्व
जयपुर के शिल्पकारों ने यह मूर्तियां बनाई हैं. उन्होंने बताया कि रामदरबार में भगवान राम के साथ ही उनके भ्राताओं और सीताजी के साथ ही उनके प्रथम सेवक हनुमानजी विराजमान हैं. इस दौरान उन्होंने भगवान राम और राम दरबार के महत्व को दो श्लोकों से बता दिया. उन्होंने 'राम राज बैठे त्रैलोका, हरषित भए गए सब सोका' और 'दैहिक, दैविक भौतिक तापा, राम राज काहूहि नहीं ब्यापा' के माध्यम से भगवान राम और राम दरबार की महिमा को बताया.
भूतल से द्वितीय तल पर क्या?
मिश्रा ने बताया कि ग्राउंड फ्लोर पर रामलला विराजे हैं और फर्स्ट फ्लोर पर राम दरबार है. उन्होंने कहा कि ग्राउंड फ्लोर पर पांच मंडप है, जबकि फर्स्ट फ्लोर पर तीन मंडप है और इसके ऊपर दो मंडप है. लेकिन इसके अलावा कोई अंतर नहीं है. उन्होंने बताया कि दूसरे तल पर भगवान से संबंधित दुर्लभ पांडुलिपियों को रखा जाएगा, जिसका एक अंतरराष्ट्रीय स्वरूप होगा. उन्होंने कहा कि द्वितीय तल पर बहुत ही सीमित लोग जा सकेंगे क्योंकि वहां पर दुर्लभ पांडुलिपियां होंगी. यदि न्यास कोई कार्यक्रम या यज्ञ करेगा तो उसे हम वहां पर करवाएंगे. उन्होंने कहा कि न्यास ने इसकी रूपरेखा तय नहीं की गई है, लेकिन न्यास की बैठकों में यह विचार उभरकर सामने आया है.
राम दरबार में राजा राम
अयोध्या के राम मंदिर में राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा हो गई. सीएम योगी ने राम दरबार में पूजन किया. प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम अभिजीत मुहूर्त में सुबह 11.25 से 11.40 बजे तक चला. रामलला के गर्भगृह के ऊपर यानी फर्स्ट फ्लोर पर राम दरबार बनाया गया है. इसमें श्रीराम, मां सीता, तीनों भाई- लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न के साथ हनुमानजी की मूर्तियां हैं. काशी के पुरोहित जय प्रकाश त्रिपाठी ने 101 पंडितों के साथ प्राण प्रतिष्ठा कराई. मंत्रोच्चारण के बाद मूर्तियों की आंखों पर बंधी पटि्टयां खोली गईं, उन्हें आईनाा दिखाया गया. भगवान राम सहित चारों भाइयों के हाथों में धनुष हैं. जहां गर्भगृह में भगवान राम बालक के रूप में हैं, वहीं राम दरबार में राजा के रूप में विराजमान हैं.
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