राजनाथ सिंह (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
बुरहान वानी पर महबूबा मुफ्ती के बयान को लेकर केंद्र ने एतराज जताया है। कहा जा रहा है कि इससे सुरक्षा बलों का हौसला गिरता है। जबकि महबूबा मुफ्ती का कहना है कि उनकी बात को सही ढंग से पेश नहीं किया गया। इस बीच कश्मीर घाटी में शुक्रवार को भी पत्थर चले। श्रीनगर में संयुक्त राष्ट्र के दफ्तर के पास पुलिस को आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े।
बुरहान वानी को लेकर अपने बयान पर जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने सफाई दी। उन्होंने कहा कि "मैं यह कहना चाहती हूं कि अगर पता होता की बुरहान वानी वहां है तो एक पर्सेंट चांस था कि सुरक्षा बल उसे नहीं मारते, क्योंकि घाटी में हालात बेहतर हो रहे थे।"
उधर केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने महबूबा मुफ्ती से शुक्रवार को बात की। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक वानी को लेकर महबूबा के बयान पर उन्होंने एतराज दर्ज कराया। उन्होंने कहा कि इससे सुरक्षा बलों का हौसला कमजोर पड़ता है। महबूबा मुफ्ती ने राजनाथ सिंह से कहा कि उनकी बात ठीक से नहीं समझी गई। मुख्यमंत्री महबूबा के मीडिया सलाहकार सुहेल बुखारी ने कहा "मुख्यमंत्री ने राजनीतिक फायदा पाने के लिए बात नहीं कही। पहले भी कई बार सुरक्षा बलों ने एंटी मिलिटेन्सी ऑपरेशन बंद किए हैं, अगर उसके नुकसान ज्यादा हो गए हों।"
लेकिन इस मामले को लेकर बीजेपी की भाषा सख्त है। बीजेपी नेता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि "बुरहान वानी मारा गया, यह हमारे सुरक्षा बलों के लिए एक बड़ी कामयाबी है।" राज्य सरकार अब हालात सामान्य करने की कोशिश में है। घाटी में पोस्टपेड मोबाइल सर्विस शुरू हो गई है। लेकिन इस हंगामे की वजह से घाटी के कारोबार को खासा नुकसान पहुंचा है। माना जा रहा है कि पूरा सीजन खराब हो गया है। औसतन जहां रोज 15000 सैलानी आते थे, अब सिर्फ 1200 आ रहे हैं।
भारत की चुनौती दोहरी है। कश्मीर में फिलहाल हालात सामान्य करना और आने वाले दिनों में ऐसी कश्मीर नीति विकसित करना जो स्थानीय हसरतों के मुताबिक हो। दरअसल कश्मीर को बयानबाजियों ने भी जख्म दिए हैं। बुरहान वानी के समर्थन या विरोध की मुद्राओं से आगे बढ़कर अब वह रास्ता खोजने की जरूरत है जो सबको मंजूर हों और कश्मीर के भी हक में हों, देश के भी हित में।
बुरहान वानी को लेकर अपने बयान पर जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने सफाई दी। उन्होंने कहा कि "मैं यह कहना चाहती हूं कि अगर पता होता की बुरहान वानी वहां है तो एक पर्सेंट चांस था कि सुरक्षा बल उसे नहीं मारते, क्योंकि घाटी में हालात बेहतर हो रहे थे।"
उधर केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने महबूबा मुफ्ती से शुक्रवार को बात की। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक वानी को लेकर महबूबा के बयान पर उन्होंने एतराज दर्ज कराया। उन्होंने कहा कि इससे सुरक्षा बलों का हौसला कमजोर पड़ता है। महबूबा मुफ्ती ने राजनाथ सिंह से कहा कि उनकी बात ठीक से नहीं समझी गई। मुख्यमंत्री महबूबा के मीडिया सलाहकार सुहेल बुखारी ने कहा "मुख्यमंत्री ने राजनीतिक फायदा पाने के लिए बात नहीं कही। पहले भी कई बार सुरक्षा बलों ने एंटी मिलिटेन्सी ऑपरेशन बंद किए हैं, अगर उसके नुकसान ज्यादा हो गए हों।"
लेकिन इस मामले को लेकर बीजेपी की भाषा सख्त है। बीजेपी नेता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि "बुरहान वानी मारा गया, यह हमारे सुरक्षा बलों के लिए एक बड़ी कामयाबी है।" राज्य सरकार अब हालात सामान्य करने की कोशिश में है। घाटी में पोस्टपेड मोबाइल सर्विस शुरू हो गई है। लेकिन इस हंगामे की वजह से घाटी के कारोबार को खासा नुकसान पहुंचा है। माना जा रहा है कि पूरा सीजन खराब हो गया है। औसतन जहां रोज 15000 सैलानी आते थे, अब सिर्फ 1200 आ रहे हैं।
भारत की चुनौती दोहरी है। कश्मीर में फिलहाल हालात सामान्य करना और आने वाले दिनों में ऐसी कश्मीर नीति विकसित करना जो स्थानीय हसरतों के मुताबिक हो। दरअसल कश्मीर को बयानबाजियों ने भी जख्म दिए हैं। बुरहान वानी के समर्थन या विरोध की मुद्राओं से आगे बढ़कर अब वह रास्ता खोजने की जरूरत है जो सबको मंजूर हों और कश्मीर के भी हक में हों, देश के भी हित में।
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