
- राजस्थान में भारी बारिश से घग्घर नदी में पानी अचानक बढ़कर 5747 क्यूसेक हो गई है.
- प्रशासन ने सीमावर्ती गांव 28 ए और पुराना बिजोर के लोगों को बाढ़ के खतरे को लेकर सतर्क रहने की चेतावनी दी है.
- पुराना बिजोर गांव निचले क्षेत्र में स्थित होने के कारण बाढ़ से ज्यादा प्रभावित होने का खतरा बना हुआ है.
राजस्थान में लगातार हो रही भारी बारिश की वजह से घग्घर नदी अपने रौद्र रूप में है. नदी का पानी अब सीमावर्ती गांवों के लिए चुनौती बन सकता है. शनिवार को घग्गर नदी में अचानक पानी की मात्रा बढ़कर 5747 क्यूसेक से हो गई. पिछले कई दिनों से पानी की मात्रा 5 हजार क्यूसेक चल रही थी. दो दिनों में नदी में लगभग 750 क्यूसेक पानी की बढ़ोतरी हुई है. शनिवार सुबह तक पानी भारत-पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय मजनू पोस्ट तक पहुंच (Rajasthan Flood) चुका गया था. नदी में बढ़ रहे पानी को देखते हुए प्रशासन पूरी तरह सतर्क हो गया है.
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बाढ़ का खतरा, गांव वालों से अलर्ट रहने की अपील
एसडीएम सुरेश राव हर स्थिति पर नजर रखे हुए हैं. उन्होंने खुद भी बॉर्डर क्षेत्र का दौरा किया. पटवारी समेत सभी अधिकारी और कर्मचारी अलर्ट मोड पर हैं. एसडीएम ने बताया कि हमेशा की तरह सबसे अधिक नुकसान की आशंका गांव 28 ए और पुराना बिजोर में होती है. दोनों गांवों के लोगों से अलर्ट रहने की अपील की गई है.एसडीएम ने बताया कि पुराना बिजोर के ग्रामीणों को इसी खतरे को देखते हुए पूर्व में 5 एमएसआर में जगह आवंटित की गईं थी. लेकिन ग्रामीणों ने पलायन नहीं किया. अब घग्घर में बढ़ रहे पानी को देखते हुए ग्रामीणों से सतर्क रहने की अपील की गई है.

गांव वाले पलायन के लिए तैयार रहें
उनके कहा गया है कि अगर पानी की मात्रा और बढ़ती है तो समय पर सुरक्षित जगहों की तरफ पलायन करने के लिए तैयार रहें. बता दें कि गांव 28 ए में करीब 50 घरों की बस्ती है, वहीं पुराना बिजोर में 100 से अधिक घरों की आबादी है. पुराना बिजोर अपेक्षाकृत निचले इलाके में होने की वजह से यहां खतरा और ज्यादा बढ़ सकता है.ग्रामीणों ने बताया कि नदी का पानी एक ओर से निकल तो जाता है, लेकिन दूसरी ओर से वापस लौटने लगता है. इस वजह से कई बार पानी की गहराई अचानक बढ़ जाती है. यही कारण है कि प्रशासन लगातार लोगों को सचेत कर रहा है.

खेत में खड़ी फसलों के डूबने का खतरा
एसडीएम ने स्पष्ट किया कि पानी के प्राकृतिक बहाव में बाधा डालने वाले सभी अवैध बंधों को हटाने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि किसी भी तरह की अप्रिय स्थिति पैदा न हो. हालांकि,अब तक किसी भी परिवार ने गांव खाली नहीं किया है. ग्रामीणों का मानना है कि अगर पानी का दबाव और गहराई बढ़ी तो उन्हें मजबूरन सुरक्षित स्थानों की ओर जाना पड़ेगा. खेत और फसल भी इस स्थिति से अछूती नहीं है. बहाव क्षेत्र में खड़ी कपास, मूंग और ग्वार जैसी फसलों के डूबने का खतरा मंडरा रहा है. प्रशासन और ग्रामीण मिलकर हालात पर नजर रखे हुए हैं.
इनपुट- दीपक अग्रवाल
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