राजस्थान में वसुंधरा राजे सरकार में सांसद बनने के तीन महीने बाद भी सांवर लाल जट मंत्री बने हुए हैं। सांवर लाल जट ने अजमेर से सांसद चुने जाने के बाद अपनी नसीराबाद विधानसभा सीट खाली कर दी थी, जिस सीट को बाद में हुए उप−चुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की।
सांसद चुने जाने के बाद उनके मंत्री बने रहने का राज्य में कांग्रेस जमकर विरोध कर रही है। बावजूद इसके सांवर लाल जल संसाधन, पब्लिक हेल्थ जैसे कई महत्वपूर्ण पोर्टफोलियो छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं।
जट का कहना है कि संविधान के मुताबिक वह छह महीने तक बिना विधानसभा के सदस्य रहे भी मंत्री रह सकते हैं।
कांग्रेस इस मामले में राष्ट्रपति से दखल देने की मांग कर रही है जबकि सांवर समर्थकों की दलील है कि इसके पहले कांग्रेस के नेता भी ऐसा कर चुके हैं।
गौरतलब है कि अप्रैल 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के लिए लिये जा रहे ट्रस्ट वोट के दौरान गिरिधर गोमांग वोट डालने पहुंच गए थे, जबकि वह उस वक्त ओडिशा के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके थे।
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