रेलवे ने हाइड्रोजन ईंधन तकनीक से ट्रेन (Hydrogen Train) चलाने की योजना बनाई है. रेलवे की इस योजना का उद्देश्य खुद को ग्रीन ट्रांसपोर्ट सिस्टम के रूप में तब्दील करना है. इसके लिए निजी साझेदारों को जोड़ने के लिए निविदा आमंत्रित की गई है. सरकारी बयान के मुताबिक, इंडियन रेलवे ऑर्गनाइजेशन ऑफ अल्टरनेट फ्यूल (IROAF) ने उत्तर रेलवे के 89 किमी सोनीपत-जींद सेक्शन में एक डीजल इलेक्ट्रिकल मल्टीपल यूनिट (DEMU) को रेट्रोफिटिंग करके हाइड्रोजन फ्यूल आधारित तकनीक के विकास के लिए बोलियां आमंत्रित की हैं.
मौजूदा समय में दुनिया के कई देशों में इस तकनीक की बैटरी का इस्तेमाल किया जा रहा है. जर्मनी में तो इससे ट्रेन भी चल रही है. भारत में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर ऐसी बैटरी 10 डिब्बों वाली डेमू ट्रेन (डीज़ल इलेक्ट्रिक मल्टीप्ल यूनिट) यानी पैसेंजर ट्रेन में लगाई जाएगी. इस तरह की बैटरी 1600 HP की क्षमता की होगी.
रेलवे ने यह योजना नेशनल हाइड्रोजन एनर्जी मिशन के तहत बनाई है. रेलवे का लक्ष्य 2030 तक भारत में रेलवे को कार्बन उत्सर्जन से मुक्त करना है. इस तरह के एक इंजन से रेलवे को सालाना क़रीब ढाई करोड़ रुपये की बचत भी होगी और कार्बन उत्सर्जन भी नहीं होगा.
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