नई दिल्ली:
देश में सत्तारूढ़ गठबंधन यूपीए की प्रमुख पार्टी कांग्रेस के उपाध्यक्ष बनाए जाने के बाद राहुल गांधी पहली बार भारतीय उद्योग संघ (सीआईआई) के विशेष सत्र में देश के उद्योग जगत से रूबरू हुए, और देश की अर्थव्यवस्था पर अपने विचार रखे। राहुल गांधी ने कहा कि सिर्फ एक शख्स करोड़ों लोगों की मुश्किलों का हल नहीं कर सकता है। उन्होंने मौजूदा व्यवस्था पर कई तरह के सवाल उठाए और कहा कि पाठ्यक्रम तय करने में उद्योगपतियों का भी दखल होना चाहिए।
राहुल ने इस बात पर जोर दिया कि विकास की राह में देश के सभी तबकों को साथ लेकर चलने की जरूरत है। राहुल गांधी ने समग्र विकास पर कई दफा जोर दिया। राहुल ने इसके अलावा शिक्षा प्रणाली में व्यापक बदलाव की वकालत करते हुए कहा कि शिक्षा को रोजगारपरक बनाने की ज़रूरत है, जिससे युवाओं को नौकरियां मिल सके।
इसके साथ ही कांग्रेस उपाध्यक्ष ने माना कि देश अपनी ताकत का इस्तेमाल ठीक से नहीं कर रहा है। उन्होंने राजनीतिक ताकत को पंचायतों में प्रधानों तक पहुंचाने की जरूरत पर भी जोर दिया। राहुल ने कहा, जब हम चुनाव लड़ते हैं, प्रधान के पास जाते हैं और समर्थन मांगते हैं, लेकिन राजनीतिक दलों के ढांचे में प्रधानों के लिए कोई शक्ति नहीं होती, यह एक समस्या है। मैं साफ तौर पर कहना चाहूंगा कि प्रधान के मुकाबले चाहे सांसद हों या विधायक, कोई फर्क नहीं पड़ता, वे समस्या का समाधान नहीं दे सकते। इसलिए हमें चाहिए कि हम एक ऐसा ढांचा तैयार करें, जिसमें प्रधान की अहम भूमिका हो। सिर्फ लेफ्ट पार्टियों और कुछ द्रविड़ पार्टियों के अलावा किसी ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया है।
उन्होंने कहा, देश के समेकित विकास के लिए हमें बुनियादी ढांचे को मजबूती देनी होगी। ऐसा करने के लिए हमें देश में हर जगह बिजली, पानी, इमारतें चाहिए और यह सरकार अकेली नहीं कर सकती। इसके लिए हमें आपके (उद्योग जगत) साथ की जरूरत है और यह काम बिना आप लोगों की मदद के नहीं हो सकता। इसलिए उन्होंने उद्योग जगत से आग्रह किया कि वे सिर्फ मुनाफे के बारे में न सोचकर, देश के विकास में सरकार के साथ भागीदार बने।
राहुल ने कहा कि भारत ने यूपीए सरकार के कार्यकाल में तीव्र आर्थिक वृद्धि दर्ज की, क्योंकि उसने समुदायों के बीच तनाव घटाया तथा सौहार्द को बढ़ाया। राहुल ने कहा, जब आप समुदायों को अलग-थलग करने की राजनीति करते हैं, तो आप लोगों तथा विचारों का आवागमन रोक देते हैं। जब ऐसा होता है, तो हम सभी प्रभावित होते हैं। व्यापार प्रभावित होता है और दुराव के बीज बोए जाते हैं। जनता के सपनों पर प्रतिकूल असर पड़ता है और इस नुकसान की भरपाई में लंबा समय लगता है। राहुल ने कहा, लोगों को पीछे छोड़ना बहुत खतरनाक है। समावेषी विकास सभी के लिए फायदे का सौदा है।
राहुल ने भारत की तुलना एक ऐसे आंदोलन से की, जहां एक अरब लोग अपनी बेड़ियों को तोड़नें की कवायद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस कवायद से उत्पन्न ऊर्जा और विचारों का इस्तेमाल सभी की मदद के लिए किए जाने की जरूरत है। राहुल ने कहा, यह आंदोलन दो तरफ जा सकता है। यह सौहार्दपूर्ण ढंग से जा सकता है अथवा यह अशांतिपूर्ण हो सकता है। कांग्रेस का विचार है कि इसे सद्भावनापूर्ण होना चाहिए और सभी राजी खुशी साथ चलें। उन्होंने कहा कि रोष, बैर और पूर्वाग्रह किसी भी तरह वृद्धि में योगदान नहीं करते।
राहुल गांधी के संबोधन के मुख्य अंश -
राहुल ने इस बात पर जोर दिया कि विकास की राह में देश के सभी तबकों को साथ लेकर चलने की जरूरत है। राहुल गांधी ने समग्र विकास पर कई दफा जोर दिया। राहुल ने इसके अलावा शिक्षा प्रणाली में व्यापक बदलाव की वकालत करते हुए कहा कि शिक्षा को रोजगारपरक बनाने की ज़रूरत है, जिससे युवाओं को नौकरियां मिल सके।
इसके साथ ही कांग्रेस उपाध्यक्ष ने माना कि देश अपनी ताकत का इस्तेमाल ठीक से नहीं कर रहा है। उन्होंने राजनीतिक ताकत को पंचायतों में प्रधानों तक पहुंचाने की जरूरत पर भी जोर दिया। राहुल ने कहा, जब हम चुनाव लड़ते हैं, प्रधान के पास जाते हैं और समर्थन मांगते हैं, लेकिन राजनीतिक दलों के ढांचे में प्रधानों के लिए कोई शक्ति नहीं होती, यह एक समस्या है। मैं साफ तौर पर कहना चाहूंगा कि प्रधान के मुकाबले चाहे सांसद हों या विधायक, कोई फर्क नहीं पड़ता, वे समस्या का समाधान नहीं दे सकते। इसलिए हमें चाहिए कि हम एक ऐसा ढांचा तैयार करें, जिसमें प्रधान की अहम भूमिका हो। सिर्फ लेफ्ट पार्टियों और कुछ द्रविड़ पार्टियों के अलावा किसी ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया है।
उन्होंने कहा, देश के समेकित विकास के लिए हमें बुनियादी ढांचे को मजबूती देनी होगी। ऐसा करने के लिए हमें देश में हर जगह बिजली, पानी, इमारतें चाहिए और यह सरकार अकेली नहीं कर सकती। इसके लिए हमें आपके (उद्योग जगत) साथ की जरूरत है और यह काम बिना आप लोगों की मदद के नहीं हो सकता। इसलिए उन्होंने उद्योग जगत से आग्रह किया कि वे सिर्फ मुनाफे के बारे में न सोचकर, देश के विकास में सरकार के साथ भागीदार बने।
राहुल ने कहा कि भारत ने यूपीए सरकार के कार्यकाल में तीव्र आर्थिक वृद्धि दर्ज की, क्योंकि उसने समुदायों के बीच तनाव घटाया तथा सौहार्द को बढ़ाया। राहुल ने कहा, जब आप समुदायों को अलग-थलग करने की राजनीति करते हैं, तो आप लोगों तथा विचारों का आवागमन रोक देते हैं। जब ऐसा होता है, तो हम सभी प्रभावित होते हैं। व्यापार प्रभावित होता है और दुराव के बीज बोए जाते हैं। जनता के सपनों पर प्रतिकूल असर पड़ता है और इस नुकसान की भरपाई में लंबा समय लगता है। राहुल ने कहा, लोगों को पीछे छोड़ना बहुत खतरनाक है। समावेषी विकास सभी के लिए फायदे का सौदा है।
राहुल ने भारत की तुलना एक ऐसे आंदोलन से की, जहां एक अरब लोग अपनी बेड़ियों को तोड़नें की कवायद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस कवायद से उत्पन्न ऊर्जा और विचारों का इस्तेमाल सभी की मदद के लिए किए जाने की जरूरत है। राहुल ने कहा, यह आंदोलन दो तरफ जा सकता है। यह सौहार्दपूर्ण ढंग से जा सकता है अथवा यह अशांतिपूर्ण हो सकता है। कांग्रेस का विचार है कि इसे सद्भावनापूर्ण होना चाहिए और सभी राजी खुशी साथ चलें। उन्होंने कहा कि रोष, बैर और पूर्वाग्रह किसी भी तरह वृद्धि में योगदान नहीं करते।
राहुल गांधी के संबोधन के मुख्य अंश -
- मेरे लिए यहां आकर बोलना सम्मान की बात है।
- उद्योगपतियों से देश को ऊर्जा मिली, और उनकी वजह से देश की प्रतिष्ठा बढ़ी।
- उद्योगपति दुनिया भर में देश के राजदूत हैं।
- मैंने देश को समझने के लिए ट्रेन से यात्रा की।
- देश में लाखों युवा हर रोज संघर्ष कर रहे हैं।
- हमारा देश प्रतिभा का सबसे बड़ा भंडार है।
- सिर्फ सरकार के भरोसे विकास नहीं हो सकता है।
- देश के विकास में उद्योगों की मदद ज़रूरी
- हमें बुनियादी ढांचा मजबूत करना होगा।
- हमें सड़के बनानी होंगी, बिजली देनी होगी।
- विचारों की ऊर्जा को इस्तेमाल करना होगा
- शिक्षा प्रणाली में बदलाव की ज़रूरत, उसे हमारी ज़रूरतों से जुड़ा होना चाहिए।
- शिक्षा व्यवस्था में उद्योगों का दखल भी जरूरी है।
- युवाओं के लिए प्रशिक्षण की भारी कमी।
- महिलाओं, दलितों और आदिवासियों की अनदेखी से विकास नहीं हो सकता।
- समुदायों को अलग-थलग करने की सियासत विकास को प्रभावित करती है।
- यूपीए शासन में भारत ने ज्यादा तेज रफ्तार से प्रगति की, क्योंकि हमने समुदायों के बीच के तनावों को बहुत घटाया है और विकास को समावेशी बनाया है।
- उद्योग जगत सिर्फ कमाई की न सोचे।
- उद्योग जगत ही नौकरियों का सृजन कर सकता है। सरकार सिर्फ आपके लिए इसके अवसर पैदा कर सकती है।
- समेकित विकास से ही सबके लिए फायदेमंद माहौल बनेगा।
- सबको साथ लेकर चलने पर ही आगे बढ़ेगा भारत।
- राजनीतिक दल जमीन से जुड़े नहीं रह गए हैं।
- पार्टियां ग्राम प्रधान को पूछती ही नहीं।
- सिर्फ वामपंथी दल ही ग्राम प्रधानों को महत्व देते हैं।
- अकेले राहुल गांधी की कोई अहमियत नहीं, उसकी राय मायने नहीं रखती।
- सिर्फ एक आदमी देश को नहीं बदल सकता।
- देश को चार हजार विधायक, 600-700 सांसद चलाते हैं।
- सब कहते हैं कि चीन एक ड्रैगन है और भारत हाथी, लेकिन मैं कहता हूं भारत हाथी नहीं, मधुमक्खी का छत्ता है। सुनने में जरूर यह मजाक लगता है, पर जरा इस बात को ध्यान से सोचिए।
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