राहुल गांधी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
मोदी सरकार आरटीआई एक्ट में संशोधन की तैयारी में है. मॉनसून सत्र के दूसरे दिन यानी गुरुवार को राज्यसभा में आरटीआई संशोधन बिल पेश किया जाएगा. प्रस्तावित संशोधन के मुताबिक़, सूचना आयुक्तों के लिए वेतन, भत्ते और सेवा शर्तें केंद्र के निर्देशों पर तय होंगी. मगर अब इसके खिलाफ में आवाजें उठने लगी हैं. कई आरटीआई कार्यकर्ताओं ने इस संशोधन का विरोध किया है. उनका कहना है कि इससे क़ानून कमज़ोर होगा.
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आरटीआई कार्यकर्ताओं के विरोध के बाद अब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी इसका विरोध किया है और साथ ही यह अपील की है कि सरकार के इस संशोधन को हर भारतीय को विरोध करना चाहिए.
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राहुल गांधी ने गुरुवार को ट्वीट किया और कहा कि, 'हर भारतीय को सच जानने का अधिकार है. बीजेपी लोगों से सच्चाई छुपाने में यक़ीन रखती है और चाहती है कि जनता सत्ता में बैठे लोगों से सवाल न करे. RTI एक्ट में प्रस्तावित संशोधन इसे बेकार बना देंगे. इसका हर भारतीय को विरोध करना चाहिए.'
क्यों हो रहा है आरटीआई एक्ट में संशोधन का विरोध
प्रस्तावित संशोधन के अनुसार सीआईसी और सूचना आयुक्तों के लिए वेतन, भत्ते और सेवा शर्तें उसी तरह होंगी जैसे केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित किया जाएगा. उल्लेखनीय है कि कई आरटीआई कार्यकर्ताओं ने संशोधन का विरोध किया है. उनका कहना है कि इस संशोधन का मकसद सूचना आयुक्तों के ओहदे को कम करना है.
VIDEO: आरटीआई कानून में बदलाव का विरोध शुरू
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आरटीआई कार्यकर्ताओं के विरोध के बाद अब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी इसका विरोध किया है और साथ ही यह अपील की है कि सरकार के इस संशोधन को हर भारतीय को विरोध करना चाहिए.
सरकार ने कहा, घरेलू कंपनियों के साइबर सुरक्षा उत्पादों को सार्वजनिक खरीद में दें तरजीह
राहुल गांधी ने गुरुवार को ट्वीट किया और कहा कि, 'हर भारतीय को सच जानने का अधिकार है. बीजेपी लोगों से सच्चाई छुपाने में यक़ीन रखती है और चाहती है कि जनता सत्ता में बैठे लोगों से सवाल न करे. RTI एक्ट में प्रस्तावित संशोधन इसे बेकार बना देंगे. इसका हर भारतीय को विरोध करना चाहिए.'
क्यों हो रहा है आरटीआई एक्ट में संशोधन का विरोध
- सरकार RTI क़ानून में संशोधन ला रही है
- संशोधन के बाद कार्यकाल, वेतन सरकार तय करेगी
- संशोधन से क़ानून के खोखला होने की आशंका
- केन्द्रीय सूचना आयोग में 11 में से 4 पद खाली
- साल के अंत तक सिर्फ़ 3 आयुक्त रह जाएंगे
प्रस्तावित संशोधन के अनुसार सीआईसी और सूचना आयुक्तों के लिए वेतन, भत्ते और सेवा शर्तें उसी तरह होंगी जैसे केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित किया जाएगा. उल्लेखनीय है कि कई आरटीआई कार्यकर्ताओं ने संशोधन का विरोध किया है. उनका कहना है कि इस संशोधन का मकसद सूचना आयुक्तों के ओहदे को कम करना है.
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