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This Article is From Feb 16, 2022

गुरु रविदास जयंती पर बनारस पहुंचे पंजाब CM चरणजीत चन्नी, 4 बजे सुबह ही मत्था टेका फिर 45 मिनट सुनी कीर्तन 

संत रविदास का जन्म माघ पूर्णिमा को, आज ही के दिन हुआ था. उनके जन्म स्थली वाराणसी में सीर गोवर्धन में भक्तों के आना का ताँता तीन दिन पहले से हो शुरू हो गया है.  वैसे तो उनके भक्त पूरी दुनिया में फैले हैं  लेकिन पंजाब में सबसे ज़्यादा हैं.

पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने वाराणसी पहुंचकर रविदास मंदिर में मत्था टेका.

वाराणसी:

आज संत गुरु रविदास जयंती (Guru Ravidas Jayanti) है. इस मौके पर पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी (Punjab CM Charanjit Singh Channi) ने वाराणसी पहुंचकर अहले सुबह करीब 4 बजे ही रविदास मंदिर में मत्था टेका. इस दौरान चन्नी ने करीब 45 मिनट तक वहां चल रहे कीर्तन में भाग लिया और संतों की वाणी सुनी. चन्नी सबसे पहले रविदास मंदिर में गए और दर्शन प्राप्त किया. रविदास मन्दिर में आज दूसरे बड़े-बड़े नेताओं का भी जमावड़ा लगा रहेगा. 

वैसे तो चन्नी पत्रकारों के सवालों से बचते दिखे लेकिन रविदास जयंती पर उन्होंने सभी को अपनी शुभकामनाएं दी. उन्होंने कहा, "मैं संसार में दुनिया में बस रहे लोगो को रविदास जयंती की शुभकामनाएं देता हूँ. इस अवसर पर यहाँ आकर अपना अक़ीदा पेश कर रहा हूँ." 

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रविदास मन्दिर से निकलने के बाद मुख्यमंत्री चन्नी बाकायदा पंजाब से आए श्रद्धालुओं से मिलते हुए सत्संग स्थल भी पहुंचे. हालांकि रविदास मंदिर यात्रा पर चन्नी ने सियासी सवालों से पूरी तरह से कन्नी काटी लेकिन इस दौरान वह पंजाब से आए श्रद्धालुओं साथ पैदल चल कर हाल-चाल पूछते नज़र आए. बता दें कि पंजाब में 20 फरवरी को विधान सभा चुनाव होने हैं. मतों की गिनती 10 मार्च को होगी. 

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संत रविदास का जन्म माघ पूर्णिमा को, आज ही के दिन हुआ था. उनके जन्म स्थली वाराणसी में सीर गोवर्धन में भक्तों के आना का ताँता तीन दिन पहले से हो शुरू हो गया है.  वैसे तो उनके भक्त पूरी दुनिया में फैले हैं  लेकिन पंजाब में सबसे ज़्यादा हैं. पंजाब के दोआब इलाके में रैदासियों की बड़ी संख्या है. 14 फ़रवरी को पंजाब में चुनाव की तारीख घोषित हुई थी लेकिन रैदास जयंती की वजह से उस तारीख को बढ़ा कर 20 फ़रवरी कर दिया गया था.

संत रविदास का जन्म वाराणसी के पास के गांव में हुआ था. माना जाता है इनका जन्म लगभग सन 1450 में हुआ था. उनकी माता का नाम कलसा देवी और पिता का नाम संतोख दास जी था. संत रविदास जी ने लोगों को बिना भेदभाव के आपस में प्रेम करने की शिक्षा दी थी. कहा जाता है कि उन्हें बचपन से ही अलौकिक शक्तियां प्राप्त थीं.

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