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This Article is From Aug 21, 2023

राष्ट्रपति मुर्मू ने आर्मी वाइफ वेलफेयर एसोसिएशन से जुड़ी महिलाओं को किया सम्मानित 

राष्ट्रपति ने कहा कि इन महिलाओं से सीखने को मिलता है कि नारी शक्ति चाह ले तो कुछ भी कर सकती है. इन महिलाओं ने बता दिया कि महिलाएं कितनी हिम्मती होती हैं.

राष्ट्रपति मुर्मू ने आर्मी वाइफ वेलफेयर एसोसिएशन से जुड़ी महिलाओं को किया सम्मानित 
नई दिल्ली:

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को आर्मी वाइफ वेलफेयर एसोसिएशन से जुड़ी महिलाओं को सम्मानित किया. ये ऐसी महिलाएं हैं जिन्होंने मुसीबतों से हार नही मानी, बल्कि उनका डटकर सामना किया. राष्ट्रपति ने इस दौरान नारी शक्ति की अपार क्षमताओं को रेखांकित करते हुए कहा कि विभिन्न चुनौतियों का सामना करते हुए मिसाइल से संगीत तक, विविधि क्षेत्रों में नारी ने सफलताओं की ऊंचाइयों को छुआ है और नारीत्व में ही नेतृत्व समाहित है.

उन्होंने कहा कि मैं सभी देशवासियों की ओर से समस्त वीर नारी बहनों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करती हूं. मुझे यह जानकर संतोष हुआ है कि वीर-नारी बहनों के कल्याण के लिए 'आह्वान' नामक योजना चलाई जा रही है. इसके लिए मैं 'आवा' की विशेष सराहना करती हूं. 'आवा' द्वारा प्रदर्शित की गई उद्यमिता प्रदर्शनी से भारत की नारी प्रतिभा की सुंदर झलक देखने को मिली है.

जयाप्रभा महतो और डॉ संजना नायर दो ऐसी महिलाएं हैं, जिन्होंने संकट के बावजूद अपनी ज़िंदगी संवारी. जया जब 23 साल की थीं, तभी उनके पति देश के लिए लड़ते हुए शहीद हो गए. पांच साल और ढाई साल के 2 बच्चों को पालते हुए वो शिक्षक बनीं. अब वो जेसीआरटी में पढ़ा रही हैं.

एनडीटीवी से बातचीत में जया ने कहा कि अब तो मैंने केसरिया पहन लिया है. सफेद के साथ हरा और केसरिया. आवा ने जीना सीखा दिया. अपने पैरों पर खड़ी हूं. बच्चों को बेहतर तरीके से पाल रही हूं. अपनी गांव की पहली महिला हूं, जो न केवल शूट पहनती है, बल्कि स्कूटी भी चलाती है.

वहीं संजना नायर ने बचपन में ही भयावह क्रूरता झेली. एक बार ख़ुदकुशी का भी खयाल आया. लेकिन उन्होंने फिर से ज़िंदगी शुरू की. उनके पिता फ़ौज में थे. अब पति भी हैं. दो छोटे-छोटे बच्चे हैं. संजना नायर कहती हैं फौजी की बेटी हूं, तो लड़ने की प्रेरणा मिली. अब दूसरों के दुख-दर्द को दूर करने में मदद करती हूं. जय प्रभा और संजना नायक के कंधे पर एक हाथ और था, आर्मी वाइफ वेलफ़ेयर एसोसिएशन का. ये संगठन तमाम ऐसी महिलाओं की मदद करता है.

AWWA एक संस्था है जो सेना कर्मियों की पत्नी, बच्चों और आश्रितों के कल्याण के लिए काम करती है. अपनी स्थापना के बाद से, AWWA का दायरा और पहुंच बढ़ गया है. आज ये देश के सबसे बड़े गैर सरकारी संगठनों में से एक के रूप में काम करता है.

सेना में  लेफ्टिनेंट ज्योति के पति नायक दीपक कुमार आतंकियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए. तीन साल बाद ज्योति पति के सपने और दो बच्चों की खातिर 2021 में सेना में भर्ती हुई. लेफ्टिनेंट ज्योति बताती है कि बहुत गर्व होता है, जब वर्दी में अपने आप को देखती हूं. कहने को भले ही मेरे पति मेरे साथ नहीं हैं, पर सही मायने में वो हमेशा मेरे साथ हैं.

ऐसी तमाम महिलाओं को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने अस्मिता आईकन सम्मान से सम्मानित किया. उन्होंने कहा कि इन महिलाओं से सीखने को मिलता है कि नारी शक्ति चाह ले तो कुछ भी कर सकती है. इन महिलाओं ने बता दिया कि महिलाएं कितनी हिम्मती होती हैं, नारी शक्ति में कितनी ताकत होती है. सेना से जुड़ी महिलाओं की ऐसी सैकड़ों कहानियां हैं, जो दूसरों के लिए मिसाल हैं.

वहीं एडब्ल्यूडब्ल्यूए की अध्यक्ष अर्चना पांडे ने अपने संबोधन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की उपलब्धियों को रेखांकित किया और कहा कि राष्ट्रपति स्वयं नारी शक्ति को प्रदर्शित करती हैं. इस कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की पत्नी सुदेश धनखड़ भी मौजूद रहीं.

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