नई दिल्ली:
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि राष्ट्रपति या एक राज्यपाल एक उपयुक्त मामले में उसके फैसले में रद्दोबदल नहीं कर सकते लेकिन क्षमा या सजा बदलने का आग्रह किए जाने पर वे अपनी राय रख सकते हैं।
न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी और न्यायमूर्ति एसजे मुखोपाध्याय की पीठ ने कहा, "यद्यपि वे (राष्ट्रपति/राज्यपाल) अदालत के अंतिम फैसले को नहीं बदल सकते हैं, लेकिन एक उपयुक्त मामले में वे संपूर्ण अभिलेख देखने के बाद वे क्षमा या सजा बदलने के बारे में अपनी राय व्यक्त कर सकते हैं।"
अदालत ने यह नजरिया संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत राष्ट्रपति और अनुच्छेद 161 के तहत राज्यपाल में निहित शक्तियों की प्रकृति के बारे में पूछे गए प्रश्न के उत्तर में व्यक्त किया।
दिल्ली बम धमाके के दोषी देवेंदर पाल सिंह भुल्लर की क्षमा याचिका पर विचार के दौरान शुक्रवार को एमिकस क्यूरी राम जेठमलानी और टीआर अंध्याजुजिना की ओर से सवाल किया गया था।
न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी और न्यायमूर्ति एसजे मुखोपाध्याय की पीठ ने कहा, "यद्यपि वे (राष्ट्रपति/राज्यपाल) अदालत के अंतिम फैसले को नहीं बदल सकते हैं, लेकिन एक उपयुक्त मामले में वे संपूर्ण अभिलेख देखने के बाद वे क्षमा या सजा बदलने के बारे में अपनी राय व्यक्त कर सकते हैं।"
अदालत ने यह नजरिया संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत राष्ट्रपति और अनुच्छेद 161 के तहत राज्यपाल में निहित शक्तियों की प्रकृति के बारे में पूछे गए प्रश्न के उत्तर में व्यक्त किया।
दिल्ली बम धमाके के दोषी देवेंदर पाल सिंह भुल्लर की क्षमा याचिका पर विचार के दौरान शुक्रवार को एमिकस क्यूरी राम जेठमलानी और टीआर अंध्याजुजिना की ओर से सवाल किया गया था।
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