कोरोनावायरस (Coronavirus) का संक्रमण कम हुआ तो उसके बाद की समस्या भी बड़ी है. बात पोस्ट कोविड तकलीफों की, कोविड से ठीक होने के हफ्तों बाद भी हमारे शरीर में खून के थक्के जमते रहते हैं, जिससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक के मामले देखे जा रहे हैं. खून जमने की ये समस्या हफ्तों तक दिखती है. बिना हृदय रोग वाले, कोविड से ठीक हुए युवा मरीजों में भी हार्ट अटैक के मामले देखे जा रहे हैं. दरअसल कुछ कोरोना रोगी स्वस्थ तो हो गए हैं लेकिन उनके शरीर में खून के थक्के बन रहे हैं.
थक्के दिमाग की नसों में जमे तो ब्रेन स्ट्रोक और दिल की नस में फंसकर रुकावट पैदा करें तो हार्ट अटैक. बीएमसी के कई कोविड सेंटर में मरीजों को देख रहे डॉक्टर द्यानेश्वर वाघमारे बताते हैं कि बिना किसी हृदय रोग वाले युवा कोविड मरीजों को भी पोस्ट कोविड हार्ट अटैक और स्ट्रोक से गुजरना पड़ा है.
डॉक्टर वाघमारे ने कहा, ‘‘दूसरी वेव में नए वेरिएंट के कारण पोस्ट कोविड की तकलीफ भी ज्यादा बड़ी और जटिल है. ब्लड क्लॉटिंग होती है मरीजों में, जिसे थ्रोम्बोसिस बोलते हैं. इसकी वजह से हार्ट अटैक, स्ट्रोक, म्यूकर होता है. पहले 45+ में होता था, इस वेव में 30+ में ज्यादा देख रहे हैं. युवा मरीज जिन्हें कोई हार्ट रिलेटेड दिक्कत नहीं थी, उन्हें भी पोस्ट कोविड अटैक आया है.''
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लायंस क्लब हॉस्पिटल के डॉक्टर सुहास देसाई ने एक पोस्ट कोविड मरीज का MRI स्कैन दिखाते हुए बीमारी से जुड़ी दिक्कतों के बारे में बताया. फोर्टिस अस्पताल के डॉक्टर मनीष हिंदुजा ऐसे करीब 20 मरीजों को ऑपरेट कर चुके हैं.
डॉक्टर हिंदुजा ने कहा, ‘‘वायरस जब शरीर में एंटर करता है तो रिसेप्टर को अटैच होता है, जिसकी वजह से शरीर में क्लॉटिंग टेंडेन्सी बढ़ जाती है और जगह जगह चाहें, हार्ट हो, ब्रेन वेसल्ज़ हो या हाथ-पैर या पेट के वेसल्ज़ हों, इनमें क्लॉट फॉर्मेशन की टेंडेंसी बढ़ जाती है. ऐसे मरीज मैंने करीब 20 ऑपरेट किए हैं, जिन्हें कोविड पॉजिटिव होने के बाद में बाईपास सर्जरी या शरीर या हाथ में से ब्लड क्लॉट निकालने के लिए इमरजेन्सी सर्जरी की जरूरत पड़ी. ऐसे मरीजों का समय पर पता लगाना बहुत जरूरी है.''
एक्सपर्ट्स बताते हैं कि ब्लड क्लॉटिंग कोविड से ठीक होने के 4-7 हफ्ते बाद तक हो सकती है. कोविड संक्रमण से गुजरे मरीज, जो पहले से शुगर या हाई बीपी वाले हैं, धूम्रपान करते हैं, उनमें खतरा कई गुना अधिक है.
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