कच्चातिवु पर राजनीति शुरु, वित्तमंत्री सितारमण ने कहा- श्रीलंका को देने के बाद DMK चुप था?

सीतारमण ने दावा किया कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कच्चातिवु को ‘अड़चन’ करार दिया था.

कच्चातिवु पर राजनीति शुरु, वित्तमंत्री सितारमण ने कहा- श्रीलंका को देने के बाद DMK चुप था?

चेन्नई:

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक) पर कच्चातिवु द्वीप को लेकर दुष्प्रचार करने और इस मुद्दे पर गैर-जिम्मेदाराना बयान देने का आरोप लगाया. भारत ने 1974 में यह द्वीप श्रीलंका को सौंप दिया था.

सीतारमण ने दावा किया कि तत्कालीन द्रमुक अध्यक्ष और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री दिवंगत एम करुणानिधि को उस समय केंद्र में सत्तारूढ़ कांग्रेस के इस कदम की जानकारी थी, लेकिन उन्होंने विरोध नहीं किया.

वित्त मंत्री ने कहा कि 1967 के बाद तमिलनाडु में सत्ता में आने में विफल रही कांग्रेस को इस द्वीप को गंवाने के लिए देश को स्पष्टीकरण देना चाहिए, जिसे पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ‘पत्थर का एक छोटा सा टुकड़ा' कहा था.

सीतारमण ने दावा किया कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कच्चातिवु को ‘अड़चन' करार दिया था.

उन्होंने यहां ‘विकसित भारत ऐम्बेस्डर' परिसर संवाद कार्यक्रम में भाग लेने के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘उन्हें उस झूठ को सुधारना चाहिए जो वे आधी सदी से कहते आ रहे हैं.''

तमिलनाडु में 19 अप्रैल को होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले कच्चातिवु का मुद्दा फिर चर्चा के केंद्र में आ गया है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस द्वीप को 50 साल पहले श्रीलंका को देने के लिए हाल में कांग्रेस और द्रमुक पर निशाना साधा.

कांग्रेस और उसकी सहयोगी द्रमुक, दोनों ने ही चुनाव से पहले भारत और श्रीलंका के बीच पांच दशक पहले हुए द्विपक्षीय समझौते के मुद्दे को उठाने के लिए भाजपा पर पलटवार किया है.

द्रमुक पर संप्रग सरकार की ‘जन विरोधी नीतियों' का समर्थन करने का आरोप लगाते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि द्रमुक ने कच्चातिवु को फिर से पाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को महज 21 पत्र लिखे, वहीं इससे पहले तक यह पार्टी कांग्रेस सरकार के खिलाफ कुछ भी बोलने से बचती रही जो जल्लीकट्टू पर पाबंदी के लिए भी जिम्मेदार थी.

सीतारमण ने दावा किया कि तत्कालीन मुख्यमंत्री करुणानिधि ने बिल्कुल भी आपत्ति नहीं जताई, जबकि तत्कालीन विदेश सचिव ने 1974 में इसे विस्तार से समझाया था. उन्होंने कहा, “लेकिन द्रमुक एक झूठा अभियान चला रही है कि इस द्वीप को उनकी जानकारी के बिना सौंप दिया गया था. हमारे पास उन्हें गलत साबित करने के लिए दस्तावेजी सबूत हैं.''

केंद्र की भाजपा नीत सरकार ने अपने शासन के एक दशक के दौरान इस मामले पर कार्रवाई क्यों नहीं की, विपक्ष के इस सवाल पर वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार ने श्रीलंका में एक मछुआरे को फांसी पर चढ़ने से रोका और उसे सुरक्षित घर पहुंचाया गया. उन्होंने कहा कि इसके अलावा समय-समय पर मछुआरों की रिहाई के लिए कदम उठाए गए हैं. कच्चातिवु को लेकर उच्चतम न्यायालय में दो मुकदमे लंबित हैं.

कच्चातिवु को भाजपा द्वारा चुनावी मुद्दा बनाए जाने के आरोपों को खारिज करते हुए सीतारमण ने कहा, ‘‘इस मुद्दे पर बात करने के लिए कोई समय अच्छा या बुरा नहीं हो सकता. यह देश की सुरक्षा और संप्रभुता से जुड़ा मुद्दा है. यह हमारा अधिकार है.''

उन्होंने कहा कि यह मुद्दा भारतीय मछुआरों के जीवन से भी जुड़ा है और इसे अलग नहीं रखा जा सकता.

मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने कई बार आरोप लगाया है कि दिसंबर 2023 की बाढ़ के दौरान कठिनाई से जूझ रहे राज्य को केंद्र ने एक भी रुपया प्रदान नहीं किया. इस बारे में पूछे जाने पर वित्त मंत्री ने जवाब दिया कि तमिलनाडु को चक्रवाती तूफान मिचौंग से हुए नुकसान से उबरने के लिए 900 करोड़ रुपये की एनडीआरएफ निधि प्रदान की गई थी.

उन्होंने कहा, ‘‘हमने बाढ़ का असर कम करने के कार्यों के लिए तमिलनाडु को विशेष अनुदान के रूप में 5,000 करोड़ रुपये भी दिए थे. तमिलनाडु सरकार ने इन दोनों निधियों के साथ क्या किया?''

सीतारमण ने कहा, ‘‘अगर कम से कम 5,000 करोड़ रुपये सही से खर्च किए गए होते तो चेन्नई पर तूफान मिचौंग का असर नहीं होता.''
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लोकसभा चुनाव के लिए शुरुआत में सीतारमण के नाम की घोषणा होने के बाद भाजपा द्वारा उन्हें आम चुनाव में नहीं उतारने के संबंध में सवाल पर वित्त मंत्री ने कहा कि यह तय करने का काम भाजपा आलाकमान का है कि किसे चुनाव लड़ाना है.



(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)