हरियाणा के नूंह में हुई हिंसा के बाद विश्व हिंदू परिषद (VHP)-बजरंग दल की दिल्ली-एनसीआर में आयोजित विरोध रैलियों के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हेट स्पीच पर कानून काफी जटिल है. ऐसे में पुलिस बल में ही संवेदनशीलता होनी चाहिए. अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों का रचनात्मक समाधान निकालना चाहिए. मामले की सुनवाई दो हफ्ते के बाद होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हेट स्पीच पर कानून को लागू करने में कठिनाई हो रही है. जस्टिस संजीव खन्ना ने पुलिस बलों को उचित रूप से संवेदनशील बनाने का सुझाव दिया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हेट स्पीच के पीड़ित अदालत में आए बिना सार्थक मदद पा सके.
सु्प्रीम कोर्ट ने बुधवार नूंह हिंसा के विरोध में निकाली जा रही वीएचपी और बजरंग दल की रैलियों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई की थी. इस दौरान कोर्ट ने रैलियों पर रोक तो नहीं लगाई, लेकिन पुलिस सहित अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने को कहा था कि इस दौरान कोई हेट स्पीच और हिंसा न हो.
सुनवाई शुरू होते ही जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा, "मुझे आशा है कि चीजें ठीक रहीं? आप मिल बैठकर समाधान क्यों नहीं निकालते." याचिकाकर्ता के वकील वकील निज़ाम पाशा ने कहा, "कुछ लोग बार-बार भाषण दे रहे हैं." इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, "मेरे पास कुछ भाषण भी हैं, जिन्हें मैं याचिकाकर्ता के साथ साझा करूंगा. कुछ वकील हैं जो मुझे क्लिप देते हैं. ये ऐसी क्लिप हैं जो देश के महत्वपूर्ण ढांचे यानी धर्मनिरपेक्षता को ध्वस्त कर देती हैं."
जस्टिस खन्ना ने कहा, "इस मामले का कोई समाधान खोजना होगा. अदालत के बाहर तंत्र तलाशना होगा. जस्टिस खन्ना ने समझाया, "एक ऐसे समाधान की जरूरत है, जो हेट स्पीच के पीड़ितों को अदालत में आए बिना न्याय तक पहुंच प्रदान कर सके. इस समस्या से निपटने का कोई न कोई तरीका होना चाहिए. हर किसी को अदालत में नहीं आना चाहिए. अगर कोई उल्लंघन होता है...यहां तक कि पिछले आदेश में भी, हमने विशेष रूप से कहा था कि सभी पहचान...हर किसी को अदालत में नहीं आना चाहिए. कुछ समाधान निकालना होगा." जस्टिस खन्ना ने इस केस को दो सप्ताह के बाद फिर से सूचीबद्ध करने का आदेश दिया है.
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