
मुंबई पुलिस की अपराध जांच प्रणाली को और अधिक चुस्त-दुरुस्त और तकनीकी रूप से मजबूत बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया जा रहा है. शहर के मरोल इलाके में एक अत्याधुनिक पुलिस डॉग केनेल का निर्माण शुरू हो गया है, जिसकी अनुमानित लागत करीब 10 करोड़ रुपये है. यह सुविधा सिर्फ कार्यरत डॉग्स के लिए ही नहीं, बल्कि बीमार और रिटायर हो चुके कुत्तों की देखरेख के लिए भी समर्पित होगी.
50 से ज्यादा पुलिस डॉग्स के लिए हाई-टेक सुविधाएं
इस अत्याधुनिक केनेल में 50 से अधिक पुलिस डॉग्स को रखा जाएगा. इन कुत्तों की ट्रेनिंग, रहने, चिकित्सा और आराम की तमाम ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए डिजाइन तैयार किया गया है. यहां पर आइसोलेशन वार्ड, विशेष मेडिकल यूनिट और सेवानिवृत्त कुत्तों के लिए स्थायी निवास की व्यवस्था भी की जा रही है.
रिटायर्ड डॉग्स को मिलेगा सम्मान और देखभाल
अब तक पुलिस सेवा से रिटायर होने के बाद डॉग्स को NGO या पशु प्रेमियों को सौंप दिया जाता था. लेकिन अब यह परंपरा बदलेगी. मुंबई पुलिस ने तय किया है कि रिटायर्ड डॉग्स को भी इस केनेल में बेहतर चिकित्सा सुविधाओं और सम्मानजनक जीवन का अधिकार मिलेगा. यह न सिर्फ मानवीय दृष्टिकोण को दर्शाता है, बल्कि डॉग स्क्वाड के प्रति पुलिस बल के जुड़ाव और जिम्मेदारी को भी रेखांकित करता है.
क्राइम सीन, बम डिटेक्शन और VIP ड्यूटी
मुंबई पुलिस की डॉग स्क्वाड दो हिस्सों में बंटी हुई है. एक हिस्सा क्राइम ब्रांच के अंतर्गत कार्य करता है, जिसमें 8 स्पेशलाइज्ड डॉग्स शामिल हैं जो ड्रग डिटेक्शन और क्राइम सीन की जांच में माहिर हैं. वहीं, दूसरा हिस्सा 24 डॉग्स के साथ, बम स्क्वॉड और वीआईपी ड्यूटी में लगातार सक्रिय रहता है.
ट्रेनिंग सेंटर से तैयार होंगे भविष्य के ‘स्नीफर हीरो'
नए परिसर में एक अत्याधुनिक ट्रेनिंग सेंटर भी बनाया जा रहा है, जहां युवा और नए डॉग्स को अपराध स्थल की बारीक जांच, बम और विस्फोटक सामग्री की पहचान, नारकोटिक्स ट्रैकिंग और उच्चस्तरीय सुरक्षा अभियानों में प्रशिक्षित किया जाएगा.
मुंबई पुलिस की डॉग स्क्वाड की स्थापना 1967 में की गई थी और तब से लेकर अब तक इस यूनिट ने कई जटिल मामलों को सुलझाने में अहम योगदान दिया है.
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