नई दिल्ली : बेंगलुरू में होने जा रहे एशिया के सबसे बड़े एयर-शो, 'एयरो इंडिया - 2015' का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 18 फरवरी को करेंगे। पांच दिन (18-22 फरवरी) तक चलने वाली इस प्रदर्शनी में दुनियाभर की करीब 600 (300 भारतीय और 300 विदेशी) कंपनियां हिस्सा लेंगी। हर दो साल में एक बार होने वाली यह प्रदर्शनी वर्ष 1996 में शुरू की गई थी, और अपने 10वें संस्करण में पहुंच रही यह प्रदर्शनी एशिया का सबसे बड़ा एयरो शो है।
इस बार, यानि 'एयरो इंडिया - 2015' का थीम है 'मेक इन इंडिया', जिसमें अमेरिकी स्पेशल फोर्स की एरोबेटिक टीम के अलावा तीन और एरोबेटिक टीमें भी शो में हिस्सा लेंगी। नौ देशों के रक्षामंत्रियों के साथ-साथ मिलिट्री चीफ भी इसमें हिस्सा लेंगे। इन सभी के साथ लगभग 300 कंपनियों के सीईओ भी प्रदर्शनी में शिरकत करेंगे।
इस बार अमेरिका की शो में सबसे ज्यादा भागीदारी है, और उसकी 64 कंपनियां प्रदर्शनी में हिस्सा ले रही हैं, जबकि रूस की 41 कंपनियां शिरकत करने जा रही हैं। इस बार कुल 72 तरह के सिविल और मिलिट्री एयरक्राफ्ट प्रदर्शनी का हिस्सा होंगे। अमेरिका के एफ-15 ईगल एयरक्राफ्ट भी शो में शामिल होंगे, लेकिन रूस का कोई भी सैन्य विमान हिस्सा नहीं ले रहा है। भारतीय वायुसेना के सुखोई (जो रूस में निर्मित है) हिस्सा लेंगे। हालांकि, प्रदर्शनी में कई बड़ी मिलिट्री कंपनियां हिस्सा नहीं ले रही हैं, लेकिन फिनमैकनिका जैसी कंपनियां भाग ले रही हैं, जिसकी सहयोगी कंपनी ऑगस्टा-वैस्टलैंड के खिलाफ वीवीआईपी हेलीकॉप्टर मामले में जांच चल रही है।
पिछले दशक में भारत हथियारों के बड़े खरीदार के रूप में सामने आया है। उसने करीब 60 अरब अमेरिकी डॉलर के हथियार खरीदे हैं, और आने वाले दशक में 120 अरब डॉलर के हथियार और खरीदेगा। गौरतलब है, भारतीय सेना के तीनों अंग हथियारों की भयंकर किल्लत से जूझ रहे हैं। थलसेना को तोपें, हेलीकॉप्टर और अपनी ऑपरेशनल ज़रूरतों को पूरा करने के लिए कई हथियार लेने हैं, जबकि वायुसेना को भी लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर चाहिए। इनके साथ ही नौसेना को भी बढ़ती चुनौतियों के मद्देनज़र पनडुब्बियां और हेलीकॉप्टर जैसे कई साजोसामान की ज़रूरत है।
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