प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पेट्रोल-डीज़ल पर VAT नहीं घटाने को लेकर बुधवार को राज्य सरकारों पर कसे गए तंज को लेकर विपक्ष-शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने तीखे शब्दों में पलटवार किया है.
देशभर में कोरोना के हालात पर बुधवार को मुख्यमंत्रियों के साथ हुई एक बैठक में विपक्ष-शासित कई राज्यों में ईंधन की ऊंची कीमतों का ज़िक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने इसे 'अन्याय' करार दिया था, और राज्य सरकारों से आग्रह किया था कि वे आम आदमी को लाभ देने के उद्देश्य से 'राष्ट्रहित' में VAT को घटाएं. प्रधानमंत्री ने कहा कि नवंबर में उनकी केंद्र सरकार द्वारा एक्साइज़ ड्यूटी घटा दिए जाने के बावजूद कई राज्यों ने VAT घटाने का उनका आग्रह नहीं माना, और राज्य सरकारों से कहा कि सहयोगी संघवाद की मूल भावना को ध्यान में रखते हुए वैश्विक संकट के दौर में काम करने का आग्रह किया. उन्होंने इस संदर्भ में महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, केरल, झारखंड और तमिलनाडु का नाम भी लिया था.
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (KCR) ने गुरुवार को कहा कि राज्यों से टैक्स घटाने के लिए कहने पर प्रधानमंत्री को 'शर्म आनी चाहिए'. उन्होंने कहा कि उनके राज्य में वर्ष 2015 से ईंधन टैक्स में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है.
KCR ने कहा, "राज्यों से कहने के स्थान पर केंद्र टैक्स में कटौती क्यों नहीं कर देता...? केंद्र ने न सिर्फ टैक्स बढ़ाए हैं, वह सेस भी एकत्र करता है... अगर आपमें हिम्मत है, तो बताएं, टैक्स क्यों बढ़ाया गया..."
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि उनकी सरकार ने पिछले तीन साल में पेट्रोल और डीज़ल पर सब्सिडी देने के लिए 1,500 करोड़ रुपये खर्च किए. पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरी तरह एकतरफा और गुमराह करने वाला भाषण दिया... उनके द्वारा पेश किए गए तथ्य गलत हैं... हम पिछले तीन साल से पेट्रोल और डीज़ल के प्रत्येक लीटर पर एक रुपये की सब्सिडी देते आ रहे हैं... हमने इस मद में 1,500 करोड़ रुपये खर्च किए हैं..."
ममता बनर्जी ने कहा, "केंद्र के पास हमारे 97,000 करोड़ रुपये बकाया हैं... जिस दिन हमें आधी रकम भी मिल गई, अगले ही दिन हम पेट्रोल और डीज़ल पर 3,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी दे देंगे... मुझे सब्सिडी से कोई समस्या नहीं है, लेकिन मैं सरकार कैसे चलाऊंगी...?"
उन्होंने कहा कि बुधवार को हुई बैठक में मुख्यमंत्रियों के बोलने का कोई साधन नहीं था, इसलिए उनमें से कोई भी प्रधानमंत्री की बातों का जवाब नहीं दे सका.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने BJP-शासित उत्तर प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों द्वारा पेट्रोल और डीज़ल पर 5,000 करोड़ और 3,000 करोड़ की सब्सिडी देने के लिए तारीफ करने के लिए भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गलत करार दिया, और कहा कि इन राज्यों को केंद्र से खासी वित्तीय सहायता मिलती है, जबकि उनके राज्य को काफी कम मदद दी जाती है.
इस बीच, ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने भी प्रधानमंत्री पर बरसते हुए ट्वीट किया, "श्री नरेंद्र मोदी, आपका एजेंडा राज्यों को शर्मिन्दा करने का था... जनता का बोझ कम करने के लिए केंद्र क्या कर रहा है...? आवश्यक वस्तुओं के दाम घटाने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं...? लोकतंत्र पर बुलडोज़र न चलाइए... हमसे सबक लीजिए..."
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि पेट्रोल और डीज़ल की बढ़ती कीमतों के लिए राज्य सरकारों को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता. उन्होंने कहा, "आज, मुंबई में एक लीटर डीज़ल की कीमत में 24.38 रुपये केंद्र के हैं, और 22.37 रुपये राज्य के हैं... एक लीटर पेट्रोल की कीमत में 31.58 रुपये केंद्रीय टैक्स है, और 32.55 राज्य का टैक्स है... इसलिए यह सच हीं है कि पेट्रोल और डीज़ल राज्य की वजह से महंगे हुए हैं..."
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