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This Article is From Apr 27, 2022

पेट्रोल-डीज़ल से VAT नहीं घटाने वाले राज्यों पर PM ने साधा निशाना, अधिकारियों ने जारी किए आंकड़े

जिन राज्यों ने ईंधन पर अपने वैट में कटौती की है, उनको कुल 15,969 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ. इसमें से 11,398 करोड़ रुपये खुद बीजेपी शासित राज्यों ने छोड़े. 

पेट्रोल-डीज़ल से VAT नहीं घटाने वाले राज्यों पर PM ने साधा निशाना, अधिकारियों ने जारी किए आंकड़े
प्रधानमंत्री ने पेट्रोल डीजल से VAT कम करने के लिए राज्यों से अपील की
नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने पेट्रोल डीजल के बढ़ते दामों पर आज चुप्पी तोड़ी. कोविड महामारी को लेकर मुख्यमंत्रियों की बैठक में उन्होंने विपक्ष के शासन वाले राज्यों से अपील की कि वे पेट्रोल-डीजल पर वैट घटाएं. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने पिछले साल एक्साइज में कटौती की थी. इसके बाद बीजेपी के शासन वाले राज्यों ने वैट घटा कर जनता को राहत दी थी. लेकिन ऐसा विपक्ष के शासन वाले राज्यों में नहीं किया गया. पीएम मोदी ने आज अपने संबोधन में विपक्ष के शासन वाले राज्यों में पेट्रोल की बढ़ी कीमतों की तुलना उनके पड़ोस वाले बीजेपी तथा एनडीए के शासन वाले राज्यों से की और बताया कि किस तरह वैट कम न करने के कारण इन राज्यों में पड़ोसी राज्यों की में पेट्रोल-डीजल महंगा है. 

इस बीच आला स्तर के सरकारी सूत्रों ने आंकड़ें साझा किए हैं जो बताते हैं कि किस तरह वैट न घटा कर विपक्ष के शासन वाले राज्यों ने पिछले साल नवंबर से लेकर अब तक राजस्व कमाया है. इसके मुताबिक वैट में कटौती न करने से इन राज्यों को पिछले छह महीने में पेट्रोल पर 4772 और डीजल पर 7669 करोड़ रुपए का राजस्व मिला जो कि कुल मिला कर 12,441 करोड़ रुपए बनता है. इनमें सबसे अधिक महाराष्ट्र को 3472 करोड़ रुपए मिले. तमिलनाडु को 2924, पश्चिम बंगाल को 1343, आंध्र प्रदेश को 1371, तेलंगाना को 1302, केरल को 1187, झारखंड को 664, दिल्ली को 173 और लक्षद्वीप को पांच करोड़ रुपए का राजस्व मिला. दिल्ली ने पेट्रोल पर वैट कम कर दिया था लेकिन डीजल पर नहीं किया था.

जबकि बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के शासन वाले राज्यों ने पिछले साल नवंबर में केंद्र के एक्साइडज में कटौती के साथ ही वैट में कटौती कर दी थी. इससे उन्हें 16 हजार करोड़ से अधिक रुपए की राजस्व हानि हुई. हालांकि उस समय कांग्रेस के शासन वाले राजस्थान और पंजाब तथा बीजेडी के शासन वाले ओड़िशा ने भी वैट में कमी की थी. आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने पिछले साल नवंबर में पेट्रोल पर पांच रुपए तथा डीजल पर दस रुपए एक्साइज की कटौती की थी.  

बताते चलें कि 3 नवम्बर  2021 को मोदी सरकार ने पेट्रोल पर 5 रुपये और डीजल पर 10 रुपये एक्साइज ड्यूटी में कम करने का फैसला लिया था. कटौती के कारण केंद्र सरकार द्वारा छोड़ा गया राजस्व लगभग 8,700 करोड़ रुपये प्रति माह और सालाना 1 लाख करोड़ रुपये है.  केंद्र सरकार के इस कदम के बाद, सभी BJP शासित राज्यों ने और कुछ अन्य राज्यों ने पेट्रोल और डीजल पर अपना वैट कम कर दिया.

वैट दरों में कटौती करने वाले राज्यों ने औसतन डीजल के लिए 5 रुपये प्रति लीटर और पेट्रोल के लिए 6 रुपये प्रति लीटर की कटौती की थी. नवंबर 2021 और मार्च 2022 के बीच, जिन राज्यों ने ईंधन पर अपने वैट में कटौती की है, उनको कुल 15,969 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ. इसमें से 11,398 करोड़ रुपये खुद बीजेपी शासित राज्यों ने छोड़े. 7 राज्यों महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, केरल और झारखंड- ने अभी भी अपनी दरों में कटौती नहीं की है.  ईंधन पर अपने करों में कटौती न करके, इन राज्यों ने ईंधन करों में कटौती करने वाले अन्य राज्यों की तुलना में लगभग 11,945 करोड़ रुपये की अतिरिक्त कमाई की है.

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