
- PM मोदी ने बिहार के गयाजी में कहा कि मंत्री और मुख्यमंत्री जेल में रहकर भी सत्ता का सुख भोगते हैं, जो अनुचित.
- अमित शाह द्वारा लोकसभा में पेश 130वें संविधान संशोधन बिल में मंत्रियों की गिरफ्तारी पर पद त्याग का प्रावधान.
- पीएम मोदी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़े कानून की बात कही, जिसमें सभी जनप्रतिनिधि और प्रधानमंत्री भी शामिल होंगे.
बिहार के गयाजी में रैली के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विधानसभा चुनाव के लिए एक बड़ा मुद्दा दे दिया है. विपक्षियों पर हमला करते हुए पीएम मोदी ने 'जेल से सरकार' पर मास्टर स्ट्रोक खेल दिया है. पीएम मोदी ने कहा कि अगर किसी छोटे सरकारी कर्मचारी को 50 घंटे तक हिरासत में रख दिया, तो अपने आप वह सस्पेंड हो जाता है, लेकिन मंत्री और मुख्यमंत्री जेल में रहकर भी सरकार चलाते हैं. पीएम मोदी ने सवाल उठाया क्या है जायज है? क्या किसी मंत्री या मुख्यमंत्री को भी गिरफ्तार होने पर अपनी कुर्सी छोड़ नहीं देनी चाहिए? प्रधानमंत्री मोदी के इस बयान से संकेत मिल रहे हैं कि भ्रष्टाचार को लेकर बीजेपी इसे आगे भी मुद्दा बनाएगी. बिहार चुनाव में ये मुद्दा जोर-शोर से उठ सकता है.
दरअसल, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले दिनों लोकसभा में 130वां संविधान संशोधन बिल, 2025 पेश किया है. इस बिल में केंद्र और राज्य के उन मंत्रियों को हटाने का प्रावधान है, जो भ्रष्टाचार या गंभीर अपराध के मामले में कम से कम 30 दिनों के लिए हिरासत में या गिरफ़्तार किए गए हैं. इस संविधान संशोधन का विपक्षी सांसदों ने भारी विरोध किया.
...तो क्यों मंत्री जेल में रहकर सत्ता का सुख भोग सकता है?
ऐसा शायद पहली बार देखने को मिला है, जब प्रधानमंत्री मोदी किसी संविधान संशोधन बिल पर एक तरह से 'जनमत संग्रह' कर रहे हैं. गयाजी की रैली में पीएम मोदी ने कहा, 'इतने सालों में हमारी सरकार पर भ्रष्टाचार का एक दाग नहीं लगा है. 60-65 साल सरकार में रही कांग्रेस के भ्रष्टाचार की लिस्ट लंबी है. आरजेडी का भ्रष्टाचार तो बिहार का बच्चा-बच्चा जानता है. मेरा साफ मानना है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को अगर अंजाम तक पहुंचाना है, तो कोई भी कार्रवाई के दायरे से बाहर नहीं होना चाहिए. आज कानून है कि अगर किसी छोटे सरकारी कर्मचारी को 50 घंटे तक हिरासत में रख दिया, तो अपने आप वह सस्पेंड हो जाता है. ड्राइवर, छोटा क्लर्क हो उसकी जिंदगी हमेशा के लिए तबाह हो जाती है. अगर कोई मुख्यमंत्री है, मंत्री, कोई मुख्यमंत्री है, तो वह जेल में रहकर भी सत्ता का सुख भोग सकता है. यह कैसे हो सकता है?
#WATCH | PM Narendra Modi says, "... If a government employee is imprisoned for 50 hours, then he loses his job automatically, be it a driver, a clerk or a peon. But a CM, a Minister, or even a PM can enjoy staying in the government even from jail... Some time ago, we saw how… pic.twitter.com/1iY1hXr3Xp
— ANI (@ANI) August 22, 2025
'जेल से ही सरकारी आदेश निकाले जा रहे थे'
पीएम मोदी ने कहा, 'हमने कुछ समय पहले ही देखा कि कैसे जेल से ही फाइलों पर साइन किए जा रहे थे. जेल से ही सरकारी आदेश निकाले जा रहे थे. नेताओं का अगर यही रवैया रहेगा, तो ऐसे भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई कैसे लड़ी जाएगी. संविधान हर जन प्रतिनिधि से ईमानदारी और पारदर्शिता की उम्मीद करता है. हम संविधान की मर्यादा को तार तार होते नहीं देश सकते है. इसलिए एनडीए सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ ऐसा कानून लाई है, जिसके दायरे में देश का प्रधानमंत्री भी है. इस कानून में मुख्यमंत्री और मंत्रियों को भी शामिल किया गया है. जब यह कानून बन जाएगा, तो प्रधानमंत्री हो या मुख्यमंत्री या फिर कोई भी मुख्यमंत्री, उसे गिरफ्तारी के 30 दिन के अंदर जमानत लेनी होगी. अगर जमानत नहीं मिली, तो 31वें दिन उसे कुर्सी छोड़नी होगी. जो जेल जाए, उसे कुर्सी छोड़नी चाहिए या नहीं? क्या वह कुर्सी पर बैठा रह सकता है क्या? क्या जेल से कोई सरकार सकता है?'

लालटेन राज की दिलाई याद
प्रधानमंत्री ने कहा कि बिहार का तेज विकास केंद्र की एनडीए सरकार की बहुत बड़ी प्राथमिकता है. इसलिए आज बिहार चौतरफा विकास के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है. बीते समय में पुरानी समस्याओं के समाधान तलाशे गए और नई प्रगति के रास्ते बनाए गए. उन्होंने बिहार के लोगों को पुराने दिन याद दिलाते हुए कहा, 'याद करें, 'लालटेन राज' में बिहार की क्या दुर्दशा थी। 'लालटेन राज' में यह क्षेत्र लाल आतंक से जकड़ा हुआ था. माओवादियों के कारण शाम के बाद आना-जाना मुश्किल होता था.'
इससे पहले, पीएम नरेंद्र मोदी ने बिहार के गयाजी में लगभग 13,000 करोड़ रुपए की लागत वाली कई विकास परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया. ये परियोजनाएं बिजली, सड़क, स्वास्थ्य, शहरी विकास और जल आपूर्ति जैसे क्षेत्रों से संबंधित हैं.
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