पीएम मोदी के शो ‘मन की बात’ के हैं 23 करोड़ नियमित श्रोता : IIM के सर्वे में हुआ खुलासा

IIM रोहतक के छात्रों द्वारा किए गए सर्वे में चार क्षेत्रों - उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम और विभिन्न आयु समूहों में 10,003 उत्तरदाताओं से संपर्क किया गया, जिनमें से अधिकांश स्व-रोजगार और अनौपचारिक क्षेत्र से जुड़े थे.

पीएम मोदी के शो ‘मन की बात’ के हैं 23 करोड़ नियमित श्रोता : IIM के सर्वे में हुआ खुलासा

पीएम की 'मन की बात' 11 विदेशी भाषा में भी होता है प्रसारित

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री के रेडियो शो मन की बात को देश भर में नियमित रूप से 23 करोड़ लोग सुनते हैं. जबकि देश में ऐसे लोगों की संख्या 100 करोड़ से अधिक है जिन्होंने कम से कम एक बार इस कार्यक्रम को सुना हो. जबकि 41 कार्यक्रम को सुना है, जबकि लगभग 41 करोड़ सामयिक श्रोता हैं. IIM के सर्वे में इसका खुलासा हुआ है. इस सर्वे में कहा गया है कि पीएम के संबोधन को हिंदी भाषा में सुनने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है. 65 फीसदी श्रोता ऐसे हैं जो चाहते हैं कि पीएम 'मन की बात' में अपना संबोधन हिंदी में ही दें. 

IIM रोहतक के सर्वे में हुआ खुलास

IIM रोहतक द्वारा किए गए सर्वेक्षण में यह बात सामने आई। मन की बात की 100वीं कड़ी का प्रसारण इस रविवार को किया जाएगा.इस सर्वे में पाया गया कि ‘मन की बात' कार्यक्रम मोबाइल फोन के बाद टेलीविजन चैनलों पर अधिक सुना जाता है, जिसमें रेडियो श्रोताओं की संख्या कुल श्रोताओं का 17.6 प्रतिशत है. IIM रोहतक के निदेशक धीरज पी. शर्मा ने सोमवार को बताया कि कुल श्रोताओं में से 44.7 प्रतिशत टेलीविजन सेट पर कार्यक्रम सुनते हैं, जबकि 37.6 प्रतिशत मोबाइल फोन पर इसे सुनते हैं. 

11 विदेशी भाषाओं में होता है प्रसारित

वहीं, प्रसार भारती के मुख्य कार्यकारी अधिकारी गौरव द्विवेदी ने कहा कि 22 भारतीय भाषाओं और 29 बोलियों के अलावा, ‘मन की बात' फ्रेंच, चीनी, इंडोनेशियाई, तिब्बती, बर्मी, बलूची, अरबी, पश्तू, फारसी, दारी और स्वाहिली जैसी 11 विदेशी भाषाओं में प्रसारित किया जाता है.कार्यक्रम का प्रसारण आकाशवाणी के 500 से अधिक केंद्रों द्वारा किया जा रहा है.

इन भाषाओं में भी होता है प्रसारित

IIM रोहतक के छात्रों द्वारा किए गए सर्वे में चार क्षेत्रों - उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम और विभिन्न आयु समूहों में 10,003 उत्तरदाताओं से संपर्क किया गया, जिनमें से अधिकांश स्व-रोजगार और अनौपचारिक क्षेत्र से जुड़े थे.सर्वे में पाया गया कि 18 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कार्यक्रम को अंग्रेजी में, चार प्रतिशत ने उर्दू में, और दो प्रतिशत डोगरी और तमिल में सुनना पसंद किया. इसमें पाया गया कि अन्य भाषाओं जैसे मिज़ो, मैथिली, असमिया, कश्मीरी, तेलुगु, ओडिया, गुजराती और बंगाली के श्रोताओं की हिस्सेदारी कुल श्रोताओं की नौ प्रतिशत थी.

इन मुद्दों को पंसद करते हैं लोग

सर्वेक्षण में पाया गया कि 73 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने सरकार के कामकाज और देश की प्रगति के बारे में आशावादी महसूस किया, जबकि 58 प्रतिशत ने कहा कि उनके जीवनस्तर में सुधार हुआ है. कम से कम 59 प्रतिशत ने सरकार में भरोसा बढ़ने की जानकारी दी.सरकार के प्रति आम धारणा का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 63 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि सरकार के प्रति उनका दृष्टिकोण सकारात्मक हो गया है और 60 प्रतिशत ने राष्ट्र निर्माण के लिए काम करने में रुचि दिखाई. ‘मन की बात' कार्यक्रम के सबसे लोकप्रिय विषय भारत की वैज्ञानिक उपलब्धियां, आम नागरिकों की कहानियां, सशस्त्र बलों की वीरता, युवाओं, पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन से जुड़े मुद्दे थे.

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