प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) आज देश की पहली अंडर वॉटर मेट्रो ट्रेन का उद्घाटन किया है. बता दें कि कोलकाता की अंडर वॉटर मेट्रो (Under Water Metro Train) का निर्माण हुगली नदी (Hooghly River) के नीचे किया गया है. कुछ दिन पहले ही रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कोलकाता मेट्रो रेल (Kolkata Underwater Metro) सेवाओं की समीक्षा की थी और आज पीएम मोदी इसे देश को समर्पित किया है.
यहां आपको बता दें कि पीएम मोदी ने कोलकाता से ही आगरा मेट्रो का भी वर्चुअल उद्घाटन किया है.आगरा में मेट्रो की शुरुआत ताजमहल मेट्रो स्टेशन से की गई है. इतना ही नहीं पीएम मोदी ने मेट्रो का उद्घाटन करने के बाद स्कूल के बच्चों के साथ मेट्रो में सफर भी किया. इस दौरान उन्होंने बच्चों के साथ बातचीत भी की.
#WATCH | West Bengal: Prime Minister Narendra Modi interacts with school students as they travel in India's first underwater metro train, in Kolkata. pic.twitter.com/lQye0OnuqP
— ANI (@ANI) March 6, 2024
नदी के तल से 32 मीटर नीचे बनाई गई है मेट्रो
बता दें कि ये अंडर वॉटर मेट्रो टनल हावड़ा मैदान-एस्प्लेनेड सेक्शन के बीच में दौड़ेगी. इस मेट्रो टनल को हुगली नदी के तल से 32 मीटर नीचे बनाया गया है. कोलकाता मेट्रो हावड़ा मैदान-एस्प्लेनेड टनल भारत में किसी भी नदी के नीचे बनाया जाने वाला पहला ट्रांसपोर्ट टनल है. माना जा रहा है कि यह अंडरग्राउंड मेट्रो 45 सेकेंड में हुगली नदी के नीचे 520 मीटर की दूरी तय करेगी.
इस रूट पर होंगे 4 अंडरवॉटर मेट्रो स्टेशन
हावड़ा मैदान से एस्प्लेनेड तक 4.8 किलोमीटर का रूट बनकर तैयार हो गया है. इस रूट में 4 अंडरग्राउंड स्टेशन - हावड़ा मैदान, हावड़ा स्टेशन, महाकरण और एस्प्लेनेड हावड़ा स्टेशन शामिल हैं, जो जमीन से 30 किलोमीटर नीचे बने हुए हैं. ये दुनिया में सबसे गहराई में बनाया गया मेट्रो स्टेशन है. इससे पहले लंदन और पेरिस में ही पानी के नीचे मेट्रो रूट बने हुए हैं.
2010 में इस प्रोजेक्ट की हुई थी शुरुआत
कोलकाता मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के डायरेक्टर सैयद मो. जमील हसन ने बताया कि 2010 में टनल बनाने का कॉन्ट्रैक्ट एफकॉन्स कंपनी को दिया गया था. एफकॉन्स ने अंडर वॉटर मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए जर्मन कंपनी हेरेनकनेक्ट सेल बोरिंग मशीन (टीबीएम) मंगाईं थी. इन मशीनों के नाम प्रेरणा और रचना हैं, जो एफकॉन्स के एक कर्मचारी की बेटियों के नाम पर हैं.
टनल के लिए सही जगह की पहचान के लिए हुआ था सर्वे
इस प्रोजेक्ट की सबसे बड़ी दो चुनौतियां यहीं थीं कि खुदाई के लिए सही मिट्टी का चुनाव कैसे होगा और दूसरा टीबीएम की सेफ्टी कोलकाता में हर 50 मीटर की दूरी पर अलग-अलग तरह की मिट्टी मिलती है. टनल के लिए सही जगह की पहचान के लिए मिट्टी के सर्वे में ही 5 से 6 महीने गुजर गए थे और 3 से 4 बार सर्वे किए जाने के बाद तय किया गया कि हावड़ा ब्रिज से हुगली नदी के तल से 13 मीटर नीचे की मिट्टी पर टनल बनाई जा सकती है.
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