
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और 27 देशों के यूरोपीय संघ के शीर्ष नेताओं एंटोनियो कोस्टा और उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने अमेरिका की विघटनकारी व्यापार नीतियों के बीच नियम-आधारित वैश्विक व्यवस्था को बढ़ावा देने का संकल्प लिया. इस बातचीत में भारत और यूरोपीय संघ (ईयू) ने दिसंबर तक अपने बहुप्रतीक्षित मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को अंतिम रूप देने का संकल्प लिया.
कोस्टा और वॉन डेर लेयेन के साथ संयुक्त रूप से फोन कॉल में मोदी ने यूक्रेन संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान और शांति एवं स्थिरता की शीघ्र बहाली के लिए भारत के निरंतर समर्थन को दोहराया. प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि नेताओं ने वैश्विक मुद्दों का साथ मिलकर समाधान करने और पारस्परिक समृद्धि के लिए नियम-आधारित व्यवस्था को बढ़ावा देने में भारत-यूरोपीय संघ रणनीतिक साझेदारी की भूमिका को रेखांकित किया.
भारत में अगला भारत-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन
तीनों नेताओं के बीच फोन पर बातचीत ऐसे समय हुई है जब भारत अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप नीत प्रशासन द्वारा भारतीय वस्तुओं पर लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ के प्रभाव को कम करना चाहता है.तीनों नेताओं ने आपसी सुविधानुसार शीघ्र ही भारत में अगला भारत-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन आयोजित करने पर भी चर्चा की और प्रधानमंत्री मोदी ने इसके लिए कोस्टा और वॉन डेर लेयेन को आमंत्रित किया.
बातचीत में यूक्रेन संघर्ष का मुद्दा भी उठा और वॉन डेर लेयेन ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि रूस को उसके युद्ध को समाप्त करने में मदद करने और शांति की दिशा में मार्ग बनाने में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका है.यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष लेयेन ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की के साथ भारत के निरंतर सहयोग का स्वागत किया. उन्होंने कहा, 'विश्व के लिए इस युद्ध के गंभीर परिणाम होंगे और यह आर्थिक स्थिरता को कमज़ोर करेगा. इसलिए यह पूरी दुनिया के लिए एक ख़तरा है.'
भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौते पर हुई बात
यह फोन कॉल मुख्य रूप से भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौते और शिखर सम्मेलन पर केंद्रित थी. यह कॉल यूरोपीय संघ के व्यापार आयुक्त मारोस सेफकोविक की नयी दिल्ली की योजनाबद्ध यात्रा से कुछ दिन पहले हुई है, जिसमें दोनों पक्षों द्वारा व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की खबरें हैं.
भारत और यूरोपीय संघ ने आठ वर्षों के अंतराल के बाद जून 2022 में मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के लिए वार्ता पुनः शुरू की. बयान में कहा गया, ‘‘दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक ताकतों के रूप में, भारत और यूरोपीय संघ के बीच विश्वास, साझा मूल्यों और भविष्य के लिए एक समान दृष्टिकोण पर आधारित मज़बूत और घनिष्ठ संबंध है.''
नेताओं ने व्यापार, प्रौद्योगिकी, निवेश, नवाचार, स्थिरता, रक्षा, सुरक्षा और आपूर्ति शृंखला लचीलेपन जैसे प्रमुख क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति का भी स्वागत किया और भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौते वार्ता के शीघ्र समापन और आईएमइइसी (भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा) के कार्यान्वयन के लिए साझा प्रतिबद्धता की पुष्टि की.
इस वर्ष के अंत तक हो सकता है समझौता
लेयेन ने कहा, 'आगे की ओर देखते हुए, हम 2026 में यथाशीघ्र अगले यूरोपीय संघ-भारत शिखर सम्मेलन में एक संयुक्त रणनीतिक एजेंडे पर सहमत होने की योजना बना रहे हैं. हम वर्ष के अंत तक मुक्त व्यापार समझौते पर वार्ता को पूरा करने के लिए भी पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं. इसे प्राप्त करने के लिए अभी प्रगति की आवश्यकता है.'
पीएमओ के बयान में कहा गया कि नेताओं ने यूक्रेन में संघर्ष को समाप्त करने के प्रयासों सहित आपसी हित के क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी विचार-विमर्श किया. प्रधानमंत्री मोदी ने संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान और शांति एवं स्थिरता की शीघ्र बहाली के लिए भारत के निरंतर समर्थन को दोहराया.
आईएमइइसी पहल को 2023 में दिल्ली में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान अंतिम रूप दिया गया. इसे एक अग्रणी पहल बताया जा रहा है और इसका उद्देश्य सऊदी अरब, भारत, अमेरिका और यूरोप के बीच एक वृहद सड़क, रेलमार्ग और शिपिंग नेटवर्क स्थापित करना है, जिसका उद्देश्य एशिया, मध्य पूर्व और पश्चिम के बीच एकीकरण सुनिश्चित करना है.
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