प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के संबंध में एक शिखर सम्मेलन को संबोधित किया, जिसमें उन्होंने कहा कि सरकार लगातार किसानों की आय बढ़ाने को लेकर कदम उठा रही है. पीएम ने गुजरात के आणंद में कृषि और खाद्य प्रसंस्करण पर राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन के समापन सत्र के दौरान वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से किसानों को संबोधित कर रहे हैं. पीएम ने अपने संबोधन में कहा कि 'यह भारत के किसान के लिए सम्मेलन है.' उन्होंने कहा कि 21वीं सदी में कृषि से बदलाव आएगा.
पीएम मोदी ने अपनी सरकार के दौरान किसानों के लिए किए काम गिनाते हुए कहा कि 'बीते 6-7 साल में बीज से लेकर बाज़ार तक, किसान की आय को बढ़ाने के लिए एक के बाद एक अनेक कदम उठाए गए हैं. मिट्टी की जांच से लेकर सैकड़ों नए बीज तक, पीएम किसान सम्मान निधि से लेकर लागत का डेढ़ गुणा एमएसपी तक, सिंचाई के सशक्त नेटवर्क से लेकर किसान रेल तक, सरकार ने अनेक कदम उठाए हैं.'
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पीएम ने किसानों से कहा कि पुरानी भारतीय सभ्यता में किसानी पर काफी सूत्र दिए गए हैं और आज इन जड़ों की और लौटने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि 'आज दुनिया जितना आधुनिक हो रही है, उतना ही ‘back to basic' की ओर बढ़ रही है. इस Back to basic का मतलब क्या है? इसका मतलब है अपनी जड़ों से जुड़ना! इस बात को आप सब किसान साथियों से बेहतर कौन समझता है? हम जितना जड़ों को सींचते हैं, उतना ही पौधे का विकास होता है; कृषि से जुड़े हमारे इस प्राचीन ज्ञान को हमें न सिर्फ फिर से सीखने की ज़रूरत है, बल्कि उसे आधुनिक समय के हिसाब से तराशने की भी ज़रूरत है. इस दिशा में हमें नए सिरे से शोध करने होंगे, प्राचीन ज्ञान को आधुनिक वैज्ञानिक फ्रेम में ढालना होगा.'
कृषि से जुड़े हमारे इस प्राचीन ज्ञान को हमें न सिर्फ फिर से सीखने की ज़रूरत है, बल्कि उसे आधुनिक समय के हिसाब से तराशने की भी ज़रूरत है।
— PMO India (@PMOIndia) December 16, 2021
इस दिशा में हमें नए सिरे से शोध करने होंगे, प्राचीन ज्ञान को आधुनिक वैज्ञानिक फ्रेम में ढालना होगा: PM @narendramodi
पीएम ने ये भी कहा कि छोटे किसानों के लिए प्राकृतिक खेती काफी फायदेमंद होगी. उन्होंने कहा कि 'नैचुरल फार्मिंग से जिन्हें सबसे अधिक फायदा होगा, वो हैं देश के 80 प्रतिशत किसान. वो छोटे किसान, जिनके पास 2 हेक्टेयर से कम भूमि है. इनमें से अधिकांश किसानों का काफी खर्च, केमिकल फर्टिलाइजर पर होता है. अगर वो प्राकृतिक खेती की तरफ मुड़ेंगे तो उनकी स्थिति और बेहतर होगी.'
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