रामसेतु को ऐतिहासिक स्मारक के रूप में मान्यता देने की याचिका : SC से Modi सरकार-"विचार-विमर्श का दौर जारी"

सुब्रमण्यम स्वामी ने अपनी याचिका में कहा है कि रामसेतु लाखों हिन्दुओं की आस्था से जुड़ा है. इसे न तोड़ा जाए और रामसेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया जाए.

रामसेतु को ऐतिहासिक स्मारक के रूप में मान्यता देने की याचिका : SC से Modi सरकार-

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फरवरी के दूसरे हफ्ते में इस मामले पर सुनवाई करेंगे. 

नई दिल्ली:

रामसेतु को ऐतिहासिक स्मारक के रूप में मान्यता देने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फरवरी के पहले हफ्ते तक अपना रूख बताते हुए हलफनामा दाखिल करने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फरवरी के दूसरे हफ्ते में इस मामले पर सुनवाई करेंगे. वहीं केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मामले में सरकार में विचार-विमर्श का दौर जारी है. हम इस मामले में फरवरी के पहले हफ्ते में जवाब दाखिल करेंगे. वहीं याचिकाकर्ता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि पिछली सुनवाई में SG मेहता ने कहा था कि एक दिसंबर तक जवाब दाखिल करेंगे. इस मामले में कैबिनेट सेकेट्री को तलब किया जाना चाहिए.

सुब्रमण्यम स्वामी हैं याचिकाकर्ता

CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने SG से कहा कि स्वामी कह रहे हैं कि आपने अपना वादा पूरा नहीं किया. 10 नवंबर 2022 को भी सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि वो चार हफ्ते में याचिका पर हलफनामा दाखिल करे. याचिकाकर्ता सुब्रमण्यम स्वामी ने सवाल उठाया कि कई सालों से मामला अटका पड़ा है. सरकार को बस इतना बताना है कि वो रामसेतु को ऐतिहासिक स्मारक घोषित करना चाहती है या नहीं.

2018 में किया था मेंशन

दरअसल, स्वामी ने 2020 में भी रामसेतु को ऐतिहासिक स्मारक के रूप में मान्यता देने की याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद़दे पर कहा था कि इस मामले में तीन महीने बाद विचार किया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को एक हलफनामा दाखिल करके अपना रुख भी स्पष्ट करने को कहा था. सुब्रमण्यम स्वामी ने सर्वोच्च अदालत में रामसेतु का मुद्दा उठाया था. उन्होंने साल 2018 में रामसेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की याचिका सुप्रीम कोर्ट में मेंशन की थी.

रामसेतु को कोई नुकसान नहीं होगा

मोदी सरकार रामसेतु मामले पर अपना रुख पहले ही स्पष्ट कर चुकी है. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना हलफनामा दाखिल कर सेतु समुद्रम परियोजना और राम सेतु के बारे में कहा था कि समुद्र में जहाजों की आवाजाही को सुगम बनाने के लिए प्रस्तावित सेतु समुद्रम परियोजना के लिए रामसेतु को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा. परियोजना के लिए सरकार कोई दूसरा वैकल्पिक मार्ग तलाशेगी. स्वामी ने अपनी याचिका में कहा है कि रामसेतु लाखों हिन्दुओं की आस्था से जुड़ा है. इसे न तोड़ा जाए और रामसेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया जाए. 

वैकल्पिक मार्ग तलाशने के लिए तैयार

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इससे पहले NDA सरकार ने सितंबर 2019 में दायर एक हलफनामे में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया था कि वह परियोजना के "सामाजिक-आर्थिक नुकसान" पर विचार कर रही है और 'रामसेतु 'शिपिंग चैनल परियोजना को नुकसान पहुंचाए बिना वैकल्पिक मार्ग तलाशने के लिए तैयार है.