
मूल रूप से अयोध्या का रहने वाला परिवार जिसके सदस्य मुंबई में गेटवे ऑफ इंडिया पर पर्यटकों की तस्वीर खींचकर गुजर बसर करते हैं. उनपर कोरोना और लॉकडाउन का कहर इस कदर टूटा है कि दो जनों की मौत हो चुकी है और पूरा परिवार बिखर गया है. लॉकडाउन की वजह से बेरोजगार हो चुके विनोद उपाध्याय अपनी पत्नी जानती उपाध्याय और भतीजे विकास पांडे के साथ 11 मई को श्रमिक स्पेशल से गांव जाने की जुगत में लग गए.
कोलाबा में बस पकड़ने के कुछ देर पहले 30 साल के विकास पांडे की अचानक से तबियत खराब हो गई. 42 साल के फूफा विनोद इस बात से अन्जान अपनी पत्नी के साथ बेस्ट की बस में बैठ एलटीटी स्टेशन पहुंच गये. तब उन्हें विकास के बीमारी की जानकारी मिली लेकिन उन्हें बताया गया कि डॉक्टर के पास ले जाया गया है और जल्द ही वो भी आ जायेगा, लेकिन आयी तो विकास की मौत की खबर.
जेजे अस्पताल के मुताबिक लंग फेल होने से उसकी मौत हो गई, लेकिन अंतिम रिपोर्ट अभी आनी बाकी है. इस बीच विनोद मुंबई से गोंडा की रेलगाड़ी में निकल चुके थे. विकास की मौत की खबर मिली लेकिन वो चाहकर भी वापस मुंबई नहीं आ सके क्योंकि श्रमिक स्पेशल रेलगाड़ी बीच में कहीं रुकती नहीं है. विकास की मौत से आहत विनोद किसी तरह सोये लेकिन फिर उठे ही नहीं. पत्नी जानती पति के शव के पास बैठ रेलगाड़ी रुकने का इंतजार करती रही.
विकास के ममेरे भाई हिमांशु पांडे ने बताया कि लखनऊ में शव की जांच के बाद परिवार को सौंप दिया गया. अयोध्या में लाकर हमने उनका अंतिम संस्कार किया. दूसरे दिन प्रशासन ने बताया कि विनोद फूफा कोरोना पॉजिटिव थे. अब प्रशासन की कवायद बढ़ गई. एक तरफ गांव में परिवार के सभी सदस्यों को क्वारंटाइन कर दिया गया और दूसरी तरफ विनोद जिस डिब्बे में सफर कर रहे थे, उसमें यात्रा करने वाले यात्रियों की तलाश शुरू हुई.
विनोद के ममेरे भाई हिमांशु के मुताबिक बुआ जानती उपाध्याय का कोरोना टेस्ट निगेटिव आने से राहत है, लेकिन फिलहाल उन्हें अलग जगह क्वारंटाइन रखा गया है. विकास का मुम्बई में ही अंतिम संस्कार कर दिया गया था. विकास की अस्थियां मुम्बई से अयोध्या लाने वाले परिवार के दूसरे सदस्य अलग जगह क्वारंटाइन में हैं. हिमांशु के मुताबिक हंसता-खेलता पूरा परिवार बिखर गया है.
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