UCC पर बैठक में BJP का आदिवासियों को बाहर रखने का सुझाव, कांग्रेस ने टाइमिंग पर सवाल उठाए

Parliamentary Committee Meeting on UCC: बीजेपी सांसद सुशील मोदी की अध्यक्षता में हुई संसदीय समिति की बैठक में विपक्षी नेताओं ने अगले साल आम चुनाव से पहले समान नागरिक संहिता या यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर सरकार की टाइमिंग पर सवाल उठाए.

UCC पर बैठक में BJP का आदिवासियों को बाहर रखने का सुझाव, कांग्रेस ने टाइमिंग पर सवाल उठाए

यूनिफॉर्म सिविल कोड पर विधि आयोग को अब तक 19 लाख सुझाव मिले हुए हैं, यह प्रोसेस 13 जुलाई तक जारी रहेगा.

नई दिल्ली:

देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) को लेकर छिड़ी बहस के बीच सोमवार को कानून व व्यवस्था मामलों की संसदीय समिति (Parliamentary Committee) की बैठक हुई. बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील मोदी (Sushil Modi) ने इस मीटिंग की अध्यक्षता की. सुशील मोदी ने बैठक में उत्तर-पूर्व और अन्य क्षेत्रों के आदिवासियों को किसी भी संभावित समान नागरिक संहिता के दायरे से बाहर रखने की वकालत की है. वहीं, कांग्रेस और डीएमके समेत ज्यादातर विपक्षी दलों ने आम चुनाव के मद्देनजर यूसीसी को लेकर सरकार की टाइमिंग पर सवाल उठाए. सूत्रों ने कहा कि उम्मीद के मुताबिक बीजेपी नेताओं ने यूसीसी का समर्थन किया.

कांग्रेस और डीएमके सांसद ने पेश किया लिखित बयान
कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा और डीएमके सांसद पी विल्सन ने बैठक में लिखित बयान पेश किए. उन्होंने यूसीसी को अगले साल होने वाली लोकसभा चुनाव से जोड़ा. वहीं, शिवसेना और बीएसपी ने यूसीसी का विरोध नही किया, लेकिन इसे सशर्त समर्थन दिया. दोनों पार्टियों का कहना था कि आम चुनाव को ध्यान में रखकर यूसीसी को नहीं लाया जाना चाहिए. केसीआर की पार्टी टीआरएस (TRS) ने भी यूनिफॉर्म सिविल कोड का समर्थन किया है. पीएम मोदी के बयान के बाद आम आदमी पार्टी ने भी यूसीसी का समर्थन किया है.

NCP-NC ने किया विरोध
मीटिंग में डिटेल सुझाव रिपोर्ट पेश किए गए. शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (NCP) ने न तो यूसीसी का समर्थन किया है और न ही सपोर्ट किया है यानी वो न्यूट्रल है. वहीं, नेशनल कॉन्फ्रेंस लीडर फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि सरकार को यूसीसी लागू करने के नतीजों पर बार-बार विचार कर लेना चाहिए.

यूसीसी संविधान के खिलाफ-कई विपक्षी नेता
कुछ नेताओं ने आरोप लगाया कि यूसीसी संविधान के खिलाफ है. यह संविधान की 6वीं अनुसूची के तहत कुछ पूर्वोत्तर और अन्य राज्यों को दी गई कुछ गारंटी को नुकसान पहुंचाएगा. छठीं अनुसूची नामित आदिवासी क्षेत्रों को स्वायत्त संस्थाओं के रूप में सशक्त बनाती है. विपक्षी नेताओं की इस दलील के जवाब में सुशील मोदी ने कहा, "आदिवासियों को छूट देने पर विचार किया जा सकता है." बैठक में बताया गया कि कुछ पूर्वोत्तर राज्यों में उनकी सहमति के बिना केंद्रीय कानून लागू नहीं होते हैं.

हालांकि, बीजेपी के महेश जेठमलानी ने यूसीसी का जोरदार बचाव किया और संविधान सभा में हुई बहस का हवाला देते हुए कहा कि इसे हमेशा अनिवार्य माना गया है.

UCC पर पीएम मोदी ने क्या कहा था?
प्रधानमंत्री मोदी ने 27 जून को भोपाल में बीजेपी के 10 लाख बूथ कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए देशभर में यूनिफॉर्म सिविल कोड जल्द लागू करने की वकालत की थी. PM मोदी ने कहा- 'यूनिफॉर्म सिविल कोड पर लोगों को भड़काया जा रहा है. एक घर दो कानूनों से नहीं चल सकता. BJP यह भ्रम दूर करेगी.

UCC क्या है?
समान नागरिक संहिता का जिक्र संविधान के अनुच्छेद 44 में है. अनुच्छेद 36 से 51 तक राज्यों को कई सुझाव दिए गए हैं. इसी में से एक है समान नागरिक संहिता. यह देश के हर नागरिक को विवाह, तलाक, गोद और उत्तराधिकार जैसे मामलों में समान अधिकार देता है. चाहे व्यक्ति किसी भी धर्म या समुदाय से हो, देश का कानून सभी पर समान रूप से लागू होगा. अभी अलग-अलग धर्म और समुदायों के व्यक्तिगत कानून हैं. आपराधिक कानून एक ही है. 

13 जुलाई तक दिए जा सकेंगे सुझाव
विधि आयोग ने 13 जून को सार्वजनिक नोटिस जारी कर यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर सुझाव मांगे थे. अब तक 19 लाख सुझाव मिले हुए हैं, यह प्रोसेस 13 जुलाई तक जारी रहेगा.

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