संसद के मानसून सत्र (Parliament Monsoon Session) से पहले सांसदों के लिए एडवाइजरी जारी की गई है कि वे सदन के भीतर किसी भी तरह का पर्चा, बुकलेट, तख्ती आदि नहीं बांट सकते. लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी की गई एडवाइजरी के मुताबिक, 'कोई भी साहित्य सामग्री, प्रश्नावली, पैम्फलेट, प्रेस नोट, लीफलेट या प्रिंटिड सामग्री बिना स्पीकर की पूर्व अनुमति के सदन के भीतर नहीं बांटी जा सकती. इसके अलावा संसद परिसर के भीतर तख्तियां भी सख्त वर्जित हैं.'
यह एडवाइजरी ऐसे समय में आई है, जब संसद परिसर के भीतर प्रदर्शन और धरने की अनुमति नहीं दिए जाने की एडवाइजरी जारी की गई है. इसको लेकर विपक्ष की ओर से भारी हंगामा किया गया है. सांसदों के लिए जारी एडवाइजरी में कहा गया है, 'सदस्य किसी भी प्रदर्शन, धरना, उपवास या किसी धार्मिक समारोह के लिए सदन के परिसर का इस्तेमाल नहीं कर सकते. सदस्यों का सहयोग अपेक्षित है.'
'धरना नहीं' के आदेश पर जयराम रमेश ने जताया ऐतराज़, तो लोकसभा सचिवालय ने दी यह सफाई...
संसद में पहले कई बार ऐसे नजारें देखने को मिले हैं, जब सांसदों ने सदन के भीतर तख्तियां दिखाई हैं. राज्यसभा में हाल के कुछ सत्रों में कुछ ऐसे ही नजारे देखने को मिले, जब सांसद पूरी कार्यवाही के दौरान सदन में तख्तियों को पकड़े रहते हैं और कभी-कभी तख्तियां और पर्चे फाड़कर कुर्सी पर फेंक देते हैं.
संसद परिसर में सदस्यों के धरना प्रदर्शन पर रोक, राज्यसभा सचिवालय ने जारी किया नया सर्कुलर
संसद परिसर में धरने की अनुमति नहीं दिए जाने वाली एडवाइजरी को लेकर कांग्रेस के राज्यसभा सांसद जयराम रमेश सहित संसद के कई सदस्यों ने टि्वटर के जरिए इसकी आलोचना की. सूत्रों के मुताबिक, 'यूपीए शासन के दौरान जारी किए गए ऐसे कई सर्कूलर सार्वजनिक डोमेन में हैं. उनमें से एक 2 दिसंबर, 2013 को और दूसरा 3 फरवरी, 2014 को लाया गया था.'
सरकारी सूत्रों का कहना है, यह विपक्ष द्वारा उठाया गया एक और निराधार मुद्दा है. जयराम रमेश जैसे लोगों को याद रखना चाहिए कि जब इस तरह के सर्कूलर पहले जारी किए किए थे, तो वह एक मंत्री के रूप में सरकार का हिस्सा थे.
विपक्ष ने संसद परिसर में धरना प्रदर्शन, अनशन पर रोक लगाने के फैसले का किया तीखा विरोध
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