एम्बुलेंस पर मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल कि फोटो
चंडीगढ़:
पंजाब में इमरजेंसी एम्बुलेंस पर मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बदल कि तस्वीर लगे होने से एक बार फिर विवाद छिड़ गया है। केंद्र सरकार ने साफ़ कह दिया है कि तस्वीर नहीं हटी तो राज्य सरकार को ग्रांट नहीं मिलेगी, वहीं इस मामले पर एक एनजीओ ने इसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना बताते हुए पंजाब सरकार को कानूनी नोटिस भेज दिया है।
हादसों को दावत देती पंजाब की सड़कों पर बेशकीमती ज़िंदगियां बचाने में कारगर 108 इमरजेंसी एम्बुलेंस सेवा पर मुख्यमंत्री की तस्वीर लगे होने से एक बार फिर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
पिछली यूपीए सरकार ने तस्वीर को नियमों के विरुद्ध बताते हुए ग्रांट रोकने की चेतावनी दी थी। इस विवाद के चलते राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत चलने वाली प्रदेश की 240 एम्बुलेंस को पिछले तीन साल से केंद्र सरकार से ग्रांट नहीं मिल रहा। सरकारी विज्ञापनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अनदेखी करने के कारण पंजाब सरकार को एक एनजीओ कॉमन कॉज ने कानूनी नोटिस भेजा है।
एनजीओ के अधिवक्ता एच सी अरोड़ा ने बताया कि मैंने पंजाब के मुख्य सचिव को नोटिस भेजा है, जिसमें कहा गया है कि 108 इमरजेंसी एम्बुलेंस पर मुख्यमंत्री की फोटो सुप्रीम कोर्ट के हाल ही में सुनाए गए उस फैसले की अवहेलना है, जिसमें प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को छोड़कर बाकी सभी नेताओं को सरकारी खर्चों पर अपना प्रचार करने से रोकने की बात कही गई थी। वहीं विपक्ष भी अब इसे मुद्दा बना रहा है।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि यह न सिर्फ सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना है, बल्कि केंद्र सरकार के नियमों के खिलाफ भी है और इसका खामियाज़ा जनता को भुगतना पड़ सकता है, क्योंकि अगर केंद्र की ग्रांट रुक जाएगी, तो एम्बुलेंस कैसे चलेंगी। जबकि सरकार कह रही है कि उसे सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर की कॉपी का इंतज़ार है।
स्वास्थ्य मंत्री सुरजीत कुमार ज्याणी ने कहा है कि अभी तक हमें सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर की कॉपी नहीं मिली है, ये फोटो कोई आज से नहीं लगी है, ये सेवा जब से शुरू हुई है तब से मुख्यमंत्री की फोटो लगी है। जनप्रतिनिधि इस तरह अपनी उपलब्धियां जनता तक पहुचाते हैं।
एम्बुलेंस पर मुख्यमंत्री बादल कि फोटो की जिद के चलते राज्य सरकार को पिछले तीन साल के दौरान 23 करोड़ रुपये कि ग्रांट से हाथ धोना पड़ा है। बादल सरकार को उम्मीद थी कि केंद्र में मोदी सरकार आने से ग्रांट बहाल हो जाएगी, लेकिन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी पिछली सरकार कि तरह बादल सरकार को अंगूठा दिखा दिया है।
मुख्यमंत्री की फोटो को अकाली दल ने पगड़ी का सवाल बना लिया है और यही वजह है कि कर्ज़ में डूबी बादल सरकार एम्बुलेंस सेवा के लिए अपने खजाने से सालाना 36 करोड़ रुपये खर्च कर रही है।
हादसों को दावत देती पंजाब की सड़कों पर बेशकीमती ज़िंदगियां बचाने में कारगर 108 इमरजेंसी एम्बुलेंस सेवा पर मुख्यमंत्री की तस्वीर लगे होने से एक बार फिर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
पिछली यूपीए सरकार ने तस्वीर को नियमों के विरुद्ध बताते हुए ग्रांट रोकने की चेतावनी दी थी। इस विवाद के चलते राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत चलने वाली प्रदेश की 240 एम्बुलेंस को पिछले तीन साल से केंद्र सरकार से ग्रांट नहीं मिल रहा। सरकारी विज्ञापनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अनदेखी करने के कारण पंजाब सरकार को एक एनजीओ कॉमन कॉज ने कानूनी नोटिस भेजा है।
एनजीओ के अधिवक्ता एच सी अरोड़ा ने बताया कि मैंने पंजाब के मुख्य सचिव को नोटिस भेजा है, जिसमें कहा गया है कि 108 इमरजेंसी एम्बुलेंस पर मुख्यमंत्री की फोटो सुप्रीम कोर्ट के हाल ही में सुनाए गए उस फैसले की अवहेलना है, जिसमें प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को छोड़कर बाकी सभी नेताओं को सरकारी खर्चों पर अपना प्रचार करने से रोकने की बात कही गई थी। वहीं विपक्ष भी अब इसे मुद्दा बना रहा है।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि यह न सिर्फ सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना है, बल्कि केंद्र सरकार के नियमों के खिलाफ भी है और इसका खामियाज़ा जनता को भुगतना पड़ सकता है, क्योंकि अगर केंद्र की ग्रांट रुक जाएगी, तो एम्बुलेंस कैसे चलेंगी। जबकि सरकार कह रही है कि उसे सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर की कॉपी का इंतज़ार है।
स्वास्थ्य मंत्री सुरजीत कुमार ज्याणी ने कहा है कि अभी तक हमें सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर की कॉपी नहीं मिली है, ये फोटो कोई आज से नहीं लगी है, ये सेवा जब से शुरू हुई है तब से मुख्यमंत्री की फोटो लगी है। जनप्रतिनिधि इस तरह अपनी उपलब्धियां जनता तक पहुचाते हैं।
एम्बुलेंस पर मुख्यमंत्री बादल कि फोटो की जिद के चलते राज्य सरकार को पिछले तीन साल के दौरान 23 करोड़ रुपये कि ग्रांट से हाथ धोना पड़ा है। बादल सरकार को उम्मीद थी कि केंद्र में मोदी सरकार आने से ग्रांट बहाल हो जाएगी, लेकिन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी पिछली सरकार कि तरह बादल सरकार को अंगूठा दिखा दिया है।
मुख्यमंत्री की फोटो को अकाली दल ने पगड़ी का सवाल बना लिया है और यही वजह है कि कर्ज़ में डूबी बादल सरकार एम्बुलेंस सेवा के लिए अपने खजाने से सालाना 36 करोड़ रुपये खर्च कर रही है।
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