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This Article is From Mar 22, 2015

विकलांग एथलीटों के लिए बुरा ख्वाब बनी पैरालम्पिक प्रतियोगिता, खेल मंत्रालय ने मांगी रिपोर्ट

नई दिल्ली : दिल्ली के करीब गाजियाबाद में आयोजित 15वीं नैशनल पैरालिम्पिक्स चैम्पियनशिप में हिस्सा लेने आए करीब 600 पैरा-ऐथलीट्स (विकलांग खिलाड़ी) को बेहद खराब हालात का सामना करना पड़ा। उन्हें जिस इमारत में ठहराया गया, वहां न तो उनके लिए सुविधाजनक शौचालय थे और न ही पीने के पानी की सुविधा।

प्रतियोगिता में हिस्सा लेने आए एक खिलाड़ी योगेश ने कहा, 'हमें ढंग का खाना नहीं मिला। हम पिछले चार दिन से पूरी और एक सब्जी खा रहे हैं। हमें डंडों की मदद से चलना पड़ता है और फिर भी हमें दूसरे फ्लोर पर रखा गया है। व्हीलचेयर से चलने वाले खिलाड़ियों के लिए रैंप भी नहीं है। टॉयलेट गंदे हैं, पंखे और पानी भी नहीं है।'

वहीं एक अन्य खिलाड़ी विनय ने बताया, 'आज नहाते समय मैं तीन बार गिर गया। हम टैंकर का पानी पी रहे हैं और इसे साफ नहीं किया गया है और टॉयलेट काफी गंदे हैं।’’

अधिकारियों की अनदेखी का स्तब्ध कर देने वाला यह मामला सामने आने के बाद खेल मंत्रालय ने आयोजकों से इस बाबत रिपोर्ट तलब की है।

खेल मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने ट्वीट कर बताया कि सभी खिलाड़ियों को अच्छी तरह रखना हमारी प्राथमिकता है। विकलांग खिलाड़ी और उनकी सेहत हमारी प्राथमिकता है। हम इस मामले की जांच कर रहे हैं और प्रतियोगिता में कुप्रबंधन के कारणों पर गौर कर रहे हैं।' उन्होंने कहा, 'भारतीय पैरालंपिक समिति से राष्ट्रीय पैरा एथलेटिक्स खेलों के आयोजन की विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है।'

वहीं भारतीय पैरालंपिक समिति के अध्यक्ष राजेश तोमर ने कहा कि इस मामले में रिपोर्ट देने के लिए पैनल का गठन कर दिया गया है।

उन्होंने कहा, 'पीसीआई के अंतर्गत 70 महासंघ आते हैं और राष्ट्रीय चैम्पियनशिप का आयोजन भारतीय पैरालंपिक महासंघ की जिम्मेदारी है। वे स्थानीय आयोजकों के संपर्क में हैं और हमारा कम निगरानी करने का है। हमने एक खिलाड़ी सहित चार सदस्यीय समित का गठन किया है और वे इस मामले में रिपोर्ट सौंपेंगे और अगर जरूरत पड़ी तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।'

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