पाकिस्तान ने गुरुवार को कुलभूषण जाधव (Kulbhushan Jadhav) के मामले में भारत के साथ किसी भी समझौते से इनकार कर दिया. पाकिस्तान की तरफ से कहा गया कि आईसीजे के फैसले को लागू करने को लेकर संविधान के अनुसार ही कोई कदम उठाया जाएगा. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद फैसल की यह टिप्पणी तब आई है जब एक दिन पहले ही पाकिस्तान की सेना ने कहा था कि सरकार जाधव के मामले की समीक्षा के लिए विभिन्न कानूनी विकल्पों पर गौर कर रही है. भारतीय नौसेना के सेवानिवृत अधिकारी जाधव (49) को पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने बंद कमरे में हुई सुनवाई के बाद अप्रैल 2017 में जासूसी और आतंकवाद के आरोपों में मौत की सजा सुनाई थी. इस मामले में भारत कहता रहा है कि जाधव को ईरान से अगवा किया गया था. नौसेना से सेवानिवृत होने के बाद कारोबारी हितों के चलते वे यहां थे.
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) ने 17 जुलाई को फैसला सुनाया था कि पाकिस्तान जाधव को सुनाई गई मौत की सजा की अवश्य ही समीक्षा करे. इसे भारत की एक बड़ी जीत के रूप में देखा गया था. फैसल ने यहां साप्ताहिक ब्रीफिंग में कहा, 'कोई समझौता नहीं होगा... सारे निर्णय स्थानीय कानूनों के अनुसार ही लिए जाएंगे.' उन्होंने कहा कि आईसीजे के निर्णय को लागू करने के लिए कोई भी कदम संविधान के अनुसार ही उठाया जाएगा. अंतराष्ट्रीय न्यायालय में जाधव की सुनवाई के दौरान भारत ने दलील दी थी कि वियना संधि का उल्लंघन कर उसके नागरिक को राजनयिक पहुंच से वंचित रखा जा रहा है.
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इस मामले में भारत के आवेदन को स्वीकार करने पर पाकिस्तान की आपत्ति को खारिज करते हुए आईसीजे ने 42 पन्नों के अपने आदेश में कहा था कि मौत की सजा की तामील पर लगातार स्थगन से जाधव के दंड की समीक्षा की अपरिहार्य स्थिति पैदा होती है. जाधव को सुनाए गए दंड से दोनों पड़ोसी देशों में तनाव पैदा हो गया है. हालांकि आईसीजे ने सैन्य अदालत के फैसले को रद्द करने, उसकी रिहाई समेत भारत की कई मांगें खारिज कर दी थी.
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पाकिस्तान ने काफी टाल-मटोल के बाद आईसीजे के निर्देश के तहत दो सितंबर को जाधव को राजनयिक पहुंच प्रदान की थी. पाकिस्तान का दावा है कि उसके सुरक्षा बलों ने जाधव को तीन मार्च 2016 को अशांत बलूचिस्तान प्रांत से गिरफ्तार किया था. उन्होंने ईरान से कथित तौर पर प्रवेश किया था.
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