प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कारोबारी नवनीत कालरा और गगन दुग्गल के दिल्ली और गुडगांव स्थित 13 परिसरों पर गुरुवार को छापेमारी की. ईडी के सूत्रों के अनुसार, इन दोनों से पिछले एक माह में चीन से 7,000 से अधिक ऑक्सीजन सांद्रकों (concentrators) को आयात किया और यह दावा करते हुए कि ये जर्मन टेक्नोलॉजी से बने हैं, इन्हें ऊंची कीमत पर बेचा. ऑक्सीजन concentrators की कथित जमाखोरी तथा कालाबाजारी के मामले में धन शोधन की जांच के तहत छापेमारी की कार्रवाई की गई. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि छापेमारी का मकसद मामले में अतिरिक्त सबूत एकत्रित करना है. ऐसा संदेह है कि कारोबारी कालरा और उसके सहयोगियों ने कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान 7,000 ऑक्सीजन सांद्रकों का कारोबार किया.
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सूत्रों ने बताया कि धन शोधन रोकथाम कानून (PMLA) के विभिन्न प्रावधानों के तहत राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में कम से कम 14-15 परिसरों में छापेमारी की गयी. कालरा से जुड़े एक स्थान से व्हिस्की की 151 बोतलें बरामद की गईं.
कालरा के परिवार के सदस्यों और मैट्रिक्स समूह के परिसरों पर छापेमारी जारी है और इसका मकसद अतिरिक्त साक्ष्य जमा करना है.ईडी ने हाल ही में कालरा और अन्य के खिलाफ धनशोधन रोधी कानून के तहत मामला दर्ज किया था. इसके लिए ईडी ने पांच मई को दर्ज दिल्ली पुलिस की प्राथमिकी का संज्ञान लिया था जब कुछ पुलिसकर्मियों ने कालरा के स्वामित्व वाले एवं उससे जुड़े कुछ परिसरों एवं रेस्तरां में छापे मारे थे.पुलिस ने इन परिसरों से 524 से अधिक जीवनरक्षक मशीनें जब्त कर आरोप लगाया था कि इनकी जमाखोरी की गई और इन्हें काला बाजार में बेचा जा रहा था.
ईडी के सूत्रों ने बताया कि कालरा और उसके सहयोगियों ने महज एक महीने (मार्च-अप्रैल) में 7,000 ऑक्सीजन सांद्रकों का कारोबार किया और इसकी छानबीन की जा रही है कि कितने सांद्रकों की खरीदारी हुई और कितने की बिक्री हुई.
कालरा ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए दावा किया है कि इन सांद्रकों को नियमित बिक्री के लिए रखा गया था.
दिल्ली की एक स्थानीय अदालत ने बृहस्पतिवार को कालरा को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था.
अधिकारियों ने इससे पहले पीटीआई-भाषा को बताया कि एजेंसी इस बात की जांच करेगी कि क्या ऑक्सीजन सांद्रक अवैध रूप से जमा किए गए थे और कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के परिवारों या उनके तीमारदारों को बहुत ज्यादा कीमतों पर बेचे गए थे जो पीएमएलए के तहत परिभाषित ‘‘अपराध से प्राप्त सामग्रियों'' के दायरे में आएगा.
प्रवर्तन निदेशालय को आरोपी से पूछताछ और बयान रिकॉर्ड करने की शक्ति प्राप्त होती है और वह जांच के दौरान उनकी संपत्ति भी कुर्क कर सकता है. इसके बाद वह विशेष पीएमएलए अदालत के समक्ष आरोप-पत्र दायर कर सकता है और धनशोधन रोधी कानून के तहत अपना अभियोजन चलाने का अनुरोध कर सकता है.
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कालरा को दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा के कर्मियों ने गुरुग्राम से रविवार रात को पकड़ा था और अगले दिन औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया था.खान चाचा, टाउन हॉल और नेगा एंड जू जैसे अपने रेस्तरां से 500 से अधिक ऑक्सीजन सांद्रकों की जब्ती के बाद से कालरा फरार था.पुलिस ने कहा था कि कालरा के रेस्तरां से जब्त सांद्रक चीन से आयातित थे और उन्हें 16 हजार से 22 हजार रुपये के बजाय 50 हजार से 60 हजार की कीमत पर बेचा जा रहा था.
ऑक्सीजन सांद्रक कोविड-19 मरीजों के इलाज में महत्वपूर्ण उपकरण माने जाते हैं और संक्रमण की दूसरी लहर में इनकी भारी मांग है.पुलिस ने कालरा और अन्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 188, 120-बीऔर 34के तहत तथा आवश्यक सामग्री अधिनियम और महामारी रोग कानून के तहत आरोप लगाए हैं.पुलिस ने इस मामले में मैट्रिक्स सेलुलर कंपनी के सीईओ और उपाध्यक्ष समेत चार कर्मचारियों को भी गिरफ्तार किया है. हालांकि, अदालत ने उन्हें जमानत दे दी है. कालरा पर मैट्रिक्स सेलुलर से सांद्रक खरीदने का आरोप है. (भाषा से भी इनपुट)
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