देश में एक ओर जहां कई राजनीतिक दलों को चुनावी बॉन्ड के माध्यम से करोड़ों रुपये का चंदा मिला, वहीं कई दल ऐसे भी रहे जिन्हें इस योजना के माध्यम से कोई पैसा नहीं मिला. पांच सौ से अधिक मान्यता प्राप्त और गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों ने उच्चतम न्यायालय को सौंपे गये सीलबंद लिफाफे में चुनावी बॉन्ड का विवरण साझा किया था. निर्वाचन आयोग ने उच्चतम न्यायालय में डेटा पेश किया था और उसी ने रविवार को इसे सार्वजनिक किया.
सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ) ने खुलासा किया कि उसे अलम्बिक फार्मा से चुनावी बॉन्ड के माध्यम से 50 लाख रुपये मिले. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), ऑल-इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी लेनिनिवादी (भाकपा-माले) समेत वामपंथी दलों को चुनावी बॉन्ड के माध्यम से कोई चंदा नहीं मिला. वामपंथी दलों का कहना है कि उन्होंने सैद्धांतिक तौर पर इस रास्ते से चंदा लेने से इनकार कर दिया.
एआईएमआईएम को भी नहीं मिला
कुछ पंजीकृत, गैर-मान्यता प्राप्त दलों ने सादे कागज पर हाथ से लिखे नोट्स में यह घोषणा की कि उन्हें चुनावी बॉन्ड के माध्यम से कोई धन नहीं मिल रहा है. राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना, एआईएमआईएम, आईएयूडीएफ, जोरम पीपल्स मूवमेंट, असम गण परिषद, बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट, केरल कांग्रेस (मणि), दिवंगत विजयकांत की डीएमडीके, इनेलो, तमिल मनीला कांग्रेस समेत राज्यों में सक्रिय कई दलों ने भी चुनावी बॉन्ड के माध्यम से कोई चंदा नहीं लिया है.
दूसरी ओर, कुछ अन्य छोटे क्षेत्रीय दलों जैसे गोवा फॉरवर्ड पार्टी और एमजीपी को क्रमशः 36 लाख रुपये व 55 लाख रुपये के चुनावी बॉन्ड प्राप्त हुए. गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की एक पुरानी रिपोर्ट के अनुसार मार्च 2018 से जनवरी 2024 तक 16,518 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड बेचे गए थे.
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