
- जॉइंट पार्लियामेंट्री कमिटी के अध्यक्ष पीपी चौधरी ने कहा कि संविधान संशोधन विधेयक में आवश्यक संशोधन की सिफारिश की जाएगी.
- पूर्व मुख्य न्यायाधीशों ने चुनाव आयोग को एक राष्ट्र एक चुनाव व्यवस्था लागू करने में अनियंत्रित शक्तियां न देने का सुझाव दिया.
- दोनों न्यायविदों ने चुनाव आयोग के अधिकारों पर पुनर्विचार और एक निगरानी तंत्र के प्रावधान की आवश्यकता जताई है.
"एक राष्ट्र, एक चुनाव" से जुड़े दो विधेयकों की समीक्षा के लिए गठित जॉइंट पार्लियामेंट्री कमिटी (JPC) के अध्यक्ष पीपी चौधरी ने NDTV से एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा है कि अगर कानूनी विशेषज्ञों और स्टेकहोल्डर्स के साथ संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024 पर चर्चा के बाद बिल में संशोधन की ज़रूरत पड़ी तो JPC अपनी रिपोर्ट में इसकी अनुशंसा करेगी. शुक्रवार को "एक राष्ट्र, एक चुनाव" से जुड़े दो विधेयकों पर दो पूर्व मुख्य न्यायाधीशों न्यायमूर्ति जे. एस.खेहर और न्यायमूर्ति डी.वाई.चंद्रचूड़ ने JPC के सामने संविधान के 129वें संशोधन विधेयक, 2024 और केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 पर विस्तृत प्रेजेंटेशन किया और संसदीय समिति के समक्ष अपने सुझाव रखे.
सूत्रों के मुताबिक दोनों न्यायविदों ने संविधान के 129वें संशोधन विधेयक, 2024 में देश में एक साथ लोक सभा और विधान सभा के चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग को दिए गए अधिकार पर सवाल उठाए और एक "Oversight Mechanism" के ज़रिये उसे सीमित करने का सुझाव दिया.
पूर्व CJI ने जताई थी चिंता, कहा था- चुनाव आयोग को बेलगाम ताकत नहीं दे सकते
सूत्रों के अनुसार, एक पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने JPC के साथ चर्चा के दौरान कहा कि संविधान (संशोधन) विधेयक में "एक राष्ट्र, एक चुनाव" व्यवस्था को बहाल करने के लिए चुनाव आयोग को जो अधिकार दिए गए हैं, उसकी नए सिरे से कानूनी समीक्षा की आवश्यकता पर राष्ट्रीय बहस चल रही है.
दोनों पूर्व मुख्य न्यायाधीशों ने सुझाव दिया कि चुनाव आयोग को "एक राष्ट्र, एक चुनाव" व्यवस्था को लागू करने में अनियंत्रित शक्तियाँ नहीं दी जानी चाहिए, और इसके लिए checks और balances के लिए कानून में प्रावधान करना ज़रूरी होगा.
बिल में संशोधन की जरूरत पड़ी तो सिफारिश करेंगेः पीपी चौधरी
बैठक के बाद 129वें संविधान संशोधन बिल में चुनाव आयोग को दिए गए अधिकार पर नए सिरे से पुनर्विचार करने के सवाल पर पीपी चौधरी ने एनडीटीवी से कहा, "जहां तक चुनाव आयोग को लेकर जो प्रावधान बिल में है, अगर हमें लगता है कि बिल में संशोधन की जरूरत है तो हम संशोधन का प्रस्ताव करेंगे. बिल में संशोधन की जरूरत पड़ती है तो ये करना चाहिए और राष्ट्रहित में संशोधन करके ही हमें अपनी रिपोर्ट संसद को भेजनी चाहिए. अगर नेशनल इंटरेस्ट में संशोधन जरूरी होगा तो हम इसकी सिफारिश करेंगे".
पार्टी हित से ऊपर उठकर राष्ट्रहित में करेंगे कामः पीपी चौधरी
पीपी चौधरी मानते हैं कि "एक राष्ट्र, एक चुनाव" प्रस्ताव से जुड़े हर मुद्दे पर चर्चा जरूरी है. चौधरी ने एनडीटीवी से कहा, "देश में नेशन बिल्डिंग के लिए "वन नेशन, वन इलेक्शन" व्यवस्था जरूरी है. यह महत्वपूर्ण है कि बिल की Constitutionality बनी रहे जिससे कि अगले सैकड़ों साल तक यह व्यवस्था चलती रहे. हमारा प्रयास रहेगा कि हम पार्टी हित से ऊपर उठकर नेशनल इंटरेस्ट में नेशन बिल्डिंग के लिए काम करें".
सूत्रों के मुताबिक एक पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने संसदीय समिति को सुझाव दिया कि सुशासन के लिए निर्वाचित सरकार का पाँच वर्ष का कार्यकाल महत्वपूर्ण है. इसमें किसी भी परिस्थिति में कटौती करना उचित नहीं होगा.
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