दिल्ली के कथित आबकारी नीति घोटाला केस में डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी और इस्तीफे के बाद आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) और दिल्ली सरकार में हड़कंप मचा है. अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार में नंबर 2 माने जाने वाले मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) की गिरफ्तारी के मुद्दे पर कांग्रेस में भी धर्मसंकट है. इस मामले पर पार्टी के अंदर दो राय है. दिल्ली और पंजाब के कांग्रेस नेता चाहते हैं कि आम आदमी पार्टी (AAP) के खिलाफ आक्रामक रुख रहना चाहिए, लेकिन राष्ट्रीय नेताओं का मानना है कि सीबीआई का तरीका सही नहीं है और विपक्षी एकजुटता के मद्देनजर कांग्रेस को विरोध दर्ज कराना चाहिए.
रविवार को सीबीआई ने आबकारी केस में 8 घंटे की पूछताछ के बाद मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया था. फिलहाल वह 4 मार्च तक सीबीआई की रिमांड पर हैं. जहां विपक्षी दलों के नेता सिसोदिया की गिरफ्तारी के विरोध में थे और सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया दे रहे थे. वहीं, कांग्रेस ने चुप्पी साध रखी थी. इसके बाद सोमवार को पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने ट्वीट कर केंद्र सरकार को आड़े हाथ लिया था. "राजनीतिक प्रतिशोध, उत्पीड़न और विपक्षी नेताओं के चुनिंदा लक्ष्य" के बारे में बात करने के एक दिन बाद कांग्रेस ने दिल्ली शराब मामले में "उचित जांच" की मांग की है. कांग्रेस पार्टी की सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, "हम शराब घोटालों की उचित जांच चाहते हैं."
आप की चुप्पी पर भी सवाल उठाया
समर्थन दिखाने की बात आने पर कांग्रेस ने आप की चुप्पी पर भी सवाल उठाया. सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, "हम आप से पूछना चाहते हैं कि वे चुप क्यों थे, जब एजेंसियों ने हमें परेशान किया तो उनका क्या रुख था." बता दें कि मनीष सिसोदिया के लिए अधिकांश विपक्षी दल आम आदमी पार्टी के समर्थन में आ गए हैं. विपक्षी दलों के नेताओं ने सिसोदिया पर लगे आरोपों का जोरदार खंडन किया है.
हालांकि, कई राज्यों में अपने वोट बेस खोने वाली कांग्रेस पार्टी इस मामले में धीमी प्रतिक्रिया दे रही है और पर्याप्त सतर्कता बरत रही है. पिछले साल कांग्रेस ने पंजाब में सत्ता खो दी थी. यहां अब आम आदमी पार्टी का शासन है.
कांग्रेस और आप शुरू से विरोधी
कांग्रेस और आप शुरू से विरोधी रहे हैं. 2014 में केंद्र में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के पतन के पीछे प्रमुख कारकों में से एक अन्ना हजारे का भ्रष्टाचार विरोधी अभियान था. इसमें अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया भी शामिल थे. कांग्रेस उस झटके से कभी उबर नहीं पाई और तब से लगातार जमीन खोती जा रही है.
मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के कुछ ही समय बाद दिल्ली में कांग्रेस ने इसे एक "स्वागत योग्य कदम" बताया था. जहां एक तरफ विपक्षी दलों ने इस गिरफ्तारी की निंदा की, लेकिन कांग्रेस के नेतृत्व ने मनीष सिसोदिया का जिक्र किए बिना अपनी प्रतिक्रिया में सूक्ष्मता दिखाई.
जयराम रमेश ने उठाए थे सवाल
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, ''कांग्रेस का हमेशा से मानना रहा है कि ईडी, सीबीआई और आयकर विभाग जैसी संस्थाएं मोदी सरकार के तहत राजनीतिक प्रतिशोध और उत्पीड़न का साधन बन गई हैं. इन संस्थानों ने अपनी व्यावसायिकता खो दी है. चुनिंदा विपक्षी नेताओं को निशाना बनाकर, उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया जा रहा है.''
सिसोदिया की गिरफ्तारी ने विपक्ष को किया एकजुट
सिसोदिया की गिरफ्तारी ने जाहिर तौर पर अगले साल होने वाले आम चुनाव से पहले विपक्ष को एकजुट कर दिया है. शिवसेना, राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी, नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव जैसे कांग्रेस के सहयोगियों सहित कई पार्टियां आप के समर्थन में आ गई हैं.
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सिसोदिया की गिरफ्तारी पर कड़ी टिप्पणी की थी. उन्होंने कहा, "कई मनीष सिसोदिया ने इसी तरह की कार्रवाई का सामना किया है और उन्हें गिरफ्तार किया गया है. आप और मैं उनके बारे में नहीं जानते, लेकिन हम सिसोदिया के बारे में जानते हैं क्योंकि वह उपमुख्यमंत्री हैं. इस सरकार में कई पत्रकार, लेखक और विचारक जेल में हैं. देश में क्या हो रहा है. लोगों को इसके बारे में सोचना होगा."
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