भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही से अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे गति पकड़ रही है और मजबूत बनी हुई है, लेकिन बढ़ते मुद्रास्फीति दबाव के साथ कोरोना वायरस का नया स्वरूप ओमिक्रॉन एक बड़ी चुनौती बनकर उभरा है. रिजर्व बैंक ने यह बात बुधवार को जारी दूसरी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में कही है. रिपोर्ट की प्रस्तावना में रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास ने लिखा है कि इस साल अप्रैल-मई में विनाशकारी कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर के बाद वृद्धि परिदृश्य धीरे-धीरे बेहतर हुआ है. लेकिन वैश्विक घटनाक्रमों और हाल में सामने आये वायरस के नए स्वरूप ओमिक्रॉन की वजह से अर्थव्यवस्था के समक्ष चुनौती पैदा हुई है.
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उन्होंने कहा कि मजबूत और सतत पुनरुद्धार निजी निवेश तथा निजी खपत में तेजी पर निर्भर है. लेकिन दुर्भाग्य से ये दोनों अब भी महामारी-पूर्व स्तर से नीचे हैं. दास ने स्वीकार किया कि लागत बढ़ने की वजह से उत्पन्न मुद्रास्फीति को लेकर चिंता बनी हुई है. उन्होंने खाद्य और ऊर्जा कीमतों को काबू में लाने के लिये आपूर्ति के मोर्चे पर ठोस उपाय करने का आह्वान किया.
गवर्नर ने कहा कि नीति और नियामकीय समर्थन के साथ महामारी के दौरान वित्तीय संस्थान मजबूत बना रहे हैं और वित्तीय बाजारों में स्थिरता रही है. उन्होंने भरोसा जताया कि पूंजी और नकदी की बेहतर स्थिति के साथ बैंकों का मजबूत बही-खाता भविष्य के झटकों से निपटने में मदद करेगा.
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उन्होंने बैंकों के दबाव परीक्षण का हवाला देते हुए आगाह किया कि एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्ति) सितंबर, 2022 में उछलकर 8.1-9.5 प्रतिशत तक जा सकता है जो सितंबर, 2021 में 6.9 प्रतिशत था. उन्होंने वृहत आर्थिक और वित्तीय स्थिरता के साथ मजबूत, टिकाऊ और समावेशी वृद्धि के लिये दृढ़ तथा कुशल वित्तीय प्रणाली सुनिश्चित करने को लेकर रिजर्व बैंक की प्रतिबद्धता को दोहराया.
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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं