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This Article is From Sep 02, 2016

नर्सों की हड़ताल से सरकारी अस्पतालों में सेवाएं हुईं बुरी तरह प्रभावित

नर्सों की हड़ताल से सरकारी अस्पतालों में सेवाएं हुईं बुरी तरह प्रभावित
दिल्ली में विरोध प्रदर्शन करती हुईं नर्सें.
नई दिल्ली: देश भर की नर्सों के आज अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने पर दिल्ली, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुईं. यह हड़ताल ऐसे समय पर हुई है जब दिल्ली और कई दूसरे शहर डेंगू तथा चिकुनगुनिया के बढ़ते मामलों से जूझ रहे हैं.

अखिल भारतीय सरकारी नर्स महासंघ (एआईजीएनएफ) और दिल्ली नर्स महासंघ ने वेतन और भत्तों से संबंधित मुद्दों के समाधान की मांग को लेकर व्यापक विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है. दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में करीब 20,000 नर्स हैं. इनमें केंद्र, दिल्ली सरकार या नगर निगमों द्वारा संचालित अस्पताल शामिल हैं.

एआईजीएनएफ ने दावा किया कि ज्यादातर सरकारी नर्सें आंदोलन में शामिल हो गईं और यह हड़ताल बहुत सफल रही है. एआईजीएनएफ प्रवक्ता लीलाधर रामचंदानी ने कहा, ‘‘जैसा कि हमने घोषणा की थी, हम आपात और गंभीर मामलों में ही काम कर रहे हैं. यदि हमारी मांगें नहीं मानी गईं तो रविवार से वह भी रूक जाएगा. दिल्ली के अलावा, उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, महाराष्ट्र, पुद्दुचेरी में भी नर्सें आंदोलन से जुड़ गईं.’’ वैसे बाद में केंद्र ने दावा किया कि केवल महाराष्ट्र, दिल्ली और उत्तर प्रदेश में हड़ताल का आंशिक असर पड़ा.

आंदोलन को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ करार देते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव सीके मिश्रा ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सरकार को उम्मीद है कि बातचीत से मुद्दे शीघ्र हल हो जाएंगे. इसी बीच दिल्ली सरकार ने आज एस्मा लगाते हुए आंदोलन को गैरकानूनी ठहराया है. एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, ‘‘उपराज्यपाल ने आंदोलनरत नर्सों के खिलाफ एस्मा लगाने के सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी.’’

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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