एक धंसता हुआ हिमालयी शहर जोशीमठ चीन से सटी सीमा के पास बांधों,सड़कों और सैन्य स्थलों के विस्तार के चलते पर्वत श्रृंखला की नाजुक पारिस्थितिकी के बीच खतरे उजागर कर रहा है.पर्यावरणविदों और कार्यकर्ताओं की ओर से दशकों पहले से इन जोखिमों के बारे संकेत दिए जाते रहे हैं. उनकी आशंकाएं हाल ही में जमीन धंसने के बाद सच होती दिख रही हैं. पृथ्वी के नीचे के हिस्से की परतों के खिसकने के कारण धीरे-धीरे जमीन धंस रही है. इससे अधिक ऊंचाई पर स्थित छोटे शहर जोशीमठ में सैकड़ों घरों में दरारें आ गई हैं. जोशीमठ उत्तरी पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में 6000 फीट (1,830 मीटर) की ऊंचाई पर स्थित है. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है.
यह उच्च भूकंपीय जोखिम वाला क्षेत्र कई सुरम्य कस्बों और गांवों के साथ जुड़ा है. यह हिंदू तीर्थ स्थलों और चीन के साथ भारत के सीमा विवाद में रणनीतिक चौकियों के लिए प्रवेश द्वार है.
यह क्षेत्र पहले से ही लगातार मौसम की चरम स्थितियों से जुड़ी घटनाओं और भूस्खलन की चपेट में है. साल 2013 में बड़े पैमाने पर बादल फटने से राज्य में 5000 से अधिक लोग मारे गए थे.
उत्तराखंड में लगभग 155 अरब रुपये की संयुक्त अनुमानित लागत वाली चार जलविद्युत परियोजनाएं वर्तमान में निर्माणाधीन हैं.
नैनीताल के कुमाऊं विश्वविद्यालय में भूविज्ञान के प्रोफेसर राजीव उपाध्याय ने कहा है कि, "उत्तराखंड के उत्तरी हिस्से में गांव और टाउनशिप हिमालय के भीतर प्रमुख सक्रिय थ्रस्ट जोन के साथ स्थित हैं और यह क्षेत्र नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र के कारण बहुत संवेदनशील हैं." उनके मुताबिक "कई बस्तियां, जो कि पुराने भूस्खलन के मलबे पर बनी हैं, पहले से ही प्राकृतिक तनाव में हैं और मानव निर्मित निर्माण क्षेत्र और तनाव बढ़ा रहे हैं."
जोशीमठ क्षेत्र में भूमि धंसने की घटनाएं 1970 के दशक की शुरुआत में दर्ज की गई थीं. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर द्वारा जारी बयान और सेटेलाइट इमेज के अनुसार जोशीमठ कस्बे में आठ जनवरी तक 12 दिनों में अधिकतम तेजी से 5.4 सेंटीमीटर का धंसाव हुआ.
उपाध्याय ने कहा कि, "यदि आप इस क्षेत्र में बहुत अधिक यांत्रिक गतिविधियां करते हैं तो भूमि के खिसकने का खतरा होगा.पूरा क्षेत्र धंसने की हालत में है."
#WATCH | Chamoli, Uttarakhand: Amid the issue of land subsidence in Joshimath, cracks also seen on some houses in Bahuguna Nagar of Karnaprayag Municipality. pic.twitter.com/hwRfFcwhJy
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) January 10, 2023
\रिपोर्ट में उत्तराखंड के टिहरी, माना, धारासू,हार्शिल, गौचर और पिथौरागढ़ के बारे में कहा गया है कि इन इलाकों में भी जमीन के धंसने का खतरा है.
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