नोएडा पुलिस (Noida Police) का एक विवादित नोटिस सामने आया है. नोटिस में कंपनियों से कहा गया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि उनके मुस्लिम कर्मचारी पार्क में नमाज न पढ़ें. नोएडा सेक्टर-58 के थाना प्रभारी की ओर से यह नोटिस जारी किया गया है. जिसमें कहा गया है कि कंपनी अपने कर्मचारियों को इस बारे में अवगत कराए कि पार्क में इकट्ठे होकर मुस्लिम कर्मचारी नमाज न पढ़ें.
नोटिस में कहा गया है, 'सेक्टर-58 स्थित अथॉरिटी के पार्क में प्रशासन की ओर से किसी भी प्रकार की धार्मिक गतिविधि(जिसमें शुक्रवार को पढ़े जाने वाली नमाज शामिल है) की अनुमति नहीं है. अक्सर देखने में आया है कि आपकी कंपनी के मुस्लिम कर्मचारी पार्क में इकट्ठे होकर नमाज पढ़ने के लिए आते हैं. उन्हें एसएचओ की ओर से मना किया जा चुका है. उनके द्वारा दिए गए नगर मजिस्ट्रेट महोदय के प्रार्थना पत्र पर किसी भी प्रकार की कोई अनुमति नहीं दी गई है.'
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कंपनी को संबोधित करते हुए भेजे गए नोटिस में लिखा गया है, 'आपसे यह उम्मीद की जाती है कि आप अपने स्तर पर अपने मुस्लिम कर्मचारियों को अवगत कराएं कि वे नमाज पढ़ने के लिए पार्क में न जाएं. यदि आपकी कंपनी के कर्मचारी पार्क में आते हैं तो यह समझा जाएगा कि आपने उनको इसकी जानकारी नहीं दी है. इसके लिए कंपनी जिम्मेदारी होगी.' हालांकि, जब एसएसपी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि यह आदेश सभी धर्मों के लिए है.
बताया जा रहा है कि सेक्टर-58 के पार्क में नमाज को लेकर विवाद पिछले एक महीने से चल रहा है. सेक्टर 58 में पिछले पांच साल से नमाज पढ़ा रहे मौलाना नोमान ने बताया कि उन्हें और उनके साथी आदिल रशीद को पुलिस ने धारा 191 के तहत जेल भेज दिया था.
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मौलाना नोमान ने NDTV को बताया कि उन्हें 14 दिसंबर को पार्क में नमाज पढ़ने को मना किया गया. उन्होंने सब लोगों को मना कर दिया. लेकिन उसके बाद भी 18 दिसंबर को उन्हें थाने बुला कर जेल डाल दिया गया. इसके बाद वे 22 दिसंबर को जमानत पर बाहर आ गए.
बता दें, खुले में नमाज पढ़ने को लेकर दिल्ली से सटे हरियाणा के गुरुग्राम में भी विरोध देखने को मिला था. कुछ इलाकों में खुली जगह पर जुमे की नमाज पढ़े जाने का कुछ हिंदूवादी संगठनों ने विरोध किया था. पुलिस के मुताबिक विरोध करने वालों में कथित रूप से विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, हिंदू क्रांति दल, गौरक्षक दल और शिवसेना के सदस्य शामिल थे. इसको लेकर विवाद उठ गया था. मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा था कि नमाज मस्जिदों और ईदगाहों में ही पढ़ी जानी चाहिए. बाद में प्रशासन ने जुमे की नमाज के लिए कुछ स्थान चिन्हित किए, हालांकि कुछ संगठन इसका विरोध कर रहे थे.
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