जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को कहा कि उन्हें राष्ट्रीय मौद्रिकरण पाइपलाइन (NMP) का विरोध करने का कोई कारण नजर नहीं आता और उन्होंने उम्मीद जताई कि इसके लिए बोली लगाने की प्रक्रिया पारदर्शी होगी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को छह लाख करोड़ रुपये की राष्ट्रीय मौद्रिकरण योजना (एनएमपी) की घोषणा की. इसके तहत यात्री ट्रेन, रेलवे स्टेशन से लेकर हवाई अड्डे, सड़कें और स्टेडियम का मौद्रिकरण शामिल हैं. इन बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में निजी कंपनियों को शामिल करते हुए संसाधन जुटाये जायेंगे और संपत्तियों का विकास किया जाएगा.
अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘मुझे ऐसी योजना का विरोध करने का कोई कारण नजर नहीं आता जिसके तहत ऐसी पूंजी का मौद्रिकरण किया जाना है, जो अन्यथा मुझे उपयुक्त लाभ नहीं दे रही है. अगर इसी संपत्ति का निजीकरण किया जाएगा, तो मैं सरकार से सवाल पूछता.''
वह केंद्र सरकार की एनएमपी योजना पर एक सवाल का जवाब दे रहे थे. अब्दुल्ला ने कहा कि निजीकरण और मौद्रिकरण के बीच अंतर समझना महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा, ‘‘मौद्रिकरण के तहत किसी संपत्ति को पट्टे पर दिया जाता है, लेकिन उस संपत्ति के स्वामित्व को स्थानांतरित नहीं किया जाता.''
नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि इसके लिए बोली प्रणाली पारदर्शी होगी.
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