केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सीएनएन को दिए एक साक्षात्कार में भारत की 1.3 अरब आबादी का हवाला देते हुए कहा कि “हम अपने उपभोक्ताओं के प्रति नैतिक कर्तव्य निभाते हैं.” रूस से तेल की भारत की खरीद में कोई नैतिक संघर्ष नहीं है. नरेंद्र मोदी सरकार दबाव महसूस नहीं करती है. हम दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं, भारत अपने सर्वोच्च राष्ट्रीय हित के अनुसार काम कर रहे हैं.
"Absolutely none. There is no moral conflict."
— Becky Anderson (@BeckyCNN) October 31, 2022
I asked India's Minister of Petroleum @HardeepSPuri whether there was any moral conflict around his country's importing Russian oil, he tells me without Russian oil, prices will only go up. pic.twitter.com/Q6fZ4iN5bX
यह पूछे जाने पर कि क्या रूस से खरीदारी करने में नैतिक संघर्ष था. इसपर उन्होंने कहा, "बिल्कुल नहीं". कोई नैतिक संघर्ष नहीं है. हम एक्स या वाई से नहीं खरीदते हैं; जो भी उपलब्ध है हम उसे खरीद लेते हैं. मैं खरीदारी नहीं करता, सरकार नहीं करती. तेल कंपनियां करती हैं." सीएनएन पत्रकार बेकी एंडरसन ने साक्षात्कार के इस महत्वपूर्ण हिस्से को ट्वीट किया.
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पुरी ने इस बात पर जोर देते हुए कहा, "हम एक तिमाही में वही खरीदते हैं जो यूरोप दोपहर तक खरीदता है." उन्होंने स्वीकार किया कि अब रूस "भारत के शीर्ष चार या पांच आपूर्तिकर्ताओं में से एक है. उन्होंने बताया कि पिछले महीने भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता इराक था".
यह पूछे जाने पर कि क्या यूरोपीय संघ या अमेरिका ने भारत को रूस से तेल आयात को प्रतिबंधित करने के लिए कहा था. इसपर उन्होंने कहा, "आपको इस प्रश्न को यूरोपीय संघ या अमेरिका से करना चाहिए."
पिछले महीने अमेरिका में भी पुरी ने इस तर्क पर जोर दिया था कि " अपने नागरिकों को ऊर्जा प्रदान करना सरकार का नैतिक कर्तव्य है."
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